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ऑनलाइन जवाब पर कड़ाई से नाराज हो रहे मंत्री, बीजेपी के नेता ही विधानसभा अध्यक्ष को दिखा रहे 'आंख'!

पिछले दिनों सत्ता में बैठे लोग और विधानसभा अध्यक्ष के बीच संघर्ष का नजारा दिखा. सत्ताधारी दल के सदस्य ने अध्यक्ष पर विपक्ष को अधिक संरक्षण देने का आरोप तक लगा दिया. मामला तब गरमा गया जब पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी और विधानसभा अध्यक्ष के बीच बहस हो गई, जिसके चलते सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.

Legislative Assembly Speaker
विधानसभा अध्यक्ष
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Published : Mar 20, 2021, 9:25 PM IST

Updated : Mar 21, 2021, 11:21 AM IST

पटना: विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए को जीत मिली और बीजेपी के विधायक जदयू से काफी अधिक संख्या में जीतकर सदन में पहुंचे. संख्या बल के दम पर बीजेपी ने दो उपमुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखा. पहले विधानसभा अध्यक्ष जदयू के होते थे.

यह भी पढ़ें- भूमि विवाद: बिहार सरकार का एक्शन प्लान तैयार, सिस्टम से अपराध की 'जमीन' को उखाड़ने की तैयारी

सरकार बनी और विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी बीजेपी नेता विजय सिन्हा को मिली. विधानसभा अध्यक्ष के रूप में दूसरे सत्र में ही विजय सिन्हा को अपनों के सितम सहने पड़ रहे हैं. विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब मंत्री ऑनालाइन दें, विधानसभा अध्यक्ष इसका कड़ाई से पालन करा रहे हैं. पहले जवाब मिल जाने से विधायक पूरक प्रश्न की तैयारी करके आते हैं. इसके चलते मंत्रियों को सदन में विपक्ष और पक्ष के विधायकों के कठिन सवालों का सामना करना पड़ता है. इससे मंत्री परेशान हो रहे हैं और कई बार गुस्से में विधानसभा अध्यक्ष को आंख दिखा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

सदन में दिखा मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के बीच संघर्ष
विधानसभा के संचालन का जिम्मा विधानसभा अध्यक्ष के पास होता है. सदन में अध्यक्ष सर्वोपरि होते हैं और अध्यक्ष के दिशा-निर्देश के मुताबिक सदन चलता है. पिछले दिनों सत्ता में बैठे लोग और विधानसभा अध्यक्ष के बीच संघर्ष का नजारा दिखा. यहां तक कि अध्यक्ष को इस्तीफे की धमकी देनी पड़ी.

एनडीए की सरकार में कुछ घटनाएं ऐसी हुई, जिसने लोकतंत्र को कलंकित किया. विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सत्ता पक्ष और अध्यक्ष के बीच संघर्ष देखने को मिला. सत्ताधारी दल के सदस्य ने अध्यक्ष पर विपक्ष को अधिक संरक्षण देने का आरोप तक लगा दिया. मामला तब गरमा गया जब पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी और विधानसभा अध्यक्ष के बीच बहस हो गई, जिसके चलते सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.

तारकिशोर ने लगाया था विपक्ष को अधिक संरक्षण देने का आरोप
15 मार्च को विधानसभा की कार्यवाही चल रही थी. प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गन्ना उद्योग मंत्री से सवाल पूछा था. चीनी मिल को लेकर सवाल था. तेजस्वी ने पूरक प्रश्न पूछा और संतुलित जवाब नहीं मिलने पर कहा कि कैसे-कैसे लोगों को मंत्री बना दिया जाता है. इसके बाद बवाल खड़ा हो गया था.

उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद सत्तापक्ष की ओर से खड़े हुए और कहा कि मंत्रियों के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मंत्रियों के मनोबल को तोड़ने की कोशिश चल रही है. उपमुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि विपक्ष के नेता को अधिक संरक्षण मिल रहा है.

ऊर्जा मंत्री और जदयू नेता विजेंद्र यादव ने भी हस्तक्षेप किया था और अध्यक्ष से था कहा कि आपके सामने कैसी-कैसी टिप्पणी मंत्रियों के बारे में की जा रही है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. हमें लगता है कि विपक्ष को अधिक तवज्जो दी जा रही है.

अध्यक्ष ने मंत्री को लगाई थी फटकार
विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने मंत्री प्रमोद कुमार को फटकार लगाई थी. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि जवाब में फैक्ट दें. यदि कोई संशय हो तो दोषी अधिकारियों को सजा दें और जांच कराएं. उप मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के बीच हल्की नोकझोंक हुई थी. विधानसभा अध्यक्ष ने उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को कहा था कि आप अपना तेवर विभाग में दिखाइएगा.

ऑनलाइन जवाब पर हुआ था विवाद
17 मार्च को पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी से भाजपा विधायक विनय बिहारी ने कहा था कि पंचायती राज विभाग की ओर से ऑनलाइन जवाब नहीं मिले. इसपर अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया था और कहा था कि आपके विभाग से ऑनलाइन जवाब नहीं मिलते हैं. पंचायती राज मंत्री ने कहा कि 16 में से 14 जवाब ऑनलाइन दिए गए हैं. इसपर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि आपके विभाग से 63% जवाब ही ऑनलाइन मिले हैं.

विधानसभा अध्यक्ष के जवाब पर मंत्री सम्राट चौधरी भड़क गए थे और कहा था कि ज्यादा व्याकुल होने की जरूरत नहीं है. इस तरीके से सदन नहीं चलाया जा सकता. इसपर अध्यक्ष ने उन्हें शब्द वापस लेने को कहा, लेकिन फिर उन्होंने कहा कि व्याकुल होने की जरूरत नहीं है. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी थी. बाद में मंत्री ने अपने बयान के लिए माफी मांगी थी.

दुर्भाग्यपूर्ण है ऐसी घटनाएं
राजनीतिक विश्लेषक बजट सत्र के दौरान बिहार विधानसभा में हुई घटनाओं पर चिंता जता रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं लोकतंत्र को कलंकित करती हैं.

Political Analyst Dr Sanjay Kumar
राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार

"संसदीय व्यवस्था में ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं. सत्ता पक्ष और विधानसभा अध्यक्ष के बीच नोकझोंक नहीं होना चाहिए. पंचायती राज मंत्री ने जिस तरह के शब्द अध्यक्ष के लिए इस्तेमाल किए गए वह लोकतंत्र को कलंकित करने वाला है."- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

"सदन में अध्यक्ष सर्वोपरि होते हैं. अध्यक्ष को सदस्य डिक्टेट नहीं कर सकते. विधानसभा में जो घटना हुई वह अफसोस जनक है. सत्ता में बैठे लोगों को कम से कम ऐसे व्यवहार से परहेज करना चाहिए."- उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

Uday Narayan Chaudhary
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी

"विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा बेहतर काम कर रहे हैं. विधानसभा में उनकी कार्यप्रणाली बेहतर है. हमारी पार्टी उनके साथ खड़ी है."- मृत्युंजय झा, बीजेपी प्रवक्ता

BJP spokesperson Mrityunjay Jha
बीजेपी प्रवक्ता मृत्युंजय झा

पटना: विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए को जीत मिली और बीजेपी के विधायक जदयू से काफी अधिक संख्या में जीतकर सदन में पहुंचे. संख्या बल के दम पर बीजेपी ने दो उपमुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखा. पहले विधानसभा अध्यक्ष जदयू के होते थे.

यह भी पढ़ें- भूमि विवाद: बिहार सरकार का एक्शन प्लान तैयार, सिस्टम से अपराध की 'जमीन' को उखाड़ने की तैयारी

सरकार बनी और विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी बीजेपी नेता विजय सिन्हा को मिली. विधानसभा अध्यक्ष के रूप में दूसरे सत्र में ही विजय सिन्हा को अपनों के सितम सहने पड़ रहे हैं. विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब मंत्री ऑनालाइन दें, विधानसभा अध्यक्ष इसका कड़ाई से पालन करा रहे हैं. पहले जवाब मिल जाने से विधायक पूरक प्रश्न की तैयारी करके आते हैं. इसके चलते मंत्रियों को सदन में विपक्ष और पक्ष के विधायकों के कठिन सवालों का सामना करना पड़ता है. इससे मंत्री परेशान हो रहे हैं और कई बार गुस्से में विधानसभा अध्यक्ष को आंख दिखा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

सदन में दिखा मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के बीच संघर्ष
विधानसभा के संचालन का जिम्मा विधानसभा अध्यक्ष के पास होता है. सदन में अध्यक्ष सर्वोपरि होते हैं और अध्यक्ष के दिशा-निर्देश के मुताबिक सदन चलता है. पिछले दिनों सत्ता में बैठे लोग और विधानसभा अध्यक्ष के बीच संघर्ष का नजारा दिखा. यहां तक कि अध्यक्ष को इस्तीफे की धमकी देनी पड़ी.

एनडीए की सरकार में कुछ घटनाएं ऐसी हुई, जिसने लोकतंत्र को कलंकित किया. विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सत्ता पक्ष और अध्यक्ष के बीच संघर्ष देखने को मिला. सत्ताधारी दल के सदस्य ने अध्यक्ष पर विपक्ष को अधिक संरक्षण देने का आरोप तक लगा दिया. मामला तब गरमा गया जब पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी और विधानसभा अध्यक्ष के बीच बहस हो गई, जिसके चलते सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.

तारकिशोर ने लगाया था विपक्ष को अधिक संरक्षण देने का आरोप
15 मार्च को विधानसभा की कार्यवाही चल रही थी. प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गन्ना उद्योग मंत्री से सवाल पूछा था. चीनी मिल को लेकर सवाल था. तेजस्वी ने पूरक प्रश्न पूछा और संतुलित जवाब नहीं मिलने पर कहा कि कैसे-कैसे लोगों को मंत्री बना दिया जाता है. इसके बाद बवाल खड़ा हो गया था.

उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद सत्तापक्ष की ओर से खड़े हुए और कहा कि मंत्रियों के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मंत्रियों के मनोबल को तोड़ने की कोशिश चल रही है. उपमुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि विपक्ष के नेता को अधिक संरक्षण मिल रहा है.

ऊर्जा मंत्री और जदयू नेता विजेंद्र यादव ने भी हस्तक्षेप किया था और अध्यक्ष से था कहा कि आपके सामने कैसी-कैसी टिप्पणी मंत्रियों के बारे में की जा रही है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. हमें लगता है कि विपक्ष को अधिक तवज्जो दी जा रही है.

अध्यक्ष ने मंत्री को लगाई थी फटकार
विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने मंत्री प्रमोद कुमार को फटकार लगाई थी. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि जवाब में फैक्ट दें. यदि कोई संशय हो तो दोषी अधिकारियों को सजा दें और जांच कराएं. उप मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के बीच हल्की नोकझोंक हुई थी. विधानसभा अध्यक्ष ने उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को कहा था कि आप अपना तेवर विभाग में दिखाइएगा.

ऑनलाइन जवाब पर हुआ था विवाद
17 मार्च को पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी से भाजपा विधायक विनय बिहारी ने कहा था कि पंचायती राज विभाग की ओर से ऑनलाइन जवाब नहीं मिले. इसपर अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया था और कहा था कि आपके विभाग से ऑनलाइन जवाब नहीं मिलते हैं. पंचायती राज मंत्री ने कहा कि 16 में से 14 जवाब ऑनलाइन दिए गए हैं. इसपर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि आपके विभाग से 63% जवाब ही ऑनलाइन मिले हैं.

विधानसभा अध्यक्ष के जवाब पर मंत्री सम्राट चौधरी भड़क गए थे और कहा था कि ज्यादा व्याकुल होने की जरूरत नहीं है. इस तरीके से सदन नहीं चलाया जा सकता. इसपर अध्यक्ष ने उन्हें शब्द वापस लेने को कहा, लेकिन फिर उन्होंने कहा कि व्याकुल होने की जरूरत नहीं है. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी थी. बाद में मंत्री ने अपने बयान के लिए माफी मांगी थी.

दुर्भाग्यपूर्ण है ऐसी घटनाएं
राजनीतिक विश्लेषक बजट सत्र के दौरान बिहार विधानसभा में हुई घटनाओं पर चिंता जता रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं लोकतंत्र को कलंकित करती हैं.

Political Analyst Dr Sanjay Kumar
राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार

"संसदीय व्यवस्था में ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं. सत्ता पक्ष और विधानसभा अध्यक्ष के बीच नोकझोंक नहीं होना चाहिए. पंचायती राज मंत्री ने जिस तरह के शब्द अध्यक्ष के लिए इस्तेमाल किए गए वह लोकतंत्र को कलंकित करने वाला है."- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

"सदन में अध्यक्ष सर्वोपरि होते हैं. अध्यक्ष को सदस्य डिक्टेट नहीं कर सकते. विधानसभा में जो घटना हुई वह अफसोस जनक है. सत्ता में बैठे लोगों को कम से कम ऐसे व्यवहार से परहेज करना चाहिए."- उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

Uday Narayan Chaudhary
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी

"विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा बेहतर काम कर रहे हैं. विधानसभा में उनकी कार्यप्रणाली बेहतर है. हमारी पार्टी उनके साथ खड़ी है."- मृत्युंजय झा, बीजेपी प्रवक्ता

BJP spokesperson Mrityunjay Jha
बीजेपी प्रवक्ता मृत्युंजय झा
Last Updated : Mar 21, 2021, 11:21 AM IST
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