पटना: जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधान पार्षद उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) 10 जुलाई से बिहार यात्रा शुरू करेंगे. जदयू में शामिल होने के बाद पार्टी की तरफ से यह उनका पहला बड़ा कार्यक्रम है. यात्रा की शुरुआत पूर्वी चंपारण (East Champaran) से होगी. इसके लिए कुशवाहा शुक्रवार को पटना से रवाना हो गए. वह पहले चरण में 25 जुलाई तक यात्रा करेंगे.
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से उपेंद्र कुशवाहा ने यात्रा को लेकर चर्चा की. इसके बाद कार्यक्रम तय हुआ. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण पार्टी के साथियों से दूरी बढ़ गई थी. लोगों के मन में क्या है यह जानने की कोशिश होगी. फीडबैक के आधार पर पार्टी संगठन को मजबूत बनाने की रणनीति तैयार होगी.
"लॉकडाउन के चलते काफी गैप बन गया था. पार्टी के साथियों से मुलाकात नहीं हो पाई. आना-जाना बंद था. मेरी इच्छा थी कि लोगों के बीच जाएं. लोगों के मन में क्या है? क्या परेशानी है? पार्टी के संगठन को और मजबूत बनाने के लिए क्या करना है? इन विषयों पर विचार-विमर्श करना है."- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, संसदीय बोर्ड, जदयू
उपेंद्र कुशवाहा 10 जुलाई से पूर्वी चंपारण से यात्रा की शुरुआत करेंगे. वह 11 जुलाई को मोतिहारी, 12 जुलाई को सीतामढ़ी और 13 जुलाई को मधुबनी में यात्रा करेंगे. कुशवाहा 22 जुलाई को रोहतास, 23 जुलाई को कैमूर, 24 जुलाई को बक्सर और 25 जुलाई को भोजपुर की यात्रा करेंगे. यात्रा के दौरान दलितों के घर भूंजा और चाय पार्टी होगी.
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को बिहार यात्रा का पहला बड़ा टास्क दिया है. वह यात्रा के दौरान कुशवाहा वोट बैंक को एकजुट करेंगे. नीतीश कुमार भी चंपारण से अपनी यात्रा की शुरुआत करते रहे हैं. उन्होंने 1 दर्जन से अधिक यात्राएं की हैं. अब नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा को बिहार यात्रा पर लगाया है. उपेंद्र कुशवाहा ने पहले नीतीश कुमार के खिलाफ शिक्षा को लेकर अभियान चलाया था. अब वह नीतीश कुमार के समर्थन में अभियान चलाएंगे.
बता दें कि वैशाली के रहने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर से राजनीति में एमए किया है. उन्होंने जंदाहा कॉलेज में लेक्चरर के पद पर काम किया. 1985 से उपेंद्र कुशवाहा राजनीति में हैं. वह पहले अपना नाम उपेंद्र सिंह लिखते थे, लेकिन नीतीश कुमार के कहने पर उपेंद्र कुशवाहा लिखने लगे. बिहार में कुशवाहा जाति का वोट करीब 5% है. इसके लिए लगातार उपेंद्र कुशवाहा अपनी दावेदारी करते रहे हैं.
वह 2000 में जंदाहा से पहली बार विधानसभा का चुनाव जीते और फिर नीतीश कुमार के करीबी होते गए. 2004 में नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को विपक्ष का नेता बनाया था. 2007 में उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार से अलग हो गए. 2009 में उन्होंने समता पार्टी बनाई और लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली. वह नीतीश कुमार से दोबारा मिल गए. नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा भेजा, लेकिन विवाद के बाद 2013 में उपेंद्र कुशवाहा जदयू से फिर अलग हो गए. उन्होंने राज्यसभा से भी इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का गठन किया.
रालोसपा 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए का हिस्सा बन गई. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को लोकसभा की तीन सीटों पर जीत मिली. कुशवाहा को केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा एनडीए से अलग हो गए और महागठबंधन के साथ चुनाव लड़े. उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
2020 के विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने एआईएमआईएम और बीएसपी के साथ मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाया था. वह खुद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बने थे, लेकिन उनकी पार्टी के एक भी उम्मीदवार को जीत नहीं मिली थी. चुनाव में मिली हार के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी रालोसपा का विलय जदयू में करा दिया था. इन दिनों वह नीतीश कुमार का हाथ मजबूत करने में लगे हैं.
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