ETV Bharat / state

सांसद रामकृपाल ने लिया दियारा इलाके के निर्माण कार्य का जायजा, CM को कहा- शुक्रिया

author img

By

Published : Jun 5, 2021, 10:29 PM IST

पटना के गंगा घाटों (Patna Ganga Ghat) पर जलस्तर बढ़ने से कटाव शुरू हो गया है. इसके लिए मनेर के दियारा में बचाव कार्य चलाया जा रहा है, जिसका जायजा लेने नीय सांसद रामकृपाल यादव पहुंचे.

Patna Ganga Ghat
Patna Ganga Ghat

पटना: एक तरफ कोरोना महामारी से लोग परेशान हैं तो दूसरी ओर अब बाढ़ से बचाव को लेकर राज्य की नीतीश सरकार लगातार समीक्षा बैठक करने में लगी हुई है. वहीं राजधानी पटना से सटे मनेर प्रखंड क्षेत्र के दियारा इलाके में हर साल बाढ़ (Patna Ganga Ghat) के कारण लोग काफी प्रभावित होते हैं. ऐसे में यहां घाटों में बचाव कार्य चल रहा है जिसका जायजा लेने सांसद रामकृपाल यादव पहुंचे.

यह भी पढ़ें- अगले 2-3 घंटों में इन तीन जिलों में वज्रपात के साथ बारिश की संभावना, अलर्ट जारी

बढ़ रहा जलस्तर
गंगा के किनारे बसे रतन टोला और हल्दी छपरा गांव बढ़ते जलस्तर से काफी प्रभावित होते हैं. मनेर प्रखंड क्षेत्र का रतन टोला गांव जो फौजियों के गांव के नाम से जाना जाता है. जहां हर घर का एक या दो जवान देश की सेवा में बॉर्डर पर तैनात है. उनके गांव को गंगा के कटाव का डर हमेशा लगा रहता है. और इसी को लेकर पाटलिपुत्र सांसद रामकृपाल यादव ने रतन टोला और हल्दी छपरा में चल रहे गंगा कटाव से बचाव कार्य का जायजा लिया.

Patna Ganga Ghat
रामकृपाल ने लिया दियारा इलाके में चल रहे कार्य का जायजा

'रतन टोला बड़ी आबादी वाली बस्ती है. यहां के हर घर से एक दो लोग फौज में हैं और पिछले बार बाढ़ आने से कटाव बड़े पैमाने पर हुआ था. उस समय से हमारा प्रयास रहा है कि मनेर प्रखंड का यह टोला बचे. जिसको लेकर हमने मुख्यमंत्री से बात की थी. हमें प्रसन्नता है कि मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री ने मेरा आग्रह माना है और यहां कटाव से बचाव कार्य शुरू किया गया है.'- रामकृपाल यादव, सांसद, पाटलिपुत्र

रामकृपाल ने लिया जायजा
रतन टोला और हल्दी चपरा के कटाव को बचने के लिए लगभग 20 करोड़ की लागत से बचाव कार्य का काम चल रहा है. साथ ही दानापुर में भी कटाव को बचाने का कार्य हो रहा है. गंगा किनारे बसे होने के कारण हर साल बाढ़ में या कहे गंगा का जलस्तर बढ़ने से इन दोनों गांव में लोग काफी प्रभावित होते है. जिसको लेकर गांव के लोगों ने कई बार सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी शिकायत की थी. अब जाकर इन दोनों गांव के बचाव को लेकर जियो टैगिंग की शुरुआत की गई है ताकि समय रहते दोनों गांव के लोगों को बचाया जा सके.

ये है जियो टैग
जियो टैग का अर्थ है कार्य की भौगोलिक स्थिति यानी कौन सा कार्य कितनी ऊंचाई और कितनी दूरी पर है. जियो टैग से यह भी साफ होगा कि किस कार्य की क्या स्थिति है और कितना धन खर्च हो रहा है. इससे पहले हुए कार्य पर दोबारा फर्जी काम नहीं हो पाएगा.

पटना: एक तरफ कोरोना महामारी से लोग परेशान हैं तो दूसरी ओर अब बाढ़ से बचाव को लेकर राज्य की नीतीश सरकार लगातार समीक्षा बैठक करने में लगी हुई है. वहीं राजधानी पटना से सटे मनेर प्रखंड क्षेत्र के दियारा इलाके में हर साल बाढ़ (Patna Ganga Ghat) के कारण लोग काफी प्रभावित होते हैं. ऐसे में यहां घाटों में बचाव कार्य चल रहा है जिसका जायजा लेने सांसद रामकृपाल यादव पहुंचे.

यह भी पढ़ें- अगले 2-3 घंटों में इन तीन जिलों में वज्रपात के साथ बारिश की संभावना, अलर्ट जारी

बढ़ रहा जलस्तर
गंगा के किनारे बसे रतन टोला और हल्दी छपरा गांव बढ़ते जलस्तर से काफी प्रभावित होते हैं. मनेर प्रखंड क्षेत्र का रतन टोला गांव जो फौजियों के गांव के नाम से जाना जाता है. जहां हर घर का एक या दो जवान देश की सेवा में बॉर्डर पर तैनात है. उनके गांव को गंगा के कटाव का डर हमेशा लगा रहता है. और इसी को लेकर पाटलिपुत्र सांसद रामकृपाल यादव ने रतन टोला और हल्दी छपरा में चल रहे गंगा कटाव से बचाव कार्य का जायजा लिया.

Patna Ganga Ghat
रामकृपाल ने लिया दियारा इलाके में चल रहे कार्य का जायजा

'रतन टोला बड़ी आबादी वाली बस्ती है. यहां के हर घर से एक दो लोग फौज में हैं और पिछले बार बाढ़ आने से कटाव बड़े पैमाने पर हुआ था. उस समय से हमारा प्रयास रहा है कि मनेर प्रखंड का यह टोला बचे. जिसको लेकर हमने मुख्यमंत्री से बात की थी. हमें प्रसन्नता है कि मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री ने मेरा आग्रह माना है और यहां कटाव से बचाव कार्य शुरू किया गया है.'- रामकृपाल यादव, सांसद, पाटलिपुत्र

रामकृपाल ने लिया जायजा
रतन टोला और हल्दी चपरा के कटाव को बचने के लिए लगभग 20 करोड़ की लागत से बचाव कार्य का काम चल रहा है. साथ ही दानापुर में भी कटाव को बचाने का कार्य हो रहा है. गंगा किनारे बसे होने के कारण हर साल बाढ़ में या कहे गंगा का जलस्तर बढ़ने से इन दोनों गांव में लोग काफी प्रभावित होते है. जिसको लेकर गांव के लोगों ने कई बार सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी शिकायत की थी. अब जाकर इन दोनों गांव के बचाव को लेकर जियो टैगिंग की शुरुआत की गई है ताकि समय रहते दोनों गांव के लोगों को बचाया जा सके.

ये है जियो टैग
जियो टैग का अर्थ है कार्य की भौगोलिक स्थिति यानी कौन सा कार्य कितनी ऊंचाई और कितनी दूरी पर है. जियो टैग से यह भी साफ होगा कि किस कार्य की क्या स्थिति है और कितना धन खर्च हो रहा है. इससे पहले हुए कार्य पर दोबारा फर्जी काम नहीं हो पाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.