पटना: नागालैंड विधानसभा चुनाव में जदयू ने अपनी ताकत लगा दी है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को जिम्मेवारी मिली है . 29 और 30 जनवरी को ललन सिंह ने 2 दिन तक चुनावी सभा भी की. पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू ने 14 उम्मीदवारों को टिकट दिया था जिसमें से 13 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे और एक पर जीत मिली थी. नागालैंड जदयू प्रभारी आफाक खान का कहना है कि पिछले चुनाव से इस बार अधिक सीटों पर पार्टी उम्मीदवार उतारेगी.
राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे पर जदयू की नजर: अभी तक 2 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा हो चुकी है और 4 फरवरी तक सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी. जदयू की नजर कम से कम 3 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल करने या फिर 6% वोट प्राप्त करने की है. जिससे पार्टी को नागालैंड में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिल जाए. जदयू को अभी बिहार के अलावे 2 राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिला है. नागालैंड में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिलते ही जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो जाएगा और उसी की तैयारी में पार्टी है.
नागालैंड में जदयू का कैसा रहा है प्रदर्शन?: नागालैंड में जदयू चार बार पहले चुनाव लड़ चुकी है. 2018 और 2013 विधानसभा चुनाव में भी जदयू को एक सीट पर जीत मिली थी. हालांकि 2008 में खाता नहीं खुला था. उससे पहले 2003 में जब जनता दल था तो दो सीट पर जीत मिली थी और समता पार्टी को 1 सीट पर जीत मिली थी, बाद में दोनों मिल गई.
क्या रहा वोट प्रतिशत: 2003 में जदयू को 5.80% वोट प्राप्त हुआ था और पिछले विधानसभा चुनाव में 2018 में 4.5% वोट मिला था. पार्टी की पूरी कोशिश है कि इस बार कम से कम 6% वोट प्राप्त हो जाए. जिससे कि नागालैंड में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिल जाए. राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिलने से जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो जाएगा क्योंकि अभी पार्टी को केवल तीन राज्यों में ही राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है, जिसमें बिहार के अलावा अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर शामिल है.
इनको दी गई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी: जदयू की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को नागालैंड की जिम्मेदारी दी गई है. पार्टी की ओर से मंत्री संजय झा और राज्यसभा सांसद अनिल हेगड़े वहां लगातार प्रचार कर रहे हैं. पिछले दिनों जेपी जयंती के मौके पर 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नागालैंड एक कार्यक्रम में भाग लेने गए थे. नागालैंड बिहारी समाज की ओर से उसका आयोजन किया गया था. जदयू की नजर नागालैंड में रह रहे बिहारी समाज पर है. साथ ही नाराज नागा पर भी है जो लंबे समय से अलग राज्य की मांग कर रहे हैं.
बीजेपी पर निशाना: जदयू का निशाना बीजेपी है. बीजेपी पर जदयू की तरफ से यह आरोप लगाया जा रहा है कि 2015 में फ्रेमवर्क एग्रीमेंट हुआ था, जिसमें नागा समस्या समाधान की बात कही गई थी. लेकिन सत्ता में आने के बाद भी बीजेपी ने समाधान नहीं किया है. इसलिए बीजेपी को वहां वोट मांगने का अधिकार भी नहीं है.
"हम लोग तो एक ही मुद्दा लेकर जा रहे हैं. बीजेपी ने जो वादा किया था वह पूरा नहीं की. 2018 विधानसभा चुनाव में शांति स्थापित करने का वादा बीजेपी ने किया था जो वहां की समस्या है. उस पर भी हम लोगों की नजर है और उत्तर पूर्वी राज्यों में बीजेपी दल बदल का जो कुचक्र रच रही है, वह भी मुद्दा रहेगा. इसके अलावा नीतीश कुमार ने जो काम किया है वह भी रहेगा."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता,जदयू
"मुख्यमंत्री की व्यस्तता है इसलिए अभी यह तय नहीं है कि मुख्यमंत्री नागालैंड जाएंगे कि नहीं. बिहार सरकार के मंत्री और वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष की जरूरत के अनुसार जरूर जाएंगे."- संजय गांधी, जदयू एमएलसी
"लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है. जदयू को वहां कुछ मिलने वाला है नहीं है. उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्ली में पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं क्या हासिल हुआ. बिहार में भी जदयू अब तीसरे नंबर की पार्टी हो गई है. बिहार में भी एक सीमित इलाके में ही प्रभाव है इसलिए पार्टी की नागालैंड में पहचान हो जाए पार्टी का चुनाव चिन्ह लोग जान जाएं और पार्टी नेताओं को पहचान जाए यही उपलब्धि होगी. ऐसे दावा तो सभी लोग करते हैं दावा करने में क्या जाता है."- संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता
"बिहार की प्रमुख राजनीतिक दल जदयू और आरजेडी में राष्ट्रीय पार्टी बनने की होड़ लगी है. नागालैंड में भी दोनों इसीलिए चुनाव लड़ रही है. बीजेपी ने तो वहां समझौता कर लिया है. वहीं जदयू नंबर एक पार्टी बनना चाहती है फिलहाल बिहार में नंबर तीन की पार्टी है."- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए प्रमुख शर्तें: राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए इन शर्तों को पूरा करना होता है- कोई पार्टी कम से कम 3 विभिन्न राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 2 फीसदी सीटें जीते. कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6 फीसदी वोट प्राप्त करे. चार या चार से अधिक राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी के रूप में मान्यता रखती हो.
राष्ट्रीय पार्टी बनने के फायदे : जदयू पिछले दो दशक से भी अधिक समय से राष्ट्रीय पार्टी बनने की कोशिश कर रही है लेकिन सफलता नहीं मिली है. राष्ट्रीय पार्टी बनने के कई फायदे होते हैं. जैसे खास चुनाव चिह्न का आवंटन किया जाता है. राष्ट्रीय पार्टी के चुनाव चिह्न को पूरे देश में किसी अन्य पार्टी के द्वारा प्रयोग नहीं किया जा सकता. मान्यता प्राप्त `राज्य और राष्ट्रीय' दलों को नामांकन दाखिल करने के लिए केवल एक प्रस्तावक की आवश्यकता जरूरत होती है. मान्यता प्राप्त `राज्य 'और` राष्ट्रीय' दलों को चुनाव आयोग की तरफ से मतदाता सूची के दो सेट फ्री में दिए जाते हैं. साथ ही इन पार्टियों से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को आम चुनावों के दौरान मतदाता सूची की एक प्रति मुफ्त मिलती है. राष्ट्रीय पार्टियों को अपनी पार्टी कार्यालय स्थापित करने के लिए सरकार की ओर से भूमि या भवन प्राप्त होते हैं. राज्य और राष्ट्रीय दल चुनाव प्रचार के दौरान 40 स्टार प्रचारक तक रख सकते हैं जबकि अन्य पार्टियां 20 स्टार प्रचारक ही रख सकती हैं. स्टार प्रचारकों का यात्रा खर्च उनकी पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव खर्च के हिसाब में नहीं जोड़ा जाता. चुनाव से पहले राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर टीवी व रेडियो प्रसारण करने की अनुमति मिलती है, जिससे कि वे अपनी बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकें.
27 फरवरी को नागालैंड में इलेक्शन: नागालैंड में 27 फरवरी को चुनाव होना है और 2 मार्च को मतगणना होगी. 7 फरवरी को नामांकन की अंतिम तिथि है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 12 सीट पर जीत मिली थी. वहीं नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी एनडीपीपी को 18 और नागा पीपल्स फ्रंट एनपीएफ को 26 सीटों पर जीत मिली थी. इस बार भी बीजेपी एलायंस में चुनाव लड़ रही है लेकिन जदयू के नागालैंड के प्रभारी अफाक खान का कहना है कि हम लोग चुनाव से पहले किसी एलायंस के साथ नहीं जा रहे हैं. चुनाव के बाद हम लोगों की मदद से ही सरकार बनेगी.
"पिछली बार से अधिक सीटों पर हम लोग इस बार चुनाव लड़ेंगे. नागालैंड में बिहार की प्रमुख सत्ताधारी दल आरजेडी भी चुनाव लड़ने जा रही है. कई सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा भी पार्टी ने कर दी है. ऐसे में जदयू और आरजेडी बिहार और यूपी बहुलता वाले इलाके में कई सीटों पर आमने सामने होगी."- अफाक खान, नागालैंड के प्रभारी, जदयू