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बिहार के लिए वरदान साबित हुआ MGNREGA, अब तक 70 लाख लोगों को मिला रोजगार

ग्रामीण विकास विभाग मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि बिहार में अब तक 70 लाख लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा चुका है. वहीं, सूचना जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि बिहार में ग्रामीण इलाकों में मनरेगा ने दिशा और दशा बदला है.

पटना से अविनाश की रिपोर्ट
पटना से अविनाश की रिपोर्ट
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Published : Jun 7, 2020, 7:39 PM IST

पटना: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (MGNREGA) योजना पर लंबे समय से सियासत होती रही है. कोरोना महामारी के समय मनरेगा बिहार के लिए एक बड़ा वरदान बनकर सामने आयी है. लाखों की संख्या में लौट रहे प्रवासियों को बिहार सरकार इससे रोजगार उपलब्ध करा रही है. 2005 से शुरू हुई यह योजना आज बिहार और कई राज्यों के ग्रामीण इलाकों की दशा-दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

2 अक्टूबर 2005 को केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी. पहले इस योजना का नाम नरेगा था. लेकिन 31 दिसंबर 2009 को इस योजना के नाम में परिवर्तन कर महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा कर दिया गया.

पटना से अविनाश की रिपोर्ट

साल दर साल बढ़ी बजट राशि

देश की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में साल दर साल बजट राशि बढ़ रही है और कोरोना महामारी के समय केंद्र सरकार ने इसका बजट आकार 66% बढ़ा दिया है.

'खेत का पानी खेत में- रोटी जाएगी पेट में'
'खेत का पानी खेत में- रोटी जाएगी पेट में'
  • 2015- 16 में 37 हजार 341 करोड़
  • 2016-17 में 48 हजार 215 करोड़
  • 2017-18 में 55 हजार 166 करोड़
  • 2018-19 में 61 हजार815 करोड़
  • 2020-21 में 71 हजार करोड़

मनरेगा योजना के अंतर्गत इनपर हो रहा काम

  1. जल संरक्षण
  2. सूखे की रोकथाम के अंतर्गत वृक्षारोपण
  3. बाढ़ नियंत्रण
  4. भूमि विकास से संबंधित कार्य
  5. विभिन्न तरह के आवास निर्माण से संबंधित कार्य
  6. लघु सिंचाई से संबंधित कार्य
  7. बागवानी से संबंधित कार्य
  8. ग्रामीण संपर्क सड़क के निर्माण से संबंधित कार्य

कोई भी ऐसा कार्य से केंद्र सरकार राज्य सरकार से सलाह लेकर अधिसूचित करती है. वो सभी मनरेगा के अधीन करवाये जाते हैं.

मनरेगा के तहत काम करते ग्रामीण
मनरेगा के तहत काम करते ग्रामीण

प्रवासियों को मनरेगा के तहत नौकरी देने की तैयारी
बिहार बिहार में मनरेगा के तहत लाखों प्रवासियों को नौकरी देने की कोशिश हो रही है. ग्रामीण विकास विभाग मंत्री श्रवण कुमार की मानें तो 70 लाख लोगों को अब तक मनरेगा से रोजगार दिया जा चुका है. श्रवण कुमार का यह भी कहना है ब्लॉक क्वॉरेंटाइन केंद्रों में ही 1 लाख 15 हजार 828 प्रवासियों को जॉब कार्ड मुहैया कराया गया है. 2020-21 में अब तक 3 करोड़ 90 लाख से अधिक मानव दिवस सृजित किया गए हैं.

श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग
श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग

ग्रामीण विकास मंत्री का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार से साल में मनरेगा के तहत न्यूनतम 100 दिन से बढ़ाकर 200 दिन रोजगार देने का आग्रह किया गया है. इसके साथ अभी 193 रुपये प्रतिदिन मजदूरों को भुगतान किया जाता है. इस राशि को भी बढ़ाने का आग्रह किया गया है. कई राज्यों में मनरेगा में प्रतिदिन अधिक भुगतान होता है और बिहार में भी बिहार सरकार अपनी दूसरी योजनाओं में मजदूरों को अधिक भुगतान करती है. ऐसे मनरेगा में पहले 177 रुपये ही भुगतान किया जाता था, जिसे बढ़ाकर 193 रुपया कर दिया गया. सूचना जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि बिहार में ग्रामीण इलाकों में मनरेगा ने दिशा और दशा बदला है.

नीरज कुमार, मंत्री, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग
नीरज कुमार, मंत्री, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग

66 प्रतिशत बढ़ा आवंटन
प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज में से 40 हजार करोड़ की राशि मनरेगा को दी गई है. इससे 66% इसका आवंटन बढ़ा है. सरकार का मानना है कि इससे गांव की तरफ रुख कर चुके मजदूरों को रोजगार मिलने और उनके लिए रोजी-रोटी का इंतजाम करने में मदद मिलेगी. 300 करोड़ अतिरिक्त मानव दिवस इससे सृजित किया जा सकेंगे और इससे अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलेगी.

पटना: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (MGNREGA) योजना पर लंबे समय से सियासत होती रही है. कोरोना महामारी के समय मनरेगा बिहार के लिए एक बड़ा वरदान बनकर सामने आयी है. लाखों की संख्या में लौट रहे प्रवासियों को बिहार सरकार इससे रोजगार उपलब्ध करा रही है. 2005 से शुरू हुई यह योजना आज बिहार और कई राज्यों के ग्रामीण इलाकों की दशा-दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

2 अक्टूबर 2005 को केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी. पहले इस योजना का नाम नरेगा था. लेकिन 31 दिसंबर 2009 को इस योजना के नाम में परिवर्तन कर महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा कर दिया गया.

पटना से अविनाश की रिपोर्ट

साल दर साल बढ़ी बजट राशि

देश की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में साल दर साल बजट राशि बढ़ रही है और कोरोना महामारी के समय केंद्र सरकार ने इसका बजट आकार 66% बढ़ा दिया है.

'खेत का पानी खेत में- रोटी जाएगी पेट में'
'खेत का पानी खेत में- रोटी जाएगी पेट में'
  • 2015- 16 में 37 हजार 341 करोड़
  • 2016-17 में 48 हजार 215 करोड़
  • 2017-18 में 55 हजार 166 करोड़
  • 2018-19 में 61 हजार815 करोड़
  • 2020-21 में 71 हजार करोड़

मनरेगा योजना के अंतर्गत इनपर हो रहा काम

  1. जल संरक्षण
  2. सूखे की रोकथाम के अंतर्गत वृक्षारोपण
  3. बाढ़ नियंत्रण
  4. भूमि विकास से संबंधित कार्य
  5. विभिन्न तरह के आवास निर्माण से संबंधित कार्य
  6. लघु सिंचाई से संबंधित कार्य
  7. बागवानी से संबंधित कार्य
  8. ग्रामीण संपर्क सड़क के निर्माण से संबंधित कार्य

कोई भी ऐसा कार्य से केंद्र सरकार राज्य सरकार से सलाह लेकर अधिसूचित करती है. वो सभी मनरेगा के अधीन करवाये जाते हैं.

मनरेगा के तहत काम करते ग्रामीण
मनरेगा के तहत काम करते ग्रामीण

प्रवासियों को मनरेगा के तहत नौकरी देने की तैयारी
बिहार बिहार में मनरेगा के तहत लाखों प्रवासियों को नौकरी देने की कोशिश हो रही है. ग्रामीण विकास विभाग मंत्री श्रवण कुमार की मानें तो 70 लाख लोगों को अब तक मनरेगा से रोजगार दिया जा चुका है. श्रवण कुमार का यह भी कहना है ब्लॉक क्वॉरेंटाइन केंद्रों में ही 1 लाख 15 हजार 828 प्रवासियों को जॉब कार्ड मुहैया कराया गया है. 2020-21 में अब तक 3 करोड़ 90 लाख से अधिक मानव दिवस सृजित किया गए हैं.

श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग
श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग

ग्रामीण विकास मंत्री का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार से साल में मनरेगा के तहत न्यूनतम 100 दिन से बढ़ाकर 200 दिन रोजगार देने का आग्रह किया गया है. इसके साथ अभी 193 रुपये प्रतिदिन मजदूरों को भुगतान किया जाता है. इस राशि को भी बढ़ाने का आग्रह किया गया है. कई राज्यों में मनरेगा में प्रतिदिन अधिक भुगतान होता है और बिहार में भी बिहार सरकार अपनी दूसरी योजनाओं में मजदूरों को अधिक भुगतान करती है. ऐसे मनरेगा में पहले 177 रुपये ही भुगतान किया जाता था, जिसे बढ़ाकर 193 रुपया कर दिया गया. सूचना जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि बिहार में ग्रामीण इलाकों में मनरेगा ने दिशा और दशा बदला है.

नीरज कुमार, मंत्री, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग
नीरज कुमार, मंत्री, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग

66 प्रतिशत बढ़ा आवंटन
प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज में से 40 हजार करोड़ की राशि मनरेगा को दी गई है. इससे 66% इसका आवंटन बढ़ा है. सरकार का मानना है कि इससे गांव की तरफ रुख कर चुके मजदूरों को रोजगार मिलने और उनके लिए रोजी-रोटी का इंतजाम करने में मदद मिलेगी. 300 करोड़ अतिरिक्त मानव दिवस इससे सृजित किया जा सकेंगे और इससे अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलेगी.

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