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Bihar Cabinet Expansion: नीतीश ने झट बनाया मंत्री, लेकिन 5 महीने बाद भी खत्म नहीं हुई RJD-कांग्रेस की तलाश

नीतीश कैबिनेट विस्तार में देरी की वजह क्या है? इसको लेकर अब तक न तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वाजिब वजह बता पा रहे हैं और न ही डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव स्पष्ट तौर पर कोई जवाब दे रहे हैं. खास बात ये है कि संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद सीएम ने जेडीयू कोटे से रत्नेश सदा को मंत्री बनाकर तुरंत खाली सीट को भर दिया लेकिन आरजेडी और कांग्रेस महीनों बाद भी नाम तय नहीं कर पा रहे हैं.

बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार
बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार
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Published : Jul 26, 2023, 6:21 PM IST

पटना: बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार अधर में लटका हुआ है. मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने के पीछे कई कारण है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सार्वजनिक जगहों पर मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल को सीधे अपने सहयोगी दलों के सामने डाल देते हैं. ऐसे में सहयोगी दल इस मंत्रिमंडल विस्तार पर कुछ भी साफ-साफ कहने से बचते हैं. बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जिस दल को जितना कोटा चाहिए उतने मंत्री नहीं बन पाए हैं.

ये भी पढ़ें: Bihar Cabinet Expansion: 'बिहार कैबिनेट में महिलाओं को भी मिले उचित भागीदारी'- कांग्रेस विधायक

4 से 5 मंत्री बनाने की चर्चा: आरजेडी से अभी दो मंत्री बनने हैं तो वहीं कांग्रेस दो मंत्री पद की डिमांड कर रही है. महागठबंधन के इन दलों में कौन मंत्री बनेगा इस पर फैसला नहीं हो पाया है. मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल विस्तार की पूरी गेंद अपने गठबंधन के दलों के पाले में डाल दिया है. 243 सदस्यों वाले बिहार विधानसभा में कुल 15% यानी की मुख्यमंत्री समेत कुल 36 मंत्री हो सकते हैं. मौजूदा स्थिति के मुताबिक, फिलहाल महागठबंधन की सरकार में 15 मंत्री आरजेडी कोटे से है, नीतीश कुमार समेत 13 मंत्री जनता दल यूनाइटेड कोटे से है, 2 मंत्री कांग्रेस कोटे से हैं और 1 मंत्री निर्दलीय है. इस वक्त बिहार सरकार में 31 मंत्री हैं और 5 और को मंत्री बनाया जा सकता है.

राजपूत-भूमिहार में नेता तलाश रहा आरजेडी: दरअसल, मंत्रिमंडल का विस्तार इसलिए भी फंसा है क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल अपने कोटे से 2 लोगों को मंत्री बनाना चाहता है. आरजेडी उन्हीं जातियों से मंत्री बनाना चाहता है जो पिछली बार मंत्री पद हटे थे. सुधाकर सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं और कार्तिक सिंह भूमिहार समुदाय से आते हैं तो आरजेडी के लिए इन दोनों समुदाय से नेता तलाशने में दिक्कत हो रही है.

इन दो नामों पर लग सकती है मुहर: इन दोनों जातियों में तेजस्वी यादव और लालू यादव के विश्वासपात्र जो विधायक होंगे, वही मंत्री बनेंगे और इसकी तलाश पिछले 5 महीने से जारी है. अब तक आरजेडी आलाकमान इन दोनों जातियों में नेता ढूंढने में कामयाब नहीं हो पाया है और यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार में 2 नाम अब तक आरजेडी ने नहीं दिए हैं. सूत्रों की मानें तो भूमिहार कोटे से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी और राजपूत कोटे से डब्लू सिंह और आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद का नाम चल रहा है.

कांग्रेस की डिमांड दो मंत्री पद मिले: इधर, कांग्रेस बिहार मंत्रिमंडल में शामिल तो है लेकिन मंत्रिमंडल के विस्तार में वह अपने लिए दो और मंत्री पद चाहती है. कांग्रेस के पहले से दो मंत्री सरकार में शामिल है. कांग्रेस ने डिमांड किया है कि उन्हें दो और मंत्री पद मिलना चाहिए. पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने साफ कहा था कि संख्या के आधार पर बिहार मंत्रिमंडल में 4 मंत्री पद कांग्रेस को मिलना चाहिए और उसी के डिमांड को लेकर कांग्रेस आला कमान लगातार नीतीश कुमार के संपर्क में है.

आरजेडी की सहमति भी जरूरी: हालांकि 2 नामों पर सहमति अब तक नहीं बन पाई है. कांग्रेस को दो मंत्री पद और मिले इसको लेकर नीतीश कुमार को अकेले फैसला नहीं लेना है. इसके लिए आरजेडी की भी सहमति की जरूरत है. कांग्रेस इस बार अगड़ी जाति से एक मंत्री बनाना चाहती है, जिसमें विजय शंकर दूबे का नाम चल रहा है. दूसरे मंत्री के लिए अतिपिछड़ी समाज से आने वाले विजेंद्र चौधरी का नाम चल रहा है. हालाकि कांग्रेस विधायक नीतू सिंह ने भी मंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की है.

नीतीश कुमार ने झट से बनाया मंत्री: मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा पिछले 5-6 महीनों से चल रही है. एक-दो दिन कहते-कहते अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो पाया है. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन मांझी ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया तो नीतीश कुमार ने तुरंत अपने दलित विधायक रत्नेश सदा को मंत्री बना दिया. मंत्रिमंडल का विस्तार इतने आनन-फानन में हुआ कि सहयोगी दल सोच भी नहीं पाए कि लगे हाथों अपने विधायकों को भी मंत्री पद पर शपथ ग्रहण करा लें. कांग्रेस और आरजेडी अपने दल के विधायकों के नाम चयन करते, तब तक नीतीश कुमार ने रत्नेश सदा का शपथ ग्रहण भी करा दिया और उन्हें पोर्टफोलियो भी दे दिया.

तेजस्वी के पास कई विभागों की जिम्मेदारी: मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने की वजह से कई मंत्री कई विभागों की जिम्मेदारी उठा रहे हैं. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास 2005 से ही पांच विभाग रहे हैं लेकिन तेजस्वी यादव भी इन से कम नहीं है. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पास पांच विभागों की जिम्मेदारी है. जिसमें स्वास्थ, पथ निर्माण, नगर विकास एवं आवास, ग्रामीण कार्य और पर्यटन विभाग शामिल है.

जेडीयू कोटे के तीन मंत्रियों को कई विभाग: वहीं विजय कुमार चौधरी के पास वित्त विभाग, वाणिज्य कर विभाग और संसदीय कार्य विभाग की जिम्मेदारी है. मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के पास दो विभागों की जिम्मेदारी है. जिसमें ऊर्जा विभाग और योजना एवं विकास विभाग शामिल है. मंत्री संजय कुमार झा भी दो विभाग संभालते हैं. जिसमें जल संसाधन विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग शामिल है. ये तीनों जेडीयू कोटे से मंत्री हैं लेकिन, आरजेडी कोटे मंत्रियों के पास एक-एक विभाग ही है. हालांकि तेजस्वी यादव अकेले 5 महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार की वजह से कोई काम रुका नहीं: वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडे बताते हैं बिहार के महागठबंधन सरकार के लिए मंत्रिमंडल विस्तार बहुत जरूरी नहीं है. इस विस्तार के बगैर कोई काम रुका नहीं है. हालांकि तेजस्वी यादव के पास कई ऐसे विभाग हैं, जिसका वजन काफी है. उनके दल की तरफ से मंत्री बन जाने चाहिए थे. लेकिन वहां विश्वासपात्र राजपूत और भूमिहार नेताओं की तलाश हो रही है. इसलिए वक्त लग रहा है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष लगातार देते हैं बयान: दूसरी तरफ कांग्रेस को महागठबंधन की सरकार एक मंत्री पद देना चाहती है लेकिन कांग्रेस और दो मंत्री पद चाहती है. उनके प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह लगातार इस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बयानबाजी करते रहे हैं. जिसे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पसंद नहीं करते हैं. इसलिए भी मंत्रिमंडल का विस्तार में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है.

पटना: बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार अधर में लटका हुआ है. मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने के पीछे कई कारण है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सार्वजनिक जगहों पर मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल को सीधे अपने सहयोगी दलों के सामने डाल देते हैं. ऐसे में सहयोगी दल इस मंत्रिमंडल विस्तार पर कुछ भी साफ-साफ कहने से बचते हैं. बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जिस दल को जितना कोटा चाहिए उतने मंत्री नहीं बन पाए हैं.

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4 से 5 मंत्री बनाने की चर्चा: आरजेडी से अभी दो मंत्री बनने हैं तो वहीं कांग्रेस दो मंत्री पद की डिमांड कर रही है. महागठबंधन के इन दलों में कौन मंत्री बनेगा इस पर फैसला नहीं हो पाया है. मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल विस्तार की पूरी गेंद अपने गठबंधन के दलों के पाले में डाल दिया है. 243 सदस्यों वाले बिहार विधानसभा में कुल 15% यानी की मुख्यमंत्री समेत कुल 36 मंत्री हो सकते हैं. मौजूदा स्थिति के मुताबिक, फिलहाल महागठबंधन की सरकार में 15 मंत्री आरजेडी कोटे से है, नीतीश कुमार समेत 13 मंत्री जनता दल यूनाइटेड कोटे से है, 2 मंत्री कांग्रेस कोटे से हैं और 1 मंत्री निर्दलीय है. इस वक्त बिहार सरकार में 31 मंत्री हैं और 5 और को मंत्री बनाया जा सकता है.

राजपूत-भूमिहार में नेता तलाश रहा आरजेडी: दरअसल, मंत्रिमंडल का विस्तार इसलिए भी फंसा है क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल अपने कोटे से 2 लोगों को मंत्री बनाना चाहता है. आरजेडी उन्हीं जातियों से मंत्री बनाना चाहता है जो पिछली बार मंत्री पद हटे थे. सुधाकर सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं और कार्तिक सिंह भूमिहार समुदाय से आते हैं तो आरजेडी के लिए इन दोनों समुदाय से नेता तलाशने में दिक्कत हो रही है.

इन दो नामों पर लग सकती है मुहर: इन दोनों जातियों में तेजस्वी यादव और लालू यादव के विश्वासपात्र जो विधायक होंगे, वही मंत्री बनेंगे और इसकी तलाश पिछले 5 महीने से जारी है. अब तक आरजेडी आलाकमान इन दोनों जातियों में नेता ढूंढने में कामयाब नहीं हो पाया है और यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार में 2 नाम अब तक आरजेडी ने नहीं दिए हैं. सूत्रों की मानें तो भूमिहार कोटे से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी और राजपूत कोटे से डब्लू सिंह और आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद का नाम चल रहा है.

कांग्रेस की डिमांड दो मंत्री पद मिले: इधर, कांग्रेस बिहार मंत्रिमंडल में शामिल तो है लेकिन मंत्रिमंडल के विस्तार में वह अपने लिए दो और मंत्री पद चाहती है. कांग्रेस के पहले से दो मंत्री सरकार में शामिल है. कांग्रेस ने डिमांड किया है कि उन्हें दो और मंत्री पद मिलना चाहिए. पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने साफ कहा था कि संख्या के आधार पर बिहार मंत्रिमंडल में 4 मंत्री पद कांग्रेस को मिलना चाहिए और उसी के डिमांड को लेकर कांग्रेस आला कमान लगातार नीतीश कुमार के संपर्क में है.

आरजेडी की सहमति भी जरूरी: हालांकि 2 नामों पर सहमति अब तक नहीं बन पाई है. कांग्रेस को दो मंत्री पद और मिले इसको लेकर नीतीश कुमार को अकेले फैसला नहीं लेना है. इसके लिए आरजेडी की भी सहमति की जरूरत है. कांग्रेस इस बार अगड़ी जाति से एक मंत्री बनाना चाहती है, जिसमें विजय शंकर दूबे का नाम चल रहा है. दूसरे मंत्री के लिए अतिपिछड़ी समाज से आने वाले विजेंद्र चौधरी का नाम चल रहा है. हालाकि कांग्रेस विधायक नीतू सिंह ने भी मंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की है.

नीतीश कुमार ने झट से बनाया मंत्री: मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा पिछले 5-6 महीनों से चल रही है. एक-दो दिन कहते-कहते अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो पाया है. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन मांझी ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया तो नीतीश कुमार ने तुरंत अपने दलित विधायक रत्नेश सदा को मंत्री बना दिया. मंत्रिमंडल का विस्तार इतने आनन-फानन में हुआ कि सहयोगी दल सोच भी नहीं पाए कि लगे हाथों अपने विधायकों को भी मंत्री पद पर शपथ ग्रहण करा लें. कांग्रेस और आरजेडी अपने दल के विधायकों के नाम चयन करते, तब तक नीतीश कुमार ने रत्नेश सदा का शपथ ग्रहण भी करा दिया और उन्हें पोर्टफोलियो भी दे दिया.

तेजस्वी के पास कई विभागों की जिम्मेदारी: मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने की वजह से कई मंत्री कई विभागों की जिम्मेदारी उठा रहे हैं. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास 2005 से ही पांच विभाग रहे हैं लेकिन तेजस्वी यादव भी इन से कम नहीं है. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पास पांच विभागों की जिम्मेदारी है. जिसमें स्वास्थ, पथ निर्माण, नगर विकास एवं आवास, ग्रामीण कार्य और पर्यटन विभाग शामिल है.

जेडीयू कोटे के तीन मंत्रियों को कई विभाग: वहीं विजय कुमार चौधरी के पास वित्त विभाग, वाणिज्य कर विभाग और संसदीय कार्य विभाग की जिम्मेदारी है. मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के पास दो विभागों की जिम्मेदारी है. जिसमें ऊर्जा विभाग और योजना एवं विकास विभाग शामिल है. मंत्री संजय कुमार झा भी दो विभाग संभालते हैं. जिसमें जल संसाधन विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग शामिल है. ये तीनों जेडीयू कोटे से मंत्री हैं लेकिन, आरजेडी कोटे मंत्रियों के पास एक-एक विभाग ही है. हालांकि तेजस्वी यादव अकेले 5 महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार की वजह से कोई काम रुका नहीं: वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडे बताते हैं बिहार के महागठबंधन सरकार के लिए मंत्रिमंडल विस्तार बहुत जरूरी नहीं है. इस विस्तार के बगैर कोई काम रुका नहीं है. हालांकि तेजस्वी यादव के पास कई ऐसे विभाग हैं, जिसका वजन काफी है. उनके दल की तरफ से मंत्री बन जाने चाहिए थे. लेकिन वहां विश्वासपात्र राजपूत और भूमिहार नेताओं की तलाश हो रही है. इसलिए वक्त लग रहा है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष लगातार देते हैं बयान: दूसरी तरफ कांग्रेस को महागठबंधन की सरकार एक मंत्री पद देना चाहती है लेकिन कांग्रेस और दो मंत्री पद चाहती है. उनके प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह लगातार इस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बयानबाजी करते रहे हैं. जिसे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पसंद नहीं करते हैं. इसलिए भी मंत्रिमंडल का विस्तार में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है.

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