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Navratri 2019: प्रथम दिन देवी मां शैलपुत्री का करें दर्शन-पूजन

शारदीय नवरात्रि की शुरूआत रविवार 29 सितंबर से हो गयी. शिव की नगरी काशी शक्ति की आराधना में लीन हो जाती है. नवरात्र में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना की जाती है.

प्रथम दिन देवी मां शैलपुत्री का करें दर्शन-पूजन
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Published : Sep 29, 2019, 10:11 AM IST

वाराणसी/पटना: देवी उपासना का पर्व नवरात्र रविवार से शुरू हो रहा है. 9 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में पहला दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि सही समय में देवी की कलश स्थापना, देवी का आगमन किन परिस्थितियों में हो रहा है, इन चीजों से पूरे साल का निर्धारण होता है.

देव लोक से गज पर होगा आगमन

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा का आगमन देव लोक से धरती लोक पर इस बार गज यानी हाथी पर हो रहा है, जो शुभ संकेत है. देवी के आगमन से धरती पर बारिश की अच्छी मौजूदगी से किसानों को फायदा होगा, लेकिन 9 दिनों तक सेवा भाव करवाने के बाद देवी का गमन यानी उनका जाना पैदल हो रहा है तो शुभ संकेत नहीं है. जिससे देश में धन हानि की संभावना प्रबल है.

प्रथम दिन देवी मां शैलपुत्री का करें दर्शन-पूजन

ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी कहते हैं कि नवरात्रि 3 तरह की होती हैं. एक गुप्त नवरात्रि, दूसरी शांति नवरात्रि, तीसरी शारदीय नवरात्रि. गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना के लिए गोपनीय तरीके से की जाने वाली नवरात्रि है, जबकि वो शांति नवरात्रि गर्मी के महीने में पड़ने वाली व शारदीय नवरात्र बारिश के मौसम के खत्म होने के बाद शरद ऋतु के आगमन का संकेत देने वाली होती है. इन तीनों नवरात्रि में देवी की आराधना उसी श्रद्धा भाव से की जाती है.

कलश स्थापना का उपयुक्त समय

इस बार भद्रा का ना होना कलश स्थापना के लिए उपयुक्त समय माना जा रहा है, लेकिन कलश स्थापना के लिए सबसे उत्तम समय सुबह 6:00 से 8:00 के बीच का है. पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि सुबह स्नान ध्यान करने के बाद मिट्टी को मंदिर के आसपास जहां कलश स्थापना करना हो, वहां बिछाकर उसमें जौ फैला दें. इसके बाद आम के पत्तों को एक तांबे, मिट्टी या पीतल के कलश में जल भरकर उसके ऊपर नारियल रखकर देवी का आह्नवान करें.

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।

इन मंत्रों से देवी का ध्यान लगाकर उनको कलश पर रखे. फिर कलश के नारियल पर चुन्नी डालकर का पूजा-पाठ शुरू करें. पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि देवी को अति प्रिय नारियल की मिठाईयां है. इसके अलावा लौंग भी देवी को अति प्रिय है. इसका भोग भी उनको लगाना चाहिए. अड़हुल का लाल फूल देवी को चढ़ाया जाना चाहिए और कपूर की आरती नित्य प्रतिदिन करनी चाहिए. 9 दिनों तक इन सारी चीजों का ध्यान रखकर देवी के आराधना में लीन रहेने से देवी की विशेष कृपा मिलेगी.

वाराणसी/पटना: देवी उपासना का पर्व नवरात्र रविवार से शुरू हो रहा है. 9 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में पहला दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि सही समय में देवी की कलश स्थापना, देवी का आगमन किन परिस्थितियों में हो रहा है, इन चीजों से पूरे साल का निर्धारण होता है.

देव लोक से गज पर होगा आगमन

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा का आगमन देव लोक से धरती लोक पर इस बार गज यानी हाथी पर हो रहा है, जो शुभ संकेत है. देवी के आगमन से धरती पर बारिश की अच्छी मौजूदगी से किसानों को फायदा होगा, लेकिन 9 दिनों तक सेवा भाव करवाने के बाद देवी का गमन यानी उनका जाना पैदल हो रहा है तो शुभ संकेत नहीं है. जिससे देश में धन हानि की संभावना प्रबल है.

प्रथम दिन देवी मां शैलपुत्री का करें दर्शन-पूजन

ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी कहते हैं कि नवरात्रि 3 तरह की होती हैं. एक गुप्त नवरात्रि, दूसरी शांति नवरात्रि, तीसरी शारदीय नवरात्रि. गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना के लिए गोपनीय तरीके से की जाने वाली नवरात्रि है, जबकि वो शांति नवरात्रि गर्मी के महीने में पड़ने वाली व शारदीय नवरात्र बारिश के मौसम के खत्म होने के बाद शरद ऋतु के आगमन का संकेत देने वाली होती है. इन तीनों नवरात्रि में देवी की आराधना उसी श्रद्धा भाव से की जाती है.

कलश स्थापना का उपयुक्त समय

इस बार भद्रा का ना होना कलश स्थापना के लिए उपयुक्त समय माना जा रहा है, लेकिन कलश स्थापना के लिए सबसे उत्तम समय सुबह 6:00 से 8:00 के बीच का है. पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि सुबह स्नान ध्यान करने के बाद मिट्टी को मंदिर के आसपास जहां कलश स्थापना करना हो, वहां बिछाकर उसमें जौ फैला दें. इसके बाद आम के पत्तों को एक तांबे, मिट्टी या पीतल के कलश में जल भरकर उसके ऊपर नारियल रखकर देवी का आह्नवान करें.

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।

इन मंत्रों से देवी का ध्यान लगाकर उनको कलश पर रखे. फिर कलश के नारियल पर चुन्नी डालकर का पूजा-पाठ शुरू करें. पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि देवी को अति प्रिय नारियल की मिठाईयां है. इसके अलावा लौंग भी देवी को अति प्रिय है. इसका भोग भी उनको लगाना चाहिए. अड़हुल का लाल फूल देवी को चढ़ाया जाना चाहिए और कपूर की आरती नित्य प्रतिदिन करनी चाहिए. 9 दिनों तक इन सारी चीजों का ध्यान रखकर देवी के आराधना में लीन रहेने से देवी की विशेष कृपा मिलेगी.

Intro:स्पेशल: नवरात्र

वाराणसी: देवी उपासना का पर्व नवरात्र आज से शुरू हो रहा है 9 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में पहला दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि सही समय में देवी की कलश स्थापना देवी का आगमन किन परिस्थितियों में हो रहा है. इन चीजों से पूरे साल का निर्धारण होता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा का आगमन देव लोक से धरती लोक पर इस बार गज यानी हाथी पर हो रहा है जो शुभ संकेत है. देवी के आगमन से धरती पर बारिश की अच्छी मौजूदगी से किसानों को फायदा होगा लेकिन 9 दिनों तक सेवा भाव करवाने के बाद देवी का गमन यानी उनका जाना पैदल हो रहा है तो शुभ संकेत नहीं है.


Body:वीओ-01 इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि नवरात्रि 3 तरह की होती हैं एक गुप्त नवरात्रि दूसरी बार शांति नवरात्रि तीसरी शारदीय नवरात्रि गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना के लिए गोपनीय तरीके से की जाने वाली नवरात्रि है, जबकि वो शांति नवरात्रि गर्मी के महीने में पड़ने वाली व शारदीय नवरात्र बारिश के मौसम के खत्म होने के बाद शरद ऋतु के आगमन का संकेत देने वाली होती है. इन तीनों नवरात्रि में देवी की आराधना उसी श्रद्धा भाव से की जाती है पहले दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है कलश स्थापना जिसके लिए इस बार भद्रा का ना होना 12:00 बजे से पहले किसी भी वक्त कलश स्थापना के लिए उपयुक्त समय माना जा रहा है लेकिन सबसे उत्तम समय सुबह 6:00 से 8:00 के बीच होता है इस दौरान ही कलश स्थापना सबसे बेहतर है. पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि सुबह स्नान ध्यान करने के बाद मिट्टी को मंदिर के आसपास याद जहां स्थापना करने वहां बिछाकर उसमें जौं फैला दें इसके बाद आम के पत्तों को एक तांबे मिट्टी या पीतल के कलश में जल भरकर उसके ऊपर रखने के बाद उस पर नारियल रखकर देवी का आवाहन करें या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता या जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी इन मंत्रों से देवी का ध्यान लगाकर उनको कलश पर रखे. नारियल में आवाहन करें और फिर कलश के नारियल पर चुन्नी डालकर का पूजन पाठ शुरू करें.


Conclusion:वीओ-02 पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि देवी को अति प्रिय नारियल की मिठाईयां है. इसके अलावा लौंग भी देवी को अति प्रिय है इसका भोग भी उनको लगाना चाहिए. अड़हुल का लाल फूल देवी को चढ़ाया जाना चाहिए और कपूर की आरती नित्य प्रतिदिन करनी चाहिए क्योंकि कपूर से आरती देवी को अति प्रिय है 9 दिनों तक इन सारी चीजों का ध्यान रखकर देवी के आराधना में में लीन रहे जिससे देवी की विशेष कृपा मिलेगी. पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि इन 9 दिनों के अलावा सबसे महत्वपूर्ण है देवी का आगमन और गमन. जैसा कि पहले भी बताया कि आगमन हाथी पर अच्छा फल देने वाला है लेकिन उनका पैदल जाना काफी नुकसानदायक होगा जिससे देश में धन हानि की संभावना प्रबल है.

बाईट- पंडित पवन त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य

गोपाल मिश्र

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