गया: माओवादियों का शीर्ष लीडर में से एक प्रमोद मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद भले ही सुरक्षा बलों के जवानों ने राहत की सांस ली है. पर उसके आतंक के इतिहास को खंगाले तो आज भी रूह कांप उठता है. 1970 में प्रमोद मिश्रा माओवादी संगठन में जुड़ा और धीरे-धीरे इसके शीर्ष पर पहुंचा.
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कई राज्यों की पुलिस तलाश रही थी: 53 साल में प्रमोद मिश्रा में कई ऐसे कांडों को परोक्ष या अपरोक्ष रूप में अंजाम दिया जिसे भूला पाना मुश्किल है. इसकी गतिविधियां बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा समेत अन्य राज्यों में रही है. सीआरपीएफ, एसटीएफ, कोबरा, एसएसबी, बिहार पुलिस को सरगर्मी से इसकी तलाश थी.
1970 से नक्सली संगठनों में सक्रिय था प्रमोद मिश्रा: एसएसपी आशीष भारती ने बताया कि शीर्ष नक्सली लीडर प्रमोद मिश्रा 1970 से विभिन्न नक्सली संगठनों से जुड़ा था. यह भाकपा माओवादी के सेंट्रल कमेटी के शीर्ष लीडर हैं. वहीं, इस्टर्न मेंबर ब्यूरो चीफ भी है. ये नक्सली संगठन को पुनर्जीवित करने की कोशिश में जुटा हुआ था.
50 नक्सली केस दर्ज: 2019 में प्रमोद मिश्रा के नेतृत्व में नक्सली जुटे थे, जिस दौरान मुठभेड़ में आईईडी का ब्लास्ट हुआ था और कोबरा के सब इंस्पेक्टर रोशन कुमार शहीद हो गए थे. प्रमोद मिश्रा के खिलाफ बिहार के सिर्फ गया और औरंगाबाद की बात करें तो तकरीबन 50 नक्सली केस दर्ज हैं.
पहले मर्डर किया, फिर फांसी पर टांग दिया: प्रमोद मिश्रा की देखरेख में देश के कई राज्यों में विध्वंसक नक्सली वारदातों को अंजाम दिया जाता रहा है. बिहार में झकझोर देने वाले वारदातों की बात करें तो ऐसी नक्सली वारदातों में एक गया में वर्ष 2021 में एक ही परिवार के 4 लोगों की हत्या प्रमोद मिश्रा के आदेश पर कर दी गई थी. हत्या की घटना के तरीके से यह देश की सुर्खियों में आया था और इसमें प्रमोद मिश्रा का नाम प्रमुखता से उभरा था. एक ही परिवार के दो युवकों और उनकी पत्नी को फांसी पर टांग दिया गया था. उसके बाद घर को बम लगाकर उड़ा दिया था.