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Masaurhi News: पुनपुन नदी के तट पर बसे खैनिया गांव में तटबंध सुरक्षा भगवान भरोसे, ग्रामीणों में आक्रोश - Negligence in embankment security

पटना के ग्रामीण इलाकों में पुनपुन नदी, दरघा नदी और मोरहर नदी के किनारे पर बसे हुए गांव में हर साल लोग दहशत में रहते हैं. पटना से 45 किलोमीटर की दूरी पर पुनपुन नदी के किनारे बसे खैनिया गांव के लोग इस बार भी दहशत में हैं. क्योंकि तटबंध सुरक्षा के नाम पर हर साल खानापूर्ति होती है. पढ़ें पूरी खबर..

पुनपुन तटबंध की सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति
पुनपुन तटबंध की सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति
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Published : Jun 2, 2023, 12:21 PM IST

तटबंध सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति

पटना: राजधानी राजधानी पटना से 45 किलोमीटर की दूरी पर मसौढ़ी प्रखंड के भगवानगंज थाना क्षेत्र का खैनिया गांव पुनपुन नदी के किनारे पर बसा हुआ है. गांव में तकरीबन 200 घर यानी 500 की आबादी वाला यह गांव है. इस गांव में प्रत्येक साल बाढ़ की विपदा आती है. जिसमें दर्जनों घर तबाह हो जाते हैं. पूरा गांव टापू में तब्दील हो जाता है और प्रत्येक साल तटबंध के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति (Negligence in embankment security) होती है.

ये भी पढ़ें- सीतामढ़ी में बागमती के तटबंध में कटाव, सालाना मरम्मत के नाम पर लाखों खर्च के बाद भी..

तटबंध सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति: तस्वीरों में साफ है कि पिछले साल तटबंध मरम्मत के नाम पर बोरा से भरा हुआ बैग इस बार क्षत-विक्षत हो चुका है. 1 साल भी वह बैग टिक नहीं पाया है. ठेकेदारों की मनमानी के कारण इस बार भी बाढ़ विपदा से पूरा गांव भयभीत है. बाढ़ के दौरान गांव से निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं बचता है और न ही कोई सरकारी नाव की व्यवस्था होती हैं. ऐसे में ग्रामीणों में गुस्सा पनप रहा है कि हर साल तक तटबंध सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है और ठिकेदार की मनमाने रवैए से लाखों रुपए की उगाही करते हैं.

ग्रामीणों में आक्रोश: एक तरफ सरकार बाढ़ से पहले लगातार उच्च स्तरीय बैठक कर रही है. जिलाधिकारी भी जायजा ले रहे हैं. लेकिन खैनिया गांव समेत कई गांव बाढ़ पीड़ित क्षेत्र रहा है और दर्जनों घर अब तक तबाह हो चुके हैं. खैनिया गांव के जितेंद्र कुमार, उदय सिंह ,मोहम्मद खालिद, मोहम्मद अफरोज, मोहम्मद सुल्तानी, सूर्य देव यादव, विनय कुमार आदि लोग ने बताया कि प्रत्येक साल बाढ़ आने पर गांव के लोग परेशान हो जाते हैं घर छोड़कर दूसरे जगह चले जाते हैं. आने जाने का कोई रास्ता नहीं होता है और तटबंध मरम्मत के नाम पर यहां खानापूर्ति होती है. वहीं, मसौढ़ी एसडीएम प्रीति कुमारी ने लोगों को आश्वासन दिया है कि इस वर्ष कोताही नहीं बरती जाएगी. गांव को सुरक्षित किया जाएगा.

तटबंध सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति

पटना: राजधानी राजधानी पटना से 45 किलोमीटर की दूरी पर मसौढ़ी प्रखंड के भगवानगंज थाना क्षेत्र का खैनिया गांव पुनपुन नदी के किनारे पर बसा हुआ है. गांव में तकरीबन 200 घर यानी 500 की आबादी वाला यह गांव है. इस गांव में प्रत्येक साल बाढ़ की विपदा आती है. जिसमें दर्जनों घर तबाह हो जाते हैं. पूरा गांव टापू में तब्दील हो जाता है और प्रत्येक साल तटबंध के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति (Negligence in embankment security) होती है.

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तटबंध सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति: तस्वीरों में साफ है कि पिछले साल तटबंध मरम्मत के नाम पर बोरा से भरा हुआ बैग इस बार क्षत-विक्षत हो चुका है. 1 साल भी वह बैग टिक नहीं पाया है. ठेकेदारों की मनमानी के कारण इस बार भी बाढ़ विपदा से पूरा गांव भयभीत है. बाढ़ के दौरान गांव से निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं बचता है और न ही कोई सरकारी नाव की व्यवस्था होती हैं. ऐसे में ग्रामीणों में गुस्सा पनप रहा है कि हर साल तक तटबंध सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है और ठिकेदार की मनमाने रवैए से लाखों रुपए की उगाही करते हैं.

ग्रामीणों में आक्रोश: एक तरफ सरकार बाढ़ से पहले लगातार उच्च स्तरीय बैठक कर रही है. जिलाधिकारी भी जायजा ले रहे हैं. लेकिन खैनिया गांव समेत कई गांव बाढ़ पीड़ित क्षेत्र रहा है और दर्जनों घर अब तक तबाह हो चुके हैं. खैनिया गांव के जितेंद्र कुमार, उदय सिंह ,मोहम्मद खालिद, मोहम्मद अफरोज, मोहम्मद सुल्तानी, सूर्य देव यादव, विनय कुमार आदि लोग ने बताया कि प्रत्येक साल बाढ़ आने पर गांव के लोग परेशान हो जाते हैं घर छोड़कर दूसरे जगह चले जाते हैं. आने जाने का कोई रास्ता नहीं होता है और तटबंध मरम्मत के नाम पर यहां खानापूर्ति होती है. वहीं, मसौढ़ी एसडीएम प्रीति कुमारी ने लोगों को आश्वासन दिया है कि इस वर्ष कोताही नहीं बरती जाएगी. गांव को सुरक्षित किया जाएगा.

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