पटना: बिहार में बाढ़ लगातार कहर बरपा रही है. वहीं, कई जिलों में सुखाड़ की भी स्थिति बनी हुई है. बाढ़-सुखाड़ और हरियाली को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समीक्षा बैठक के बाद राज्य के हर जिले में प्रभारी मंत्रियों की भी समीक्षा बैठक हुई. इस बैठक में प्रभारी मंत्री नंदकिशोर यादव ने अधिकारियों विधायकों के साथ मौजूद रहे. इस दौरान जिले में बाढ़ सुखाड़ जैसे कई मुद्दों पर अधिकारियों और विधायकों से चर्चा हुई.
जरूरत से कम हुई बारिश
नंदकिशोर यादव ने कहा कि बाढ़ से होने वाले नुकसान को लेकर सरकार पूरी तरह से तैयार है. जिलाधिकारी और सरकार के तरफ से लोगों को हर संभव मदद की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस साल सूखा की संभावना बनी हुई है. जरूरत से कम बारिश होने के कारण किसान के आगे खेती को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हुई है. सूखे के चलते जिले में धान की रोपनी 42% कम हुई है. उन्होंने कहा कि पटना जिला में अभी बाढ़ की कोई बड़ी समस्या नहीं है.
सुखाड़ की समस्या बनी हुई है
प्रभारी मंत्री ने कहा कि सूखे से निपटने के लिए जिला टाक्स फोर्स बनाया गया है. जिसकी बैठक समय-समय पर होती रहती है और सरकार को हर जमीनी स्तर कि जानकारी देते रहते है. पटना जिला में बाढ़ तो कम है लेकिन सुखाड़ की समस्या बनी हुई है. पटना के इन क्षेत्रों में है सुखाड़ की समस्या, मोकामा, पंडारकस, पालीगंज, संपतचक विक्रम. सरकार इससे निपटने के लिए हर संभव मदद करेगी.
पटना में 31472 नए चापाकल लगाए गए
नंदकिशोर यादव ने कहा कि सुखाड़ के चलते कुछ इलाकों में पेयजल की भी समस्या बनी हुई है. जिसको दूर करने के लिए पीएचईडी विभाग के तरफ से चापाकल भी लगाए जा रहे हैं. पूरे पटना जिले में लगभग 31472 नए चापाकल लगाए गए हैं. साथ ही जो चापाकल खराब हो गए हैं उसके स्थान पर नए चापाकल लगाने के लिए भी सरकार ने निर्णय लिया है. सुखाड़ जैसी स्थिति और पानी का लेयर नीचे चले जाने के कारण चापाकल बंद हो गए हैं. सरकार ने निर्णय लिया है कि चापाकल के बगल में ही सोख्ता भी बनवा जाएगा.
15 अगस्त तक जिले में 1 लाख 20 हजार पौधे लगाए जाएंगे
वहीं, मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में यह भी निर्णय हुआ था कि पटना जिला को हरा भरा रखने के लिए सरकार के तरफ से वृक्षारोपण का काम भी होगा. वन महोत्सव के बाद अभी कार्य सुचारू रूप से चल रहा है. 15 अगस्त तक जिले में 1 लाख 20 हजार पौधे लगाए जाएंगे. जिससे राजधानी और जिला पूरी तरह से हरा-भरा दिखेगा. इन पौधों को देखभाल के लिए वनरक्षक की भी व्यवस्था की गई है.