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बिहार में राष्ट्रीय लोक अदालत में 82884 मामलों का हुआ निष्पादन, 550 बेंच का किया गया था गठित - Registrar Rohit Kumar

शनिवार को साल का आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन बिहार के विभिन्न न्यायलयों में गठित 550 बेंचों में किया गया. इनमें 82884 मामलों का निष्पादन किया गया. पढ़ें पूरी खबर...

लोक अदालत
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Published : Nov 12, 2022, 9:33 PM IST

पटनाः शनिवार को साल का आखरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से साल में प्रत्येक क्वार्टर एक बार लोक अदालत का आयोजन किया जाता है और कुल चार राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित किए जाते हैं जिसमें न्यायपालिका में लंबित मामलों की सुनवाई की जाती है. इसके साथ ही कोर्ट में आने से पहले जो प्री लिटिगेशन मामले हैं, उनकी भी सुनवाई की जाती है. राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर के बिहार विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से बिहार के विभिन्न कोर्ट में कुल 550 बेंच गठित करके मामलों की सुनवाई की गई.

ये भी पढ़ें- पटना सिविल कोर्ट में लगी लोक अदालत, हजारों केस का हुआ निपटारा

साल का आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत

"राष्ट्रीय लोक अदालत में कोर्ट में लंबित मामले तो निष्पादित होते हीं हैं. इसके अलावा जो प्री लिटिगेशन के मामले हैं यानी जो मामले कोर्ट में लंबित नहीं हैं उनका भी निष्पादन किया जाता है. ऐसे में शनिवार को बिहार में राष्ट्रीय लोक अदालत में लंबित कोर्ट केसेस और प्री लिटिगेशन के मामलों को मिलाकर कुल 687855 मामले रखे गए हैं. "-रोहित कुमार, बिहार विधिक सेवा प्राधिकार के रजिस्टार

550 बेंच में कई हजार मामले का हुआ निपटाराः बिहार विधिक सेवा प्राधिकार के रजिस्ट्रार रोहित कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर पटना हाई कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और सब डिविजनल कोर्ट को मिलाकर कुल 550 बेंच तैयार किए गए थे जिनमें 82884 मामलों की सुनवाई हुई. ऐसे मामले जो सुलह योग्य हैं. चाहे वह क्रिमिनल मामले हो, चाहे सिविल मामले हो. सभी का इसमें निष्पादन किया जाता है और इसकी खासियत रहती है कि दोनों पक्षों में नेगोशिएशन किया जाता है. जिससे दोनों पक्षों की जीत होती है और कोई पक्ष हारता नहीं है.

लोक अदालत में निष्पादन मामलों को फाइनल माना जाता हैः जिस केस का राष्ट्रीय लोक अदालत में निष्पादन होता है वह फाइनल मान लिया जाता है. निष्पादन के बाद जो अवार्ड बनता है उसका डिग्री जो कोर्ट पारित करती है उसके बराबर ही रहता है. एक बार जब शुलह के आधार पर अवार्ड पास हो जाता है, उसके बाद कोई अपील नहीं करता है वह फाइनल हो जाता है. अगर किसी पार्टी को मामले को लेकर के कोर्ट फीस देना पड़ा है तो वह कोर्ट फीस भी वापस होता है. नेशनल लोक अदालत में मामले के निष्पादन में काफी कम समय लगता है और इससे लोगों का समय बचता है.


कई प्रकार के मामलों की हुई सुनवाईः रजिस्टार रोहित कुमार ने बताया कि प्री लिटिगेशन में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट अंडर सेक्शन 138 के मामले, पैसा रिकवरी के मामले, लेबर डिस्प्यूट मामले, इलेक्ट्रिसिटी और वाटर बिल संबंधित मामले, मेंटेनेंस से जुड़े मामले और क्रिमिनल में कंपाउंडेबल मामले निष्पादित किए जाते हैं.

पटना हाईकोर्ट में 6 बेंच का हुआ गठनः रोहित कुमार ने बताया कि पेंडिंग कोर्ट केसेस के मामलों की बात करें तो जितने प्रकार के मामले प्री लिटिगेशन में निष्पादित किए जाते हैं उसके अलावा मैट्रिमोनियल डिस्प्यूट (डाइवोर्स छोड़कर), जमीन अधिग्रहण के मामले, सर्विस क्षेत्र और अलॉवेंसेस से जुड़े हुए मामले और रेवेन्यू डिस्प्यूट के मामले (जो मामले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और पटना हाईकोर्ट में पेंडिंग है) ऐसे मामलों का निष्पादन किया जाता है. उन्होंने बताया कि पटना हाईकोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत के मौके पर 6 बेंच गठित किए गए हैं इसके अलावा बेतिया में सबसे अधिक 40 बेंच का गठन किया गया है और राजधानी पटना के सिविल कोर्ट की बात करें तो यहां 29 बेंच का गठन किया गया है.

ये भी पढ़ें- सारण में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, लाखों के राजस्व की हुई वसूली

पटनाः शनिवार को साल का आखरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से साल में प्रत्येक क्वार्टर एक बार लोक अदालत का आयोजन किया जाता है और कुल चार राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित किए जाते हैं जिसमें न्यायपालिका में लंबित मामलों की सुनवाई की जाती है. इसके साथ ही कोर्ट में आने से पहले जो प्री लिटिगेशन मामले हैं, उनकी भी सुनवाई की जाती है. राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर के बिहार विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से बिहार के विभिन्न कोर्ट में कुल 550 बेंच गठित करके मामलों की सुनवाई की गई.

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साल का आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत

"राष्ट्रीय लोक अदालत में कोर्ट में लंबित मामले तो निष्पादित होते हीं हैं. इसके अलावा जो प्री लिटिगेशन के मामले हैं यानी जो मामले कोर्ट में लंबित नहीं हैं उनका भी निष्पादन किया जाता है. ऐसे में शनिवार को बिहार में राष्ट्रीय लोक अदालत में लंबित कोर्ट केसेस और प्री लिटिगेशन के मामलों को मिलाकर कुल 687855 मामले रखे गए हैं. "-रोहित कुमार, बिहार विधिक सेवा प्राधिकार के रजिस्टार

550 बेंच में कई हजार मामले का हुआ निपटाराः बिहार विधिक सेवा प्राधिकार के रजिस्ट्रार रोहित कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर पटना हाई कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और सब डिविजनल कोर्ट को मिलाकर कुल 550 बेंच तैयार किए गए थे जिनमें 82884 मामलों की सुनवाई हुई. ऐसे मामले जो सुलह योग्य हैं. चाहे वह क्रिमिनल मामले हो, चाहे सिविल मामले हो. सभी का इसमें निष्पादन किया जाता है और इसकी खासियत रहती है कि दोनों पक्षों में नेगोशिएशन किया जाता है. जिससे दोनों पक्षों की जीत होती है और कोई पक्ष हारता नहीं है.

लोक अदालत में निष्पादन मामलों को फाइनल माना जाता हैः जिस केस का राष्ट्रीय लोक अदालत में निष्पादन होता है वह फाइनल मान लिया जाता है. निष्पादन के बाद जो अवार्ड बनता है उसका डिग्री जो कोर्ट पारित करती है उसके बराबर ही रहता है. एक बार जब शुलह के आधार पर अवार्ड पास हो जाता है, उसके बाद कोई अपील नहीं करता है वह फाइनल हो जाता है. अगर किसी पार्टी को मामले को लेकर के कोर्ट फीस देना पड़ा है तो वह कोर्ट फीस भी वापस होता है. नेशनल लोक अदालत में मामले के निष्पादन में काफी कम समय लगता है और इससे लोगों का समय बचता है.


कई प्रकार के मामलों की हुई सुनवाईः रजिस्टार रोहित कुमार ने बताया कि प्री लिटिगेशन में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट अंडर सेक्शन 138 के मामले, पैसा रिकवरी के मामले, लेबर डिस्प्यूट मामले, इलेक्ट्रिसिटी और वाटर बिल संबंधित मामले, मेंटेनेंस से जुड़े मामले और क्रिमिनल में कंपाउंडेबल मामले निष्पादित किए जाते हैं.

पटना हाईकोर्ट में 6 बेंच का हुआ गठनः रोहित कुमार ने बताया कि पेंडिंग कोर्ट केसेस के मामलों की बात करें तो जितने प्रकार के मामले प्री लिटिगेशन में निष्पादित किए जाते हैं उसके अलावा मैट्रिमोनियल डिस्प्यूट (डाइवोर्स छोड़कर), जमीन अधिग्रहण के मामले, सर्विस क्षेत्र और अलॉवेंसेस से जुड़े हुए मामले और रेवेन्यू डिस्प्यूट के मामले (जो मामले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और पटना हाईकोर्ट में पेंडिंग है) ऐसे मामलों का निष्पादन किया जाता है. उन्होंने बताया कि पटना हाईकोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत के मौके पर 6 बेंच गठित किए गए हैं इसके अलावा बेतिया में सबसे अधिक 40 बेंच का गठन किया गया है और राजधानी पटना के सिविल कोर्ट की बात करें तो यहां 29 बेंच का गठन किया गया है.

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