पटना: बिहार की राजधानी पटना स्थित नालंदा खुला विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में काफी संख्या में सैकड़ों साल पुरानी पांडुलिपि मौजूद है. अब इन पांडुलिपियों पर आईआईटी पटना के छात्र और शिक्षक रिसर्च कर सकते हैं. नालंदा खुला विश्वविद्यालय ने रिसर्च को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आईआईटी पटना के साथ एक करार किया है. इसके अलावा उन्होंने सात और शिक्षण संस्थानों के साथ करार किया है जहां के स्टूडेंट्स नालंदा खुला विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी को शेयर कर सकते हैं.
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एनओयू और आईआईटी पटना में करार: नालंदा खुला विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर और प्रख्यात गणितज्ञ डॉक्टर केसी सिन्हा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि नालंदा खुला विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के शैक्षणिक स्तर को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनमें इनोवेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन लोगों ने कई शैक्षणिक संस्थानों के साथ करार किया है. आईआईटी पटना के साथ भी एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है. इसके तहत एनओयू के सिलेबस को डिजाइन करने में आईआईटी पटना के प्रोफेसर का योगदान रहेगा.
एनओयू में 500 साल पुरानी पांडुलिपि उपलब्ध: केसी सिन्हा ने बताया कि आईआईटी पटना के छात्र एनओयू कैंपस का विजिट भी कर सकेंगे और एनओयू के छात्र आईआईटी पटना कैंपस का विजिट कर पाएंगे. दोनों संस्थानों के छात्र एक दूसरे की लाइब्रेरी शेयर कर पाएंगे. इस एमओयू हस्ताक्षर से अब नालंदा खुला विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में मौजूद सैकड़ों पांडुलिपियों का आईआईटी पटना के छात्र और शिक्षक रिसर्च कर सकते हैं. एनओयू के पास काफी संख्या में 500 वर्ष और इससे अधिक पुराने पांडुलिपियां मौजूद हैं. इनमें काफी संख्या में पांडुलिपि नालंदा विश्वविद्यालय के इतिहास के समय की भी उपलब्ध है. उन पर शोध होते हैं तो निश्चित तौर पर इतिहास से जुड़ी कई नई जानकारियां भी सामने आएंगी.
"नालंदा खुला विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के शैक्षणिक स्तर को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनमें इनोवेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन लोगों ने कई शैक्षणिक संस्थानों के साथ करार किया है. आईआईटी पटना के साथ भी एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है. इसके तहत एनओयू के सिलेबस को डिजाइन करने में आईआईटी पटना के प्रोफेसर का योगदान रहेगा. आईआईटी पटना के छात्र एनओयू कैंपस का विजिट भी कर सकेंगे और एनओयू के छात्र आईआईटी पटना कैंपस का विजिट कर पाएंगे. दोनों संस्थानों के छात्र एक दूसरे की लाइब्रेरी शेयर कर पाएंगे. इस एमओयू हस्ताक्षर से अब नालंदा खुला विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में मौजूद सैकड़ों पांडुलिपियों का आईआईटी पटना के छात्र और शिक्षक रिसर्च कर सकते हैं. एनओयू के पास काफी संख्या में 500 वर्ष और इससे अधिक पुराने पांडुलिपियां मौजूद हैं" - प्रो. केसी सिन्हा, वीसी, एनओयू
जल्द शुरू होगा जर्नल का प्रकाशन: केसी सिन्हा ने बताया कि नालंदा खुला विश्वविद्यालय का जर्नल कई वर्षों से बंद पड़ा हुआ है, लेकिन उन लोगों का प्रयास है कि जल्द ही जर्नल का प्रकाशन किया जाए. नालंदा खुला विश्वविद्यालय अब रिसर्च पर भी जोर दे रहा है और इसके तहत जल्द ही विश्वविद्यालय की ओर से जर्नल का प्रकाशन किया जाएगा. इसमें आईआईटी पटना समेत तमाम शैक्षणिक संस्थानों से करार हुआ है, उनके शिक्षकों और छात्रों का शोध पत्र भी पब्लिश होगा. इसके साथ साथ एनओयू के शिक्षकों और छात्रों का भी रिसर्च पब्लिश होगा, जो एनओयू में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए लाभदायक होगा.
IIT के अलावा सात अन्य संस्थानों से एमओयू: प्रोफेसर डॉ के सी सिन्हा ने बताया कि आईआईटी पटना के अलावा बिहार में चंद्रगुप्त इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, पटना यूनिवर्सिटी, पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी और मौलाना मजहरूल हक यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है. इसके अलावा मध्य प्रदेश के एमपी भोज ओपन यूनिवर्सिटी भोपाल, उड़ीसा के उड़ीसा स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी संबलपुर, राजस्थान के वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी कोटा के साथ भी एमओयू हुआ है.
पांडुलिपि पर शोध से मिलेगी नई जानकारी: प्रोफेसर डॉक्टर के सी सिन्हा ने कहा कि यदि एनओयू की पांडुलिपियों पर रिसर्च होता है, तो पुरानी एजुकेशन पॉलिसी पर भी विस्तार से रिसर्च होने की काफी गुंजाइश है. यदि ऐसा होता है तो देश को कई नई जानकारियां मिलेंगी जो ज्ञान से समृद्ध करेंगे. उन्होंने कहा कि कोई भी विश्वविद्यालय का तीन काम होता है, टीचिंग, रिसर्च- इनोवेशन और एक्सटेंशन. टीचिंग में आता है स्टूडेंट्स की क्वांटिटी बढ़ाना. ताकि अधिक से अधिक संख्या में बच्चे पढ़ने आए और क्वालिटी भी बढ़ाना, मतलब उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले. यूनिवर्सिटी का काम क्वालिटी टीचिंग देना है.
रिसर्च और इनोवेशन जरूरी: उन्होंने बताया कि दूसरा है रिसर्च एंड इनोवेशन, क्योंकि ज्ञान को आगे बढ़ाने का मतलब है रिसर्च करना. रिसर्च करने पर ही ज्ञान आगे बढ़ता है. उनका मानना है कि रिसर्च 'रिलेवेंट टू द नीड्स ऑफ सोसाइटी होनी चाहिए', सोसाइटी में जिस चीज की आवश्यकता है. उस पर रिसर्च होनी चाहिए और तीसरा है एक्सटेंशन, यानी नए-नए विषयों की पढ़ाई शुरू होनी चाहिए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डाटा एनालिसिस जैसे नए विषयों की डिपार्टमेंट खोलकर पढ़ाई होनी चाहिए ताकि समय के साथ साथ बच्चे जरूरत की शिक्षा भी प्राप्त करें.
छमाही या तिमाही प्रकाशित होगा जर्नल: प्रोफेसर डॉक्टर के सी सिन्हा ने कहा कि देश दुनिया में कुछ नया रिसर्च कहीं हुआ है वह भी पब्लिश होगा और इससे निश्चित तौर पर शिक्षा के स्तर में सुधार होगा. छमाही या तिमाही के तौर पर जर्नल आने वाले समय में प्रकाशित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में नैक की टीम का भी विजिट होना है, और 15 जून के पहले नालंदा खुला विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षा नालंदा में बने स्थाई कैंपस में शिफ्ट हो जाएगी. नैक की टीम विजिट करने आएगी तो नए कैंपस में ही विजिट करेगी.
चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम लागू करेगा एनओयू: केसी सिन्हा ने बताया कि आगामी शैक्षणिक सत्र से नालंदा खुला विश्वविद्यालय भी 4 वर्ष का स्नातक पाठ्यक्रम लागू कर रहा है. लेकिन बच्चों को ध्यान देने वाली बात यह है कि 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में 4 क्रेडिट का वोकेशनल कोर्स मई-जून के समय समर वेकेशन में आयोजित किया जाएगा, जो बच्चे यह वोकेशनल कोर्स 4 क्रेडिट का करेंगे. वहीं बच्चों को 1 साल करने पर डिप्लोमा का सर्टिफिकेट दिया जाएगा. दूसरे साल यदि 4 क्रेडिट का वोकेशनल कोर्स करके स्नातक पाठ्यक्रम छोड़ते हैं तो उन्हें डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाएगा.
4 क्रेडिट का वोकेशनल कोर्स करना जरूरी: केसी सिन्हा के अनुसार कोई छात्र 4 वर्ष के स्नातक पाठ्यक्रम में पहले वर्ष की पढ़ाई कर लेता है और उसने 4 क्रेडिट का वोकेशनल कोर्स नहीं किया है, और जब वह पहले वर्ष में ही स्नातक पाठ्यक्रम को छोड़ेगा तो उसे किसी प्रकार की कोई सर्टिफिकेट नहीं दी जाएगी. पहले वर्ष 4 क्रेडिट का वोकेशनल कोर्स करने के बाद दूसरे वर्ष यदि 4 क्रेडिट का वोकेशनल कोर्स नहीं करता है और दूसरे वर्ष स्नातक छात्र छोड़ना चाहता है तो उसे डिप्लोमा की सर्टिफिकेट नहीं दी जाएगी. यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि यह 4 क्रेडिट का वोकेशनल कोर्स करने पर सिर्फ इतना ही सर्टिफिकेट में होगा कि उन्होंने वोकेशनल कोर्स किया है, स्नातक डिग्री में वोकेशनल कोर्स का कोई क्रेडिट नहीं जोड़ा जाएगा.