पटना: बिहार में अति पिछड़ा आरक्षण (EBC reservation issue in Bihar) के सवाल पर बिहार में बवाल है. बिहार सरकार ने पटना उच्च न्यायालय में रिव्यू पिटिशन डाला है जिसे लेकर भाजपा हमलावर है. इधर, राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने बिहार सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं. सुशील मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार जनता को भ्रमित करने में लगे हैं. अति पिछड़ा आरक्षण बिहार सरकार के लिए गले की फांस बन गयी है.
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''सरकार तो सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रही थी ? फिर review file करने का क्या औचित्य है? जिस कोर्ट ने सरकार की नगर निकाय चुनाव की याचिका ख़ारिज कर दी, वो क्या राहत देगी? नीतीश कुमार का अति पिछड़ा विरोधी चेहरा बेनक़ाब हो गया. सरकार चुनाव को लटकाना चाहती है''- सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद, बीजेपी
नीतीश सरकार लटकाना चाहती है निकाय चुनाव: सुशील मोदी ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश सरकार निकाय चुनाव का लटकाना चाहती है. सरकार इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कर रही थी. फिर रिव्यू फाइल करने का क्या औचित्य है. जिस कोर्ट में सरकार के नगर निकाय चुनाव की याचिका खारिज कर दी वो कितना राहत देगी इसे समझा जा सकता है.
हाईकोर्ट में दायर हुई पुनर्विचार याचिका: पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने नगर निकाय में आरक्षण मामले में एक पुनर्विचार याचिका दायर की है. इस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की तिथि 19 अक्टूबर, 2022 को की जाएगी. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने सुनील कुमार और अन्य की याचिकाओं पर 29 सितम्बर, 2022 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, इस मामले पर कोर्ट ने 4 अक्टूबर, 2022 को फैसला सुनाया था.
10 अक्टूबर से थे निकाय चुनाव: हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद नगर निकायों के चुनाव स्थगित करना पड़ा था. कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि प्रावधानों के अनुसार ओबीसी/इबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक राज्य सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच की अहर्ताएं पूरी नहीं कर लेती है. गौरतलब है कि स्थानीय निकायों के चुनाव 10 अक्टूबर, 2022 से शुरू होने वाले थे, लेकिन पटना हाइकोर्ट के निर्णय के आलोक में इस चुनाव को फिलहाल स्थगित करना पड़ा.
हाईकोर्ट में सरकार का रिव्यू पिटीशन: सुप्रीम कोर्ट ने तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी/इबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफारिश के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकायों में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीट के पचास फीसदी की सीमा को पार नहीं करें. राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट में ये पुनर्विचार याचिका दायर करते समय कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस मामले में कई बिंदुओं पर तथ्य रखने के लिए पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की जाए.