पटना: बिहार में खाद की किल्लत और कालाबाजारी को लेकर बयानबाजी का दौर चल पड़ा है. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री भगवंत खुबा (Union Minister Bhagwant Khuba) ने खाद की कालाबाजारी ( Black Marketing Of Fertilizer In Bihar ) के लिए नीतीश सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. इसपर बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh On Bhagwant Khuba) ने निशाना साधते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री के बयान को मैंने देखा. आश्चर्यजनक रूप से आरोप लगा रहे थे कि बिहार सरकार में बैठे हुए लोग खाद की कालाबाजारी करा रहे हैं, यह बात सच है.
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'खुबा ने माना उनकी पार्टी का मंत्री खाद की चोरी करा रहा था': कृषि मंत्री ने कहा कि खाद की कालाबाजारी के सच को हम स्वीकार करते हैं. हमने भी तो दो चार दिन पहले यही बात कही थी. सवाल ये है कि कौन करा रहा है कालाबाजारी? बिहार सरकार में कौन व्यक्ति कालाबाजारी करा रहा था. भारतीय जनता पार्टी के जो केंद्र में मंत्री हैं उन्हीं के पार्टी के बिहार में मंत्री थे. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह थे. केंद्रीय मंत्री ने स्वीकार कर लिया कि उनकी पार्टी का ही मंत्री चोरी करा रहा था, तस्करी करा रहा था.
"चार दिन पहले मैंने बयान दिया कि मेरे विभाग में चोरी बेईमानी हो रहा है तो पूरे बिहार में हंगामा बरप गया. मैं भी तो कह रहा हूं कि चोरी हो रहा था. चोरी कराने वाले तो उन्हीं के लोग थे, मैं तो 25 दिन 1 महीने से मंत्री हूं. कहते हैं एक महीने पहले खाद इसलिए धीमा कर दिया क्योंकि यहां चोरी और तस्करी हो रहा था. जो बात मैं कह रहा था वह साबित हो गया."- सुधाकर सिंह, कृषि मंत्री, बिहार
'भारत सरकार अपनी कंपनियों पर करें कार्रवाई': सुधाकर सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार को फर्टिलाइजर की जो जरूरत होती है , उसे राज्य सरकार और भारत सरकार दोनों मिलकर तय करती है. कागजों पर संयुक्त रूप से स्वीकार किया जाता है कि बिहार को इतना मात्रा में फर्टिलाइजर चाहिए. बिहार को मात्र 78 प्रतिशत ही फर्टिलाइजर मिला. 22 प्रतिशत कम मिलने के कारण अफरा तफरी मची. एक महीने में स्थिति को हमने नियंत्रित कर लिया है. थोड़ी बहुत कीमतों में जो फर्क है वह, केंद्र की विफल नीतियों का परिणाम है. भारत सरकार की जो फर्टिलाइजर कंपनियां हैं वो रैक प्वाइंट से लेकर रिटेलर के बीच के भाड़े को वहन नहीं कर रही है.
'बिहार में भारत सरकार तस्करी करा रही है': अगर बिहार में 600 रुपये बोरा खाद बिक रहा था तो उन्होंने क्यों कार्रवाई नहीं की. भारत सरकार को कार्रवाई करना चाहिए था. खाद बेचने वाली कंपनियां भारत सरकार की हैं. कानून भी है कि मूल्य से अगर कोई भी एक रुपये ज्यादा में खाद बेच रहा हो तो उसको सब्सिडी नहीं दी जाएगी. क्या भारत सरकार स्वीकार करेगी कि उन कंपनियों को सब्सिडी नहीं जाएगी जिन्होंने 600 से 400 रुपये में खाद बेचे हैं. मतलब साफ है भारत सरकार ही बिहार में तस्करी करा रही है, कालाबाजारी करा रही है.
केंद्रीय मंत्री भगवंत खुबा का बयान: शुक्रवार को बिहार की राजधानी पटना पहुंचे केंद्रीय उर्वरक मंत्री भगवंत खुबा (Union Minister Bhagwant Khuba) ने खाद की कालाबाजारी को लेकर बिहार सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार तो पर्याप्त खाद मुहैया करा रही है, लेकिन बिहार में खाद की कालाबाजारी (Black Marketing Of Fertilizers In Bihar) के कारण किसान परेशान हैं.
"बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने भारत सरकार को चिट्ठी लिखी थी कि मांग से कम सप्लाई बिहार को की गई है. इस पर मैं हर महीने का हिसाब दिखाना चाहता हूं. इसमें हर महीने बिहार ने कितनी मांग की है, भारत सरकार का ओपनिंग बैलेंस क्या है और बिहार को उनके मांग एवज में कितना सप्लाई दिया गया, किसानों ने कितना खाद खरीदा और प्रदेश में खाद का कितना क्लोजिंग बैलेंस रह गया, इसका पूरा डिटेल है. बिहार में इन्होंने जमाखोरों और कालाबाजारियों से मिलकर कृत्रिम अभाव निर्मित कर दिया और पेपरबाजी कर इसे मुद्दा बना दिया. इसके बाद किसानों ने ज्यादा दाम पर खाद और यूरिया खरीदा. जबकि, भारत सरकार ढाई लाख करोड़ सब्सिडी केवल खाद पर किसानों को देती है, ताकि कम दाम पर किसान खाद खरीद सकें" - भगवंत खुबा, केंद्रीय