पटना: साल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) लागू है. हाल के कुछ दिनों में जहरीली शराब से मौत के मामले को लेकर सरकार का शराबबंदी कानून कटघरे में है. बिहार के तमाम सियासी दल शराबबंदी कानून को लेकर समीक्षा की बात कर रहे हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने पुराने स्टैंड पर कायम है. सरकार मानती है कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार में सामाजिक और आर्थिक बदलाव हुए हैं.
शराबबंदी पर नीतीश सरकार सर्वे कराएगी (Survey on Liquor Ban in Bihar), जिससे सरकार समाज में शराबबंदी लागू होने के बाद से कितना बदला हुआ यह पता करेगी. सर्वे की टीम सभी जिलों के शहरी और ग्रामीण इलाकों में जाकर सैंपल सर्वे करेगी. मद्य निषेध, उत्पाद और निबंधन विभाग के एक अधिकारी की मानें तो विभाग ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. मद्य निषेध विभाग की ओर से सर्वे के लिए एजेंसी तय कर ली गई है. चाणक्य राष्ट्रीय विधि संस्थान के पंचायती राज पीठ को यह जिम्मेदारी दी गई है. जबकि सर्वे रिपोर्ट तैयार करने में एएन सिन्हा संस्थान भी मदद करेगा.
विभागीय सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट 2 माह में तैयार की जाएगी. राज्य के विभिन्न जिलों में जाकर सैंपल सर्वे के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि शराबबंदी से कितना बदलाव आया है. लोगों से यह पूछा जाएगा कि उनके जीवन पर शराबबंदी ने कितना असर डाला है. राज्य सरकार ने इससे पहले भी 2016 में सर्वे कराया था, जिसमें महिलाओं को लेकर सकारात्मक असर देखने को मिला था.
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सर्वे के लिए कई इंडेक्स तय किए गए हैं, जिसमें महिलाओं की स्थिति में सुधार, लोगों के जीवन शैली में बदलाव, पारिवारिक खर्च की स्थिति, शराब पीने वाले परिवार के निर्णय लेने की क्षमता में बदलाव, खानपान के तरीके में बदलाव, स्वास्थ्य पर कितना असर, शिक्षा में कितना बदलाव और महिला हिंसा में कितनी कमी आई शामिल है. सर्वे के दौरान महिला हिंसा में आई कमी तथा शिक्षा के स्थिति में आए बदलाव की भी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. अधिकारी की मानें तो इस सर्वे की रिपोर्ट दो महीने में तैयार कर लिया जाएगा.
बता दें कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद सामाजिक क्षेत्र और आर्थिक क्षेत्र के अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सकारात्मक बदलाव आया है. खासकर महिलाओं के जीवन में इसका विशेष तौर पर सकारात्मक असर देखने को मिला है, लेकिन हाल के दिनों में जहरीली शराब से मौत की खबरों के बाद विपक्ष से ज्यादा सत्ता पक्ष खासकर सहयोगी दलों ने सरकार की जिस तरीके से घेराबंदी की है उसको देखते हुए जनमत एक कारगर हथियार हो सकता है. सरकार ने जनमत के सहारे इसका जवाब देने का निश्चय किया है. बिहार सरकार मद्यनिषेध नीति के प्रभाव का अब अध्ययन कराएगी.
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