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DRY स्टेट की हकीकत: बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग पी रहे शराब, सवालों में शराबबंदी

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Published : Feb 27, 2021, 6:17 PM IST

Updated : Feb 28, 2021, 6:58 PM IST

सवाल उठ रहा है कि क्या शराबबंदी पर विपक्ष का आरोप एकदम से सही है. सवाल इसलिए क्योंकि जो आंकड़े सामने आए हैं वह हैरान करने वाला है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि शराबबंदी के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं.

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पटना: बिहार में शराबबंदी लागू है. लेकिन दूसरे राज्यों से लगातार शराब की तस्करी हो रही है. शराब माफिया फल-फूल रहे हैं और करोड़ों की काली कमाई हो रही है. इन सब के बीच हैरान करने वाली बात यह है कि पूर्ण शराबबंदी के बावजूद महाराष्ट्र से ज्यादा लोग बिहार में शराब पी रहे हैं.

ये भी पढ़ें: ये कैसी शराबबंदी जिसमें जहरीली शराब से लोग मर रहे हैं- फजल इमाम मल्लिक

मजाक बना शराबबंदी कानून
5 अप्रैल 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि जितना आय सरकार को शराब से होता है, उससे ज्यादा पैसा हमें स्वास्थ्य विभाग को देना पड़ता है. मुख्यमंत्री ने शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए कड़े कानून बनाए. लेकिन पुलिस कर्मियों के रवैये ने शराबबंदी कानून की हवा निकाल कर रख दी. राज्य में दूसरे राज्यों से धड़ल्ले से शराब लाया जा रहा है और होम डिलीवरी चल रही है.

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शराबबंदी से पहले का मुनाफा

महाराष्ट्र से ज्यादा लोग पी रहे शराब
एक अप्रैल 2016 को बिहार देश का पांचवा राज्य बना, जहां शराब का सेवन और जमा करने पर प्रतिबंध लगाई गई. लगभग 5 साल बीत जाने के बाद चौका देने वाला आंकड़ा सामने आया है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के 2020 के रिपोर्ट के अनुसार ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं. आंकड़े के मुताबिक बिहार में शराब बंदी लागू होने के बावजूद 15.5% पुरुष शराब का सेवन कर रहे हैं. महाराष्ट्र में शराबबंदी लागू नहीं है. इसके बावजूद 13.9 प्रतिशत लोग ही शराब का सेवन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: जहरीली शराब कांड में पुलिस पदाधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करे सरकार- HAM

करोड़ों के राजस्व का नुकसान
बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8% और शहरी क्षेत्रों में 14 फीसदी लोग शराब पी रहे हैं. यह स्थिति तब है जबकि बिहार में अब तक शराबबंदी कानून लागू होने के बाद 52 लाख लीटर से ज्यादा शराब जब्त किए गए हैं. दावा किया जाता रहा कि राजधाना पटना से लेकर औरंगाबाद तक शराबबंदी कानून पर सख्ती बरती जा रही है. अब जब आंकड़े सामने आए हैं तो पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में हैं.

शराबबंदी की कड़वी सच्चाई यह भी है
राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर लेकर पुलिस विभाग विभाग के मुखिया यानी डीजीपी तक कहते रहे हैं कि शराब पीने और बेचने वालों पर कार्रवाई की जा रही है. लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर दो लाख 55 हजार मामले दर्ज किए गए और अब तक तीन लाख 39401 अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी हुई है. लेकिन 5 साल में मात्र 470 अभियुक्तों को ही सजा दिलाई जा सकी है. जो अपने आप में बड़ा सवाल है. मौजूदा वक्त में इस खबर पर अधिकारियों की बोलती बंद हो गई है. देश जानता है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने से सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है.

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अब तक शराबबंदी में हुई कार्रवाई

शराब की बढ़ी खपत
शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब की खपत बढ़ी है. राज्य के अंदर शराबबंदी कानून प्रभावी रूप में नहीं लागू होने के चलते शराबबंदी कानून को रिव्यू करने की आवाज भी उठने लगी है. भाजपा नेता और विधान पार्षद संजय पासवान भी रिव्यू करने की वकालत कर चुके हैं. इससे पहले कांग्रेस और आरजेडी नेता भी शराबबंदी की समीक्षा की बात कह चुके हैं.

"शराबबंदी कानून लागू किया जाना चाहिए. हमें शर्म आती है, लेकिन बिहार में जिस तरीके से शराब बंदी लागू है, वह मजाक बनकर रह गया है .सरकार को चिंतन की जरूरत है"- शकील अहमद, कांग्रेस विधायक

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कांग्रेस विधायक शकील अहमद


"अगर राज्य में शराबबंदी कानून लागू किया जाए तो, उसे सही रूप में लागू किया जाए. लेकिन आज की तारीख में जिस तरीके की शराबबंदी कानून लागू है, उससे बेहतर यह होगा कि पहले वाली स्थिति ही बहाल कर दी जाए"- संदीप सौरव, भाकपा-माले विधायक

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भाकपा-माले विधायक संदीप सौरव

ये भी पढ़ें: बिहार में राजनीति और प्रशासन के गठजोड़ से चल रहा शराब का अवैध कारोबार: CPIML


"सत्ता के संरक्षण में शराब का अवैध धंधा बिहार में फल-फूल रहा है. शराबबंदी कानून मजाक बनकर रह गया है और बिना रोक-टोक होम डिलीवरी की जा रही है. ऐसे शराब बंदी कानून का कोई फायदा नहीं है"- भाई वीरेंद्र, राजद प्रवक्ता


"शराबबंदी कानून से बिहार में परिवर्तन आया है. समाज और परिवार में सुख शांति के साथ-साथ समृद्धि आई है. जो लोग भी गड़बड़ी करते पकड़े जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी"- विनोद नारायण, भाजपा विधायक

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भाजपा विधायक विनोद नारायण

ये भी पढ़ें: मंत्री और विधायकों की जेब में पहुंच रहा है शराब से होने वाली अवैध आमदनी का हिस्सा: RJD


जदयू विधायक रंजू गीता भी शराबबंदी की पक्षधर हैं. उनका कहना है कि नीतीश कुमार ने जोखिम भरा कदम उठाया है और इससे महिलाएं महफूज हैं. शराबबंदी कानून को जारी रखने की जरूरत है.

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समाजसेवी राजीव कुमार


बिहार में शराबबंदी सही अर्थों में लागू नहीं है. शराबबंदी के बावजूद लोग शराब पी रहे हैं. एक ओर शराब का अवैध धंधा हो रहा है, तो दूसरी तरफ सरकार को राजस्व की हानि हो रही है. ऐसे में सरकार को पुनर्विचार करने की जरूरत है- राजीव कुमार, समाजसेवी

पटना: बिहार में शराबबंदी लागू है. लेकिन दूसरे राज्यों से लगातार शराब की तस्करी हो रही है. शराब माफिया फल-फूल रहे हैं और करोड़ों की काली कमाई हो रही है. इन सब के बीच हैरान करने वाली बात यह है कि पूर्ण शराबबंदी के बावजूद महाराष्ट्र से ज्यादा लोग बिहार में शराब पी रहे हैं.

ये भी पढ़ें: ये कैसी शराबबंदी जिसमें जहरीली शराब से लोग मर रहे हैं- फजल इमाम मल्लिक

मजाक बना शराबबंदी कानून
5 अप्रैल 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि जितना आय सरकार को शराब से होता है, उससे ज्यादा पैसा हमें स्वास्थ्य विभाग को देना पड़ता है. मुख्यमंत्री ने शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए कड़े कानून बनाए. लेकिन पुलिस कर्मियों के रवैये ने शराबबंदी कानून की हवा निकाल कर रख दी. राज्य में दूसरे राज्यों से धड़ल्ले से शराब लाया जा रहा है और होम डिलीवरी चल रही है.

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शराबबंदी से पहले का मुनाफा

महाराष्ट्र से ज्यादा लोग पी रहे शराब
एक अप्रैल 2016 को बिहार देश का पांचवा राज्य बना, जहां शराब का सेवन और जमा करने पर प्रतिबंध लगाई गई. लगभग 5 साल बीत जाने के बाद चौका देने वाला आंकड़ा सामने आया है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के 2020 के रिपोर्ट के अनुसार ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं. आंकड़े के मुताबिक बिहार में शराब बंदी लागू होने के बावजूद 15.5% पुरुष शराब का सेवन कर रहे हैं. महाराष्ट्र में शराबबंदी लागू नहीं है. इसके बावजूद 13.9 प्रतिशत लोग ही शराब का सेवन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: जहरीली शराब कांड में पुलिस पदाधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करे सरकार- HAM

करोड़ों के राजस्व का नुकसान
बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8% और शहरी क्षेत्रों में 14 फीसदी लोग शराब पी रहे हैं. यह स्थिति तब है जबकि बिहार में अब तक शराबबंदी कानून लागू होने के बाद 52 लाख लीटर से ज्यादा शराब जब्त किए गए हैं. दावा किया जाता रहा कि राजधाना पटना से लेकर औरंगाबाद तक शराबबंदी कानून पर सख्ती बरती जा रही है. अब जब आंकड़े सामने आए हैं तो पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में हैं.

शराबबंदी की कड़वी सच्चाई यह भी है
राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर लेकर पुलिस विभाग विभाग के मुखिया यानी डीजीपी तक कहते रहे हैं कि शराब पीने और बेचने वालों पर कार्रवाई की जा रही है. लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर दो लाख 55 हजार मामले दर्ज किए गए और अब तक तीन लाख 39401 अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी हुई है. लेकिन 5 साल में मात्र 470 अभियुक्तों को ही सजा दिलाई जा सकी है. जो अपने आप में बड़ा सवाल है. मौजूदा वक्त में इस खबर पर अधिकारियों की बोलती बंद हो गई है. देश जानता है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने से सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है.

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अब तक शराबबंदी में हुई कार्रवाई

शराब की बढ़ी खपत
शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब की खपत बढ़ी है. राज्य के अंदर शराबबंदी कानून प्रभावी रूप में नहीं लागू होने के चलते शराबबंदी कानून को रिव्यू करने की आवाज भी उठने लगी है. भाजपा नेता और विधान पार्षद संजय पासवान भी रिव्यू करने की वकालत कर चुके हैं. इससे पहले कांग्रेस और आरजेडी नेता भी शराबबंदी की समीक्षा की बात कह चुके हैं.

"शराबबंदी कानून लागू किया जाना चाहिए. हमें शर्म आती है, लेकिन बिहार में जिस तरीके से शराब बंदी लागू है, वह मजाक बनकर रह गया है .सरकार को चिंतन की जरूरत है"- शकील अहमद, कांग्रेस विधायक

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कांग्रेस विधायक शकील अहमद


"अगर राज्य में शराबबंदी कानून लागू किया जाए तो, उसे सही रूप में लागू किया जाए. लेकिन आज की तारीख में जिस तरीके की शराबबंदी कानून लागू है, उससे बेहतर यह होगा कि पहले वाली स्थिति ही बहाल कर दी जाए"- संदीप सौरव, भाकपा-माले विधायक

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भाकपा-माले विधायक संदीप सौरव

ये भी पढ़ें: बिहार में राजनीति और प्रशासन के गठजोड़ से चल रहा शराब का अवैध कारोबार: CPIML


"सत्ता के संरक्षण में शराब का अवैध धंधा बिहार में फल-फूल रहा है. शराबबंदी कानून मजाक बनकर रह गया है और बिना रोक-टोक होम डिलीवरी की जा रही है. ऐसे शराब बंदी कानून का कोई फायदा नहीं है"- भाई वीरेंद्र, राजद प्रवक्ता


"शराबबंदी कानून से बिहार में परिवर्तन आया है. समाज और परिवार में सुख शांति के साथ-साथ समृद्धि आई है. जो लोग भी गड़बड़ी करते पकड़े जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी"- विनोद नारायण, भाजपा विधायक

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भाजपा विधायक विनोद नारायण

ये भी पढ़ें: मंत्री और विधायकों की जेब में पहुंच रहा है शराब से होने वाली अवैध आमदनी का हिस्सा: RJD


जदयू विधायक रंजू गीता भी शराबबंदी की पक्षधर हैं. उनका कहना है कि नीतीश कुमार ने जोखिम भरा कदम उठाया है और इससे महिलाएं महफूज हैं. शराबबंदी कानून को जारी रखने की जरूरत है.

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समाजसेवी राजीव कुमार


बिहार में शराबबंदी सही अर्थों में लागू नहीं है. शराबबंदी के बावजूद लोग शराब पी रहे हैं. एक ओर शराब का अवैध धंधा हो रहा है, तो दूसरी तरफ सरकार को राजस्व की हानि हो रही है. ऐसे में सरकार को पुनर्विचार करने की जरूरत है- राजीव कुमार, समाजसेवी

Last Updated : Feb 28, 2021, 6:58 PM IST
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