पटना: बिहार में देश के अंदर और देश के बाहर पलायन करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो (Migrating Is continuously Increasing from Bihar) रही है. यह बिहार में हर महीने बनने वाले पासपोर्ट से भी पता चलता है. जहां कोरोना से पहले हर महीने 24 से 25 हजार पासपोर्ट बनते थे लेकिन अब यह 37 हजार से अधिक बनने लगा है. इसमें सिवान, गोपालगंज और पटना टॉप 3 जिला है. जहां के लोग सबसे अधिक पासपोर्ट बना रहे हैं. दरअसल बिहार में कोरोना के समय 2020 में पासपोर्ट बनाने वालों की संख्या घटकर हर महीने 15000 के आसपास पहुंच गई थी. वैसे 2019 में हर महीने 26000 से अधिक पहुंच गया था लेकिन उससे पहले 24 से 25000 पासपोर्ट ही हर महीने बनाए जाते रहे हैं. कोरोना के बाद अब रिकॉर्ड पासपोर्ट बन रहा है. पासपोर्ट कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार हर महीने 37 हजार से अधिक लोग पासपोर्ट बिहार में बना रहे हैं.
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बिहार में पासपोर्ट बनाने के कुछ सालों के आंकड़ों को देखने से ही स्थिति स्पष्ट हो जा रही है.
वर्ष | साल | प्रति महीने |
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2018 | 298586 | 24883 |
2019 | 323197 | 26933 |
2020 | 181354 | 15113 |
2021 | 270438 | 22547 |
2022 | 369058 | 37895 |
पिछले 10 महीनों में 3 लाख 70 हजार बनाया गया पासपोर्ट: इस साल पासपोर्ट बनाने में टॉप जिलों की बात करें तो सिवान में 40716 गोपालगंज में 35000 और पटना में 28600 के करीब अब तक इस साल पासपोर्ट लोग बना चुके हैं. पिछले 10 महीनों में तीन लाख 70 हजार के करीब बिहार में पासपोर्ट बनाया गया है. पिछले 5 सालों में पासपोर्ट बनाने वालों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. हालांकि कोरोना के समय यह संख्या हर महीने लगभग 12000 से 15000 के बीच पहुंच गया था लेकिन अब फिर रिकॉर्ड छूने लगा है.
खाड़ी देशों में मिलता है अच्छा पैकेज: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि बिहार में नौकरी और रोजगार की समस्या है क्योंकि यहां कल कारखाने नहीं है. पहले भी खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में सीवान गोपालगंज और बिहार के अन्य जिलों से लोग जाते रहे हैं. क्योंकि वहां अच्छा पैकेज मिल जाता है. बिहार में सरकार जरूर नौकरी और रोजगार देने का दावा करती रही है लेकिन सच्चाई यही है कि लोगों के पास रोजगार नहीं है और इसलिए देश में और देश के बाहर जाने के लिए मजबूर हैं.
"एएन सिन्हा शोध संस्थान के पूर्व प्रोफेसर अजय झा का कहना है की अनइंप्लॉयमेंट तो कारण है ही साथ ही लोगों को यह भी प्रेरित करता है कि बाहर के देशों में खासकर खाड़ी देशों में डॉलर के रूप में अच्छी रकम मिल जाती है. उससे उन्हें अपनी और देश में रह रहे परिवार की माली हालत सुधारने में मदद मिलती है." :- प्रो अजय झा, पूर्व प्रोफेसर ए एन सिन्हा शोध संस्थान
"एक तरफ विदेशों में बिहार से पलायन बढ़ रहा है वहीं दूसरी तरफ देश के अंदर भी बिहार से पलायन करने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है. कोरोना के समय जो लोग बिहार लौटे थे उसमें से अधिकांश लोग फिर से जा चुके हैं. कोरोना के समय 35 लाख से अधिक लोग बिहार लौटे थे. बिहार में लोगों को काम नहीं मिल रहा है. यहां तक कि बिहार में मनरेगा के तहत भी रोजगार नहीं है. केंद्र सरकार से राशि नहीं मिल रही है और इसके कारण बिहार के मजदूर पलायन के लिए मजबूर हैं और इसके लिए केंद्र सरकार ही दोषी है." : - श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद ऐसे तो रोजगार और नौकरी देने के लगातार दावे हो रहे हैं और आने वाले समय में लाखों लोगों को नौकरी और रोजगार मुहैया कराने की बात भी कही जा रही है लेकिन जिस प्रकार से पलायन लोगों का हो रहा है. देश के अंदर और देश के बाहर साफ है. बिहार में नौकरी और रोजगार की भारी कमी है और लोग मजबूरी में भी मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों में जा रहे हैं. तो कोई अच्छी कमाई के लिए विदेश जा रहे हैं.