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मुस्लिम विधायकों के नहीं जीतने के बावजूद खत्म नहीं हो रहा नीतीश का मुस्लिम मोह - मुस्लिम क्षेत्र में काम

नीतीश का मुस्लिम प्रेम जगजाहिर है. लेकिन मुस्लिम वोटर अब नीतीश कुमार से मुंह मोड़ रहे हैं. विधानसभा चुनाव में 11 में से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीते थे. इसी कारण उन्होंने बसपा के जमा खान को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. अब सीएम नीतीश कुमार ने पार्टी के नेताओं को मुस्लिम समुदाय से मिलने और उनकी परेशानियों को जानने के लिए विशेष टास्क दे दिया है.

नीतीश का मुस्लिम प्रेम
नीतीश का मुस्लिम प्रेम
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Published : Apr 6, 2021, 7:23 PM IST

Updated : Apr 6, 2021, 10:55 PM IST

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को बड़ा नुकसान हुआ है. पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई. सबसे बड़ा धक्का एक भी मुस्लिम उम्मीदवार के नहीं जितने के कारण लगा है. नीतीश कुमार बार-बार कहते रहे हैं कि सबसे ज्यादा काम मुस्लिमों के लिए मैंने ही किया है. लेकिन उनके 11 में से एक भी उम्मीदवार जीत ना पाए. उसके बावजूद नीतीश का मुस्लिम मोह अभी भी खत्म नहीं हो रहा है.

पार्टी 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा की तैयारी अभी से शुरू कर चुकी है. मुस्लिमों को रिझाने के लिए बैठक भी कर रही है. मुस्लिम नेताओं को विशेष टास्क भी दिया जा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- कोरोना पर CM की उच्च स्तरीय बैठक खत्म, दूसरे राज्यों से आ रहे लोगों पर नजर रखने का दिया निर्देश

2020 में मिला था नीतीश को बड़ा झटका
जदयू कार्यालय में ऐसे तो लगातार बैठकों का दौर चल रहा है. लेकिन लव-कुश के साथ मुस्लिम वोट बैंक पर नीतीश कुमार की सबसे ज्यादा नजर है. 2020 विधानसभा चुनाव में पार्टी को मुस्लिमों ने बड़ा झटका दिया है. एआईएमआईएम जैसी पार्टी के पांच उम्मीदवार चुनाव जीत गए. लेकिन मुस्लिमों के लिए सबसे ज्यादा काम करने का दावा करने वाले नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को एक भी सीट नहीं मिला. इसके बावजूद नीतीश कुमार का मुस्लिम मोह खत्म नहीं हुआ है.

नीतीश के काम
नीतीश के काम

'अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष टास्क दिया है. हम लोगों को अल्पसंख्यकों के बीच जाने को कहा गया है. उनकी जो परेशानी है, जो भी समस्याएं हैं. जिसके कारण उन्होंने हम लोगों को वोट नहीं दिया. उसे जानने के साथ उसे दूर करने की कोशिश भी करने के लिए कहा गया है.' -अंजुम आरा, नेता, जदयू

अंजुम आरा, नेता, जदयू
अंजुम आरा, नेता, जदयू

'जदयू ने हाल ही में संगठन में जिला अध्यक्ष से लेकर जिला प्रभारियों की नई टीम बनाई है. हम लोगों को 2024 और 2025 की तैयारी मैं लग जाने के लिए कहा गया है.' -हैदर अली मंसूरी, जिला अध्यक्ष बगहा, जदयू

हैदर अली मंसूरी, जिला अध्यक्ष बगहा, जदयू
हैदर अली मंसूरी, जिला अध्यक्ष बगहा, जदयू

'नीतीश कुमार पर अल्पसंख्यकों को अभी भी सबसे ज्यादा भरोसा है. हमें भी उनसे उम्मीद है. चुनाव में हार-जीत के कई कारण होते हैं.' -आरसीपी सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू

आरसीपी सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू
आरसीपी सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू

एआईएमआईएम की एंट्री से बढ़ी मुश्किलें
बिहार में सीमांचल में मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं. लेकिन एआईएमआईएम की एंट्री से सभी पार्टियों की मुश्किलें बढ़ी हैं. इसके अलावा भी कई जिलों में मुस्लिम वोटों की संख्या काफी अधिक है. चाहे वह सिवान हो या फिर दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, पटना, कटिहार, पूर्णिया सहित कई जिलों के कई विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर जीत हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं.

जदयू कार्यालय से निकलते मुस्लिम नेता
जदयू कार्यालय से निकलते मुस्लिम नेता

ऐसे में फिलहाल पार्टी की नजर पंचायत चुनाव पर भी है. लेकिन आने वाले दिनों में पार्टी की रणनीति 2024 और 2025 चुनाव को लेकर और तेज होगी.

बिहार में मुसलमान
बिहार में मुसलमान

बसपा के जमा खान को शामिल कर बनाया मंत्री
जाहिर है कि जदयू 2024 लोकसभा के साथ 2025 विधानसभा के चुनाव के लिए अभी से तैयारी शुरू कर चुकी है. पार्टी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है. लव-कुश समीकरण के साथ अल्पसंख्यक वोट बैंक को पूरी तरह से इस बार अपने पक्ष में करने की पार्टी की तैयारी है.

पार्टी के नेताओं को इसके लिए विशेष रूप से टास्क दिया गया है. बीजेपी ने शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद से भेजकर मंत्री भी बनाया है, तो जदयू ने भी एक भी उम्मीदवार नहीं जीतने के बावजूद बसपा के जमा खान को पार्टी में शामिल कराकर मंत्री बना दिया है.

कर्पूरी सभागार में मुस्लिम नेता और कार्यकर्ता
कर्पूरी सभागार में मुस्लिम नेता और कार्यकर्ता

यह भी पढ़ें- 'बिहार में अभी लॉकडाउन के हालात नहीं, कोविड गाइडलाइन का लोग करें पालन': स्वास्थ्य मंत्री

यह भी पढ़ें- CM नीतीश ने की कोरोना संक्रमण की समीक्षा, पंचायत स्तर पर क्वारंटाइन सेंटर बनाने का आदेश

यह भी पढ़ें- मधुबनी नरसंहार के खिलाफ होगा बिहार बंद, अब होगी आर-पार की लड़ाई: पप्पू यादव

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को बड़ा नुकसान हुआ है. पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई. सबसे बड़ा धक्का एक भी मुस्लिम उम्मीदवार के नहीं जितने के कारण लगा है. नीतीश कुमार बार-बार कहते रहे हैं कि सबसे ज्यादा काम मुस्लिमों के लिए मैंने ही किया है. लेकिन उनके 11 में से एक भी उम्मीदवार जीत ना पाए. उसके बावजूद नीतीश का मुस्लिम मोह अभी भी खत्म नहीं हो रहा है.

पार्टी 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा की तैयारी अभी से शुरू कर चुकी है. मुस्लिमों को रिझाने के लिए बैठक भी कर रही है. मुस्लिम नेताओं को विशेष टास्क भी दिया जा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

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2020 में मिला था नीतीश को बड़ा झटका
जदयू कार्यालय में ऐसे तो लगातार बैठकों का दौर चल रहा है. लेकिन लव-कुश के साथ मुस्लिम वोट बैंक पर नीतीश कुमार की सबसे ज्यादा नजर है. 2020 विधानसभा चुनाव में पार्टी को मुस्लिमों ने बड़ा झटका दिया है. एआईएमआईएम जैसी पार्टी के पांच उम्मीदवार चुनाव जीत गए. लेकिन मुस्लिमों के लिए सबसे ज्यादा काम करने का दावा करने वाले नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को एक भी सीट नहीं मिला. इसके बावजूद नीतीश कुमार का मुस्लिम मोह खत्म नहीं हुआ है.

नीतीश के काम
नीतीश के काम

'अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष टास्क दिया है. हम लोगों को अल्पसंख्यकों के बीच जाने को कहा गया है. उनकी जो परेशानी है, जो भी समस्याएं हैं. जिसके कारण उन्होंने हम लोगों को वोट नहीं दिया. उसे जानने के साथ उसे दूर करने की कोशिश भी करने के लिए कहा गया है.' -अंजुम आरा, नेता, जदयू

अंजुम आरा, नेता, जदयू
अंजुम आरा, नेता, जदयू

'जदयू ने हाल ही में संगठन में जिला अध्यक्ष से लेकर जिला प्रभारियों की नई टीम बनाई है. हम लोगों को 2024 और 2025 की तैयारी मैं लग जाने के लिए कहा गया है.' -हैदर अली मंसूरी, जिला अध्यक्ष बगहा, जदयू

हैदर अली मंसूरी, जिला अध्यक्ष बगहा, जदयू
हैदर अली मंसूरी, जिला अध्यक्ष बगहा, जदयू

'नीतीश कुमार पर अल्पसंख्यकों को अभी भी सबसे ज्यादा भरोसा है. हमें भी उनसे उम्मीद है. चुनाव में हार-जीत के कई कारण होते हैं.' -आरसीपी सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू

आरसीपी सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू
आरसीपी सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू

एआईएमआईएम की एंट्री से बढ़ी मुश्किलें
बिहार में सीमांचल में मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं. लेकिन एआईएमआईएम की एंट्री से सभी पार्टियों की मुश्किलें बढ़ी हैं. इसके अलावा भी कई जिलों में मुस्लिम वोटों की संख्या काफी अधिक है. चाहे वह सिवान हो या फिर दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, पटना, कटिहार, पूर्णिया सहित कई जिलों के कई विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर जीत हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं.

जदयू कार्यालय से निकलते मुस्लिम नेता
जदयू कार्यालय से निकलते मुस्लिम नेता

ऐसे में फिलहाल पार्टी की नजर पंचायत चुनाव पर भी है. लेकिन आने वाले दिनों में पार्टी की रणनीति 2024 और 2025 चुनाव को लेकर और तेज होगी.

बिहार में मुसलमान
बिहार में मुसलमान

बसपा के जमा खान को शामिल कर बनाया मंत्री
जाहिर है कि जदयू 2024 लोकसभा के साथ 2025 विधानसभा के चुनाव के लिए अभी से तैयारी शुरू कर चुकी है. पार्टी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है. लव-कुश समीकरण के साथ अल्पसंख्यक वोट बैंक को पूरी तरह से इस बार अपने पक्ष में करने की पार्टी की तैयारी है.

पार्टी के नेताओं को इसके लिए विशेष रूप से टास्क दिया गया है. बीजेपी ने शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद से भेजकर मंत्री भी बनाया है, तो जदयू ने भी एक भी उम्मीदवार नहीं जीतने के बावजूद बसपा के जमा खान को पार्टी में शामिल कराकर मंत्री बना दिया है.

कर्पूरी सभागार में मुस्लिम नेता और कार्यकर्ता
कर्पूरी सभागार में मुस्लिम नेता और कार्यकर्ता

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Last Updated : Apr 6, 2021, 10:55 PM IST
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