पटना: बिहार में संक्रमण का जब पहला वेव आया था, तब ये देखने को मिल रहा था कि कोरोना मरीजों की मौत ब्रेन हेमरेज, किडनी फ्लोरेंस, लीवर फ्लोरेंस और शरीर के दूसरे ऑर्गन के फेल होने से हो रही थी, लेकिन सेकेंड वेव में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में चिकित्सा जगत से जुड़े हुए प्रदेश के एक्सपर्ट का कहना है कि इस मामले पर एक डीप स्टडी की जरूरत है.
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दूसरी वेव ज्यादा खतरनाक
पटना के वरिष्ठ चिकित्सक और सार्स बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि कोरोना संक्रमण की दूसरा लहर पहले से कई गुना ज्यादा खतरनाक है. इसमें संक्रमण के ट्रांसमिसिबिलिटी पहले से काफी ज्यादा है. फर्स्ट वेव में जो वुहान वायरस थे जिसकी स्पेसिफिक जिनोमिक स्ट्रक्चर जनवरी 2020 में एक्सट्रैक्ट हुई थी उसके कारण जो मृत्यु हुई थी उसमें बहुत सारे चाहिए थी और मृत्यु का एक कारण ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हेमरेज था.
''इस बार के वायरस के स्ट्रेन में जो पैथोलॉजी देखी जा रही है, उसमें संक्रमण का दल भी काफी तेजी से बढ़ रहा है और संक्रमित व्यक्ति के फेफड़े का इंवॉल्वमेंट भी संक्रमण में काफी देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही वायरस के इस स्ट्रेन में संक्रमित व्यक्ति के शरीर में कोग्यूलोपैथी भी काफी देखने को मिल रही है. कोग्यूलोपैथी शरीर में रक्त के थक्के के जमना को कहते हैं. इस वजह से रक्त की धमनियों में ब्लड जम जाता है और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.'' - डॉ. दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
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'वायरस के स्ट्रेन पर शोध आवश्यक'
कोरोना वायरस का सेकंड स्ट्रेन ज्यादा घातक और ज्यादा संक्रामक है. इनमें कोग्यूलोपैथी के साथ-साथ पैथोजेनिसिटी इन्फ्लेमेटरी जो रिएक्शन होते हैं, वह भी काफी तेजी से डेवलप कर रहे हैं. अभी के समय ज्यादा रिसर्च के लिए जितने भी कोरोना से डेथ हो रहे हैं, उनकी ऑटोप्सी होना बहुत जरूरी है. जिससे कि पैथोलॉजी का सटीक पता चल सके. कई जानकारियों के लिए कोरोना से मरने वाले संक्रमितों की ऑटोप्सी होना बहुत आवश्यक है, जो कि नहीं हो रही है.
'मृतकों की ऑटोप्सी बेहद जरूरी'
- कितने लोगों में किस पैथोलॉजी से मौत हुई.
- कितने लोगों में लंग्स का इंवॉल्वमेंट ज्यादा रहा.
- मौत के समय लंग्स के अंदर क्या पैटर्न पाए गए.
- कार्डियक इश्यूज में किस आर्टरी में कोग्यूलेशन ज्यादा पाए गए.
- मौत के समय ब्रेन के अंदर की स्थिति क्या रही.
कोरोना की दूसरी लहर में घातक स्ट्रेन
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि इस बार कोरोना के जो घातक स्ट्रेन आए हैं, उसमें कई प्रकार के नए स्ट्रेन देखने को मिले हैं, जिसमें की डबल म्युटेंट स्ट्रेन कॉमन है और अभी हाल के समय में 3 दिन पहले सेंटर फॉर सेलुलर एंड मोल्यूकूलर बायोलॉजी हैदराबाद और गाजियाबाद की रिसर्च टीम ने N440K वायरस स्ट्रेन के बारे में पता लगाया और जब लैब में एक्सपेरिमेंट किए गए तो उसने देखा गया कि लैब कंडीशन में ये सामान्य कोरोना वायरस से 10 गुना ज्यादा इनफेक्टिव नजर आया.
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इस वायरस की ट्रांसमिसिबिलिटी 10 से 100 गुना तक ज्यादा देखी गई, इसलिए अभी के समय में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को स्टडी करना बहुत आवश्यक है. इसके अलावा कोरोना से मरने वालों की ऑटोप्सी करनी भी बहुत आवश्यक है.