पटना: महावीर मंदिर के नैवेद्यम प्रसाद की जांच की गई जिसके बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने शुद्धता का प्रमाण पत्र दिया है. सैंपल fssai को भेजी गई थी. जांच के बाद बिहार फूड सेफ्टी खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी कौशल किशोर ने महावीर मंदिर के सचिव किशोर कुणाल को प्रमाण पत्र दिया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बिहार के लिए यह गौरव की बात है कि नैवेद्यम प्रसाद को खाद्य सुरक्षा का प्रमाण पत्र में मिला है.
प्रसाद को मिला शुद्धता का प्रमाणपत्र
आचार्य कुणाल किशोर ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर दर्शनार्थियों को स्वच्छ एवं सुरक्षित भोग प्रसाद मिले इसका पूरा ख्याल रखा जाता है. देश भर की जनता महावीर मंदिर में दर्शन के लिए पटना पहुंचती है. लिहाजा प्रसाद को लेकर सर्टिफिकेट मिलना बहुत ही गौरवशाली बात है.
देश भर के मंदिरों में पटना के महावीर मंदिर का नौवां स्थान प्रसाद की शुद्धता को लेकर है. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया 22 अक्टूबर 1993 से महावीर मंदिर में नैवेद्यम प्रसाद की शुरुआत की गई थी. तिरुपति के 75 विशिष्ट कारीगर गाय के घी, चना, दाल, काजू, किसमिस, इलायची से उच्च मानकों का पालन करते हुए नैवेद्यम प्रसाद का निर्माण करते चले आ रहे हैं.
हरेक महीने होती है 83,000 किलो प्रसाद की बिक्री
नैवेद्यम की परिकल्पना तिरुपति मंदिर के प्रसाद के आधार पर की गई थी. अभी महावीर मंदिर में प्रत्येक महीने में औसतन 83,000 किलो प्रसाद की बिक्री होती है. वहीं शुद्धता प्रमाण पत्र का सर्टिफिकेट देने पहुंचे अपर सचिव स्वास्थ्य विभाग खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण पटना के नोडल पदाधिकारी कौशल किशोर ने बताया इस तरह का सर्टिफिकेट देने से पहले विभाग कई तरह की जांच करता है.
गुणवत्तापूर्ण समेत कई अन्य बिंदुओं की जांच की जाती है. जांच सही पाए जाने पर ही भारत सरकार के एफएसएसएआई विभाग की तरफ से भोग सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है.
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पटना हनुमान मंदिर में जो प्रसाद चढ़ाया जाता है कि उसे बुध मार्ग में प्रतिदिन 3 दर्जन से अधिक ब्राह्मणों की तरफ से तैयार किया जाता है. नैवेद्यम प्रसाद बनाने वाले कारीगर प्रसाद बनाने से पहले स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े धारण करते हैं. उसके बाद प्रसाद को मंदिर लाया जाता है.