पटनाः कोरोना संकट के बीच आज पूरे प्रदेश में नागपंचमी की पूजा है. हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देशभर में नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है.
नागपंचमी का है खास महत्व
हिंदू धर्म में नागपंचमी का खास महत्व है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन महिलाएं नाग देवता को अपने भाई के रूप में पूजती हैं और मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करती हैं. ये भी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से मनुष्यों के पापों का नाश हो जाता है. शास्त्रों और पुराणों में नाग को देवता माना गया है और कहा गया है कि नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से बड़े-बड़े कष्टों से भी छुटकारा मिल जाता है.
नाग देवता को पिलाते हैं दूध
इस दिन लोग अपने घरों में लजीज खाने बनाते हैं. साथ ही आम और कटहल जरूर खाते हैं. नीम की छोटी-छोटी टहनियों से घरों को सजाया जाता है. साथ ही बरसाती फोड़े फुंसियों और घावों से बचाव के लिए नीम की कोमल पतियों को पीस कर पिया जाता है. जिससे काफी फायदा होता है. नाग पूजन के लिए सेंवई चावल आदि ताजा भोजन बनाया जाता है. भोजन ठंडा ही खाया जाता है.
नहीं दिखेगी मंदिरों में भीड़
इस बार पूरे प्रदेश में कोरोना को लेकर नागपंचमी की पूजा में लोगों की भीड़ नहीं दिखेगी, क्योंकि ज्यादातर जिलों में 10 जुलाई यानि शुक्रवार से लॉकडाउन है. साथ ही प्रदेश के सभी शिव मंदिरों को 4 अगस्त तक के लिए बंद रखा गया है. इस बार सावन महीने की सभी पूजाएं घर में ही रह कर करने की अपील की गई है.
ऐसे करें घरों में नागपंचमी पूजा
अहले सुबह घर की सफाई करके स्नान करें. धुले हुए साफ कपड़े धारण करें. नागपंचमी के दिन नाग की प्रतिमा को दूध, दही, घी, मधु और पंचामृत से स्नान करा कर आरती करें. पूजा के बाद घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ गोबर से सांप की आकृति के चिह्न बनाएं और उस पर कौड़ियां चिपकाएं और खीर अर्पित करें. ऐसा करने से घर की बुरी शक्तियों से रक्षा होती है और मां लक्ष्मी का आगमन होता है.
क्या है नागपंचमी की जरूरी बातें
- इस दिन नाग देवता को खुश करने के लिए दूध और धान का लावा चढ़ाएं.
- नागपूजन करते समय 12 नागों का नाम लेना जरूरी होता है. इन नागों में कर्कोटक, अश्वतर, शंखपाल, पद्म, कम्बल, अनंत, शेषनाग, नागराज वासुकी, पिंगल, तक्षक और कालिया का नाम लेकर अपनी पूजा संपन्न् की जाती है.
- पूरे भक्ति भाव से इन नागों के नामों का उच्चारण कर इनसे अभय और रक्षा की प्रार्थना करें. जीवन में धन और खुशहाली की कामना करनी चाहिए.
- नागों की पूजा करके आध्यात्मिक शक्ति, कई तरह की सिद्धियां और अपार धन की प्राप्ति की जा सकती है. शास्त्रों में सांपों को धन से जोड़ा गया है
- नाग शंकर भगवान के आभूषण हैं, जिसे वो गले में धारन करते हैं. नाग को शिव जी की शक्ति का प्रतीक भी माना गया है.
मिथिलांचल का मधुश्रावणी पर्व भी आज से शुरू
वहीं, मिथिलांचल में मनाया जाना वाला पर्व मधुश्रावणी है भी आज से शुरू हो गया है. मिथालंचल का यह पर्व हर महिला के जीवन में सिर्फ एक बार आता है. जो शादी के पहले सावन को किया जाता है. नव विवाहिताएं 14 दिन व्रत रखकर बिना नमक के भोजन करती हैं. यह पूजा लगातार 14 दिनों तक चलती है. जो श्रावण मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को विशेष पूजा-अर्चना के साथ समाप्त होती है. इन 14 दिनों में नवविवाहिता गणेश, चनाई, मिट्टी और गोबर से बने विषहारा और गौरी-शंकर की विशेष पूजा करती हैं. महिला पुरोहिताईन से कथा सुनती हैं.