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निचली अदालतों में वकीलों के बैठने की व्यवस्था को लेकर सुनवाई, 10 जनवरी को फिर होगी बहस - ETV Bharat News

Patna High Court News बिहार की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने की बुनियादी व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. बिहार बार राज्य काउंसिल के अध्यक्ष (Bihar State Bar Council President) रमाकांत शर्मा की याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की. इस मामले पर अगली सुनवाई 10 जनवरी को की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jan 4, 2023, 8:35 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट (Patna High Court ) ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामले में सुनवाई हुई. वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ (Bench of Chief Justice Sanjay Karol) ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बताने को कहा कि क्या राज्य के वकीलों के लिए बनने वाले भवनों का निर्माण सरकारी विभाग से किया जा सकता है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध धनराशि का उपयोग नहीं होगा, तो अगले वित्तीय वर्ष में ये धनराशि उपलब्ध नहीं हो पाएगी. इस मामलें पर अगली सुनवाई 10 जनवरी को की जाएगी.

ये भी पढ़ें : निचली अदालतों में वकीलों के बैठने की व्यवस्था नहीं, सुनवाई के दौरान HC ने विधि सचिव को किया तलब


भवन निर्माण विभाग करें तो काम आएगी तेजी: याचिकाकर्ता बिहार राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण विभाग करें तो काम तेजी से हो सकेगा. ठेकेदारी के काम में विलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा. उन्होंने कहा कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है. वरीय अधिवक्ता शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते हैं. लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध हैं. भवन की भी काफी कमी है. बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है.


वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का अभाव: उन्होंने कोर्ट को बताया कि वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है. शुद्ध पेय जल, शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है, वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है. जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया है. इससे पूर्व की सुनवाई कोर्ट ने जानना चाहा था कि केंद्र सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई गई है, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. कोर्ट ने भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था.

पटना : पटना हाईकोर्ट (Patna High Court ) ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामले में सुनवाई हुई. वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ (Bench of Chief Justice Sanjay Karol) ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बताने को कहा कि क्या राज्य के वकीलों के लिए बनने वाले भवनों का निर्माण सरकारी विभाग से किया जा सकता है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध धनराशि का उपयोग नहीं होगा, तो अगले वित्तीय वर्ष में ये धनराशि उपलब्ध नहीं हो पाएगी. इस मामलें पर अगली सुनवाई 10 जनवरी को की जाएगी.

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भवन निर्माण विभाग करें तो काम आएगी तेजी: याचिकाकर्ता बिहार राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण विभाग करें तो काम तेजी से हो सकेगा. ठेकेदारी के काम में विलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा. उन्होंने कहा कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है. वरीय अधिवक्ता शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते हैं. लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध हैं. भवन की भी काफी कमी है. बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है.


वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का अभाव: उन्होंने कोर्ट को बताया कि वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है. शुद्ध पेय जल, शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है, वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है. जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया है. इससे पूर्व की सुनवाई कोर्ट ने जानना चाहा था कि केंद्र सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई गई है, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. कोर्ट ने भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था.

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