पटना: कोरोना वायरस (Coronavirus) का म्यूटेशन चिंता का विषय बना हुआ है. इसके बदलते वेरिएंट चिकित्सा जगत की परेशानी बढ़ा रहे हैं. कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की पहली लहर अल्फा वेरिएंट के चलते आई थी. दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) ने तबाही मचाई. डेल्टा वेरिएंट में हुए म्यूटेशन के चलते अब देश में कप्पा वेरिएंट ने भी दस्तक दी है.
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बिहार की सीमा से 55 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कप्पा वेरिएंट का मामला सामने आया है. यह देश में कोरोना के नए वेरिएंट का पहला केस है. जिस व्यक्ति में कप्पा वेरिएंट मिला है उसकी ट्रेवल हिस्ट्री रही है. वह बिहार से यूपी जाने वाली ट्रेन में देवरिया से बैठकर गोरखपुर गया था. इसके अलावा कोरोना वायरस के लैंब्डा वेरिएंट ने भी चिंता बढ़ा दी हैं. 36 से अधिक देशों में इस वेरिएंट के मामले सामने आए हैं. चिकित्सा जगत के एक्सपर्ट कप्पा वेरिएंट और लैंब्डा वेरिएंट को पहले के वेरिएंट से कई गुना ज्यादा खतरनाक बता रहे हैं.
पटना एम्स (AIIMS Patna) के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अनिल कुमार ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से कोरोना के नए-नए वेरिएंट से लोग काफी परेशान दिख रहे हैं. अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, डेल्टा प्लस और इसके बाद अब लैंब्डा और कप्पा वेरिएंट ने परेशानी बढ़ा दी है. वायरस की प्रॉपर्टी होती है कि वह अपना आकार बदलता रहता है. इसे साइंटिफिक टर्म में म्यूटेशन कहा जाता है. वायरस में म्यूटेशन होना और कुछ स्पेसिफिक जगह पर इसका पाया जाना, इसके आधार पर इसका क्लासिफिकेशन किया गया है.
डॉ अनिल कुमार ने कहा, "पहले वायरस के नए वेरिएंट का नाम देश के नाम पर (जैसे- ब्रिटेन वेरिएंट, अफ्रीकन वेरिएंट इत्यादि) रखा गया जाता था, जो सही नहीं था. ऐसे में ग्रीक अल्फाबेट (अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, डेल्टा प्लस और लैंब्डा) के आधार पर वायरस के वेरिएंट का क्लासिफिकेशन किया गया. वायरस का सबसे पहला स्ट्रेन अल्फा आया. यह सबसे पहले यूके में पाया गया B.1.1.7 है. इसके बाद कोरोना वायरस का नया वेरिएंट B.1.351 मिला. इसे बीटा कहा गया. यह साउथ अफ्रीका में डिटेक्ट हुआ. इसके बाद गामा वेरिएंट आया, जो ब्राजील में डिटेक्ट हुआ. इसके बाद वायरस के बदलते वेरिएंट में भारत के वेरिएंट का नंबर आया. भारत में कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट मिला. इसके तुरंत बाद डेल्टा प्लस वेरिएंट मिला."
डॉक्टर अनिल कुमार ने कहा, "बीते कुछ दिनों से कोरोना वायरस का लैंब्डा वेरिएंट C.37 चर्चा में है. यह सबसे पहले साउथ अमेरिका के पेरु में पाया गया. यह 30 से अधिक देशों में फैल चुका है. अच्छी बात यह है कि भारत में इसका एक भी मामला नहीं मिला है. लैंब्डा वेरिएंट के बारे में दो मुख्य बातें बताई जा रहीं हैं. यह काफी तेजी से फैलता है. यह शरीर के वायरस के खिलाफ बने एंटीबॉडी को मात देने में भी सक्षम है. यानी कि वैक्सीन लेने के बाद जो एंटीबॉडी बनी है उसे यह मात देने में सक्षम है. लैंब्डा में L452Q और F490S म्यूटेशन हुआ है. यानी कि 2 म्यूटेशन हुआ है. इसके चलते इसे डबल म्यूटेंट वायरस कहते हैं."
डॉक्टर अनिल कुमार ने कहा, "वायरस के बारे में 2 बातें कही जाती हैं. वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट और वेरिएंट ऑफ कंसर्न. कोरोना वायरस के लैंब्डा वेरिएंट की बात करें चाहे कप्पा वेरिएंट की. ये सभी वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट हैं. वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट का मतलब होता है कि जिस वायरस का कम्युनिटी में ट्रांसमिशन हो रहा हो. एक साथ बहुत सारे मामले मिल रहे हों, कई देशों में फैल चुका हो और मल्टीपल म्यूटेशन हो रहा हो.
"कप्पा वेरिएंट B.1.617.1 के नाम से जाना जाता है. इसमें डबल म्यूटेशन (E484Q और L452R) हुआ है. यह भी इंडिया में ही डिटेक्ट हुआ है. इससे बचाव का एकमात्र उपाय मास्क पहनना और वैक्सीन लगवाना है. इसके साथ ही अनावश्यक ट्रैवल से बचना जरूरी है. अगर यह फॉलो करते हैं तो निश्चित रूप से संक्रमित होने से बच सकते हैं. इसके साथ ही अगर इसके कम्युनिटी में ट्रांसमिशन को रोकना है तो जरूरी है कि जहां भी यह वेरिएंट मिलता है उस इलाके को लॉक करें. टेस्टिंग और ट्रैकिंग बढ़ाएं. वैक्सीनेशन बढ़-चढ़कर कराएं."- डॉक्टर अनिल कुमार, वरिष्ठ चिकित्सक, पटना एम्स
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