पटना: बिहार हर साल बाढ़ की विभिषिका झेलता है. लोगों का घर बार खेत सब जलमग्न हो जाता है. ऐसे में नीतीश सरकार अभी से ही बाढ़ से निपटने तैयारियों में जुट गई है. इसी कड़ी में नेपाल भूभाग में सरकार 70 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर रही है. अधिकांश योजनाओं को 15 जून तक पूरा कर लेने का निर्देश दिया गया है वहीं मंत्री संजय झा का दावा है कि अधिकांश योजना पर लक्ष्य के अनुरूप काम हो रहा है. वहीं सरकार इस बार आधुनिक तकनीक का प्रयोग बाढ़ की सूचना को लेकर करने वाली है. जल संसाधन विभाग ने बेफिक्रे ऐप लॉन्च किया है, जिसके माध्यम से 3 से 5 दिन पहले ही अलर्ट जारी किया जा सकेगा. संजय झा ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि बाढ़ का स्थाई निदान नेपाल हिस्से में कोसी में डैम बनाने से होगा लेकिन केंद्र सरकार उस पर ध्यान नहीं दे रही है.
बाढ़ से निपटने की तैयारियां शुरू: जल संसाधन विभाग की ओर से बाढ़ के सुरक्षात्मक और कटाव निरोधक कार्य के लिए इस साल 271 योजनाओं को लिया गया और इस पर सरकार 617 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर रही है. संजय झा के अनुसार इसमें से अधिकांश योजनाओं को 15 जून तक पूरा कर लिया जाएगा. कोसी के नेपाल भूभाग में 23 बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य किए जा रहे हैं और इस पर लगभग 70 करोड़ की राशि खर्च हो रही है. इस पर भी काम चल रहा है. इसमें से कई योजनाओं को पूरा होने में समय लग सकता है.
"वित्तीय वर्ष 2023- 24 के लिए सरकार की ओर से बाढ़ अवधि के दौरान सलुइस गेट की मरम्मत बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों के लिए सामग्री रखने, सैटेलाइट इमेज क्रय करने और अन्य कार्यों के लिए 220 करोड़ की राशि रखी गई है. वहीं कमला बलान के बायां तटबंध और दायां तटबंध का ऊंचीकरण और पक्कीकरण का कार्य अभी हाल ही में शुरू हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी शुरुआत की है और इस पर लगभग 300 की राशि खर्च होने वाली है. इसके पूरा होने से एक बड़े हिस्से को राहत मिलेगी."- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार
आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग: इन सबके अलावा जल संसाधन विभाग की ओर से लगातार आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग बाढ़ से बचाव और अलर्ट जारी करने के लिए लिया जा रहा है. इस बार विभाग ने नया एप लॉन्च किया है इसका नाम बेफिक्र( BeFIQR) Bihar e-System for Flood and Irrigation Quick Response दिया गया है. इस ऐप के माध्यम से जरूरी सूचनाओं को स्वचालित प्रणाली के जरिये मुख्यालय से लेकर क्षेत्रीय स्तर के संबंधित पदाधिकारियों एवं अन्य व्यक्तियों तक रीयल टाइम में पहुंचाया जाएगा. ताकि वे इनके आधार पर समय रहते जरूरी कदम उठा सकें.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ली जाएगी मदद: जल संसाधन विभाग की संस्था 'बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायक केंद्र' (एफएमआईएससी) के अंतर्गत स्थापित मेथेमेटिकल मॉडलिंग सेंटर द्वारा नवीनतम तकनीक, सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए बिहार की सभी नदियों के अगले तीन और पांच दिनों के जलस्तर का पूर्वानुमान तैयार किया जाता है. विभाग द्वारा नहरी सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता और जरूरत सहित सिंचाई प्रक्षेत्र से संबंधित जरूरी सूचनाओं का भी संधारण (रखरखाव) किया जाता है. इन आंकड़ो को मैनुअल तरीके से संबंधित पदाधिकारियों तक भेजने में अधिक समय लगता था. उन्होंने समीक्षा के दौरान पाया कि यदि ये आंकड़े रीयल टाइम में भेजे जाएं, तो इनका और बेहतर उपयोग हो सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए बाढ़ एवं सिंचाई के आंकड़ों को स्वचालित तकनीक की मदद से क्षेत्रीय पदाधिकारियों एवं हितधारकों तक प्रसारित करने के लिए App की परिकल्पना की गई. इसके जरिये पूर्वानुमान, जलस्तर की स्थिति, वर्षा की संभावना आदि के जरूरी आंकड़े और अलर्ट संबंधित अभियंताओं और जिला प्रशासन को रीयल टाइम में प्राप्त होंगे.
"बाढ़ सुरक्षात्मक और कटाव निरोधक कार्य तय लक्ष्य के अनुरूप समय से ही चल रहे हैं और 15 जून तक सभी को पूरा कर लेने का हमने निर्देश दिया है. कुछ में परेशानी हो सकती है. बोल्डर बाहर से झारखंड और अन्य स्थानों से मंगाया जा रहा है. लेकिन हम लोगों की मुख्य समस्या नेपाल से आने वाली पानी से है और बिना नेपाल में कोसी पर डैम बनाएं उत्तर बिहार के 8 करोड़ लोगों को बाढ़ से निजात नहीं मिल सकती है. लेकिन केंद्र सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. नेपाल में डैम को लेकर पटना कोर्ट का भी आदेश है."- संजय झा, मंत्री, जल संसाधन विभाग,बिहार
बोले संजय झा- 'केंद्र सरकार नहीं दे रही ध्यान': संजय झा ने कहा कि प्रधानमंत्री की पूरी दुनिया में इज्जत हो रही है लेकिन नेपाल में कुछ काम नहीं हो पा रहा है. हम लोगों ने फरक्का बांध को भी तोड़ने का आग्रह किया था. उससे बिहार को बहुत नुकसान हो रहा है. यदि तोड़ नहीं सकते हैं तो उसको सुधार तो दें लेकिन वह भी नहीं हो रहा है. हर साल हम लोग बाढ़ के कारण हजारों करोड़ की राशि खर्च कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार का ध्यान नहीं है.
इतना होगा खर्च: बाढ़ से बचाव के लिए सरकार की ओर से 1000 से अधिक राशि इस साल खर्च की जानी है. 271 बाढ़ सुरक्षात्मक कटाव निरोधक कार्य स्वीकृत हुए हैं जिसमें 617.08 करोड़ की राशि खर्च हो रही है. वहीं कोसी के नेपाल भूभाग में 23 बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य स्वीकृत, 59.55 करोड़ की राशि खर्च होगी, कमला बलान बायां और दायां तटबंध के ऊंचा करने और पक्की करण करने पर 296.89 करोड़ की राशि, कटिहार मनिहारी रेलवे लाइन और कारी कोशी तटबंध सुरक्षा के लिए ₹47 करोड़, सलुइस गेट की मरम्मत, नदियों के सैटेलाइट इमेज फ्री और अन्य वार्ड सुरक्षात्मक कार्य के लिए 220 करोड़ की स्वीकृति मिली है. वहीं जल संसाधन विभाग ने नया ऐप बेफिक्र तैयार किया है. इस पर 3 से 5 दिन पहले नदियों में जलस्तर की स्थिति और मौसम की जानकारी अभियंताओं और अधिकारियों को मिल जाएगी जिससे अलर्ट जारी कर सकेंगे.
कई नदियों से जुड़ी योजनाएं: बिहार में हर साल बाढ़ सुरक्षात्मक और कटाव निरोधक कार्य पर बड़ी राशि खर्च होती रही है. पिछले साल 334 योजनाओं और बाढ़ सुरक्षा के नाम पर 893 करोड़ की राशि जल संसाधन विभाग ने खर्च की थी. इस साल भी सरकार 1000 करोड़ से अधिक की राशि बाढ़ सुरक्षा से संबंधित कार्यों पर खर्च कर रही है. इसमें गंगा नदी के अलावे कोसी गंडक बूढ़ी गंडक महानंदा बागमती कमला बलान सोन जैसी नदियों से जुड़ी हुई योजनाएं हैं. जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि 15 जून तक हम लोग हर हाल में सभी योजनाओं को पूरा कर लेंगे.