पटना: राज्य के सबसे पुराने पटना कॉलेज की आधुनिक पैमाने पर बहुत ही खराब ग्रेडिंग हुई है. नैक ने पटना कॉलेज को 'सी' ग्रेड दिया है. बता दें कि कॉलेज की ग्रेडिंग तय करने के लिए 18 अक्टूबर को नैक की टीम पटना कॉलेज के दो दिवसीय दौरे पर आई थी. वहीं लौटने के बाद नैक की टीम ने कॉलेज को यह ग्रेड दिया है. स्टूडेंट्स का कहना है कि सरकार, कॉलेज प्रशासन और छात्र संघ नेताओं की वजह से ही ऐसा हुआ है.
नैक की रिपोर्ट के अनुसार पटना कॉलेज में शोध और नवाचार तो है. लेकिन शिक्षकों के रिसर्च के लिए जो माहौल बनाने की जरूरत थी उस माहौल को बनाने में कॉलेज नाकाम है. नैक ने छात्रों और शिक्षकों की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं. साथ ही कॉलेज प्रशासन को कॉलेज की प्रगति के लिए अधिक प्रयास की जरूरत बताई है.
4 सीजीपीए में मिला मात्र 1.62 अंक
छात्रों का कहना है कि पटना कॉलेज राज्य के सबसे पुराने कॉलेज में से एक है. वहीं अब इस कॉलेज को मिले ग्रेडिंग के बाद कौन छात्र इस कॉलेज में पढ़ना चाहेगा. 156 साल पुराने इस कॉलेज को कभी इतनी खराब ग्रेड नहीं मिली थी. लेकिन पटना कॉलेज में पहली बार ही ग्रेडिंग करवाई और कुल 4 सीजीपीए में मात्र 1.62 अंक प्राप्त किए. छात्रों ने बताया कि इस खराब ग्रेडिंग का असर सेंट्रल एजेंसियों से मिलने वाले फंड पर भी पड़ेगा.
कॉलेज में शिक्षकों की भारी कमी
नैक ने अपनी रिपोर्ट में जहां रिसर्च और प्लेसमेंट पर सवाल खड़े किए हैं. तो वहीं इस कॉलेज में शिक्षकों की भारी कमी को लेकर भी सवाल उठाए हैं. आलम यह है कि लगभग 2500 छात्रों पर मात्र 32 स्थाई शिक्षक कार्यरत है. जबकि बाकी के क्लासेस गेस्ट फैकल्टी के सहारे चलाए जा रहे हैं. कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र कहते हैं कि इस ग्रेड का असली हकदार बिहार सरकार है. कहीं न कहीं उन्हीं के लाचार व्यवस्था की वजह से कॉलेज की ऐसी स्थिति हुई है.