पटना: नवरात्रि में हर दिन मां के अलग स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है. आज नवरात्रि का दूसरा दिन है यानी मां ब्रह्माचारिणी की पूजा-अर्चना भक्त कड़ते है .मां का यह रूप भक्तों को मनचाहा वरदान देती है .आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि मां के नाम का पहला अक्षर ब्रह्म होता है, जिसका मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना.
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मां की पूजा से मिलेगा ये फल: मान्यता है कि इनकी पूजा से मनुष्य को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है.उन्होंने कहा कि मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल है. मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा है.
मां ब्रह्मचारिणी पूजा-विधि:अपनी इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया . इसलिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में सफेद फूल तरह-तरह के मेवा मिष्ठान माता को भोग लगाना चाहिए माता का वस्त्र सफेद है. नवरात्रि के दूसरे दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहन कर पूजा करना चाहिए. इसके बाद कलश की पूजा विधिवत तरीके से करें. इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करे.सबसे पहले मां को जल अर्पित कर इसके बाद फूल, माला, रोली, सिंदूर आदि चढ़ा कर घी का दीपक और धूप बत्ती जला दुर्गा चालीसा के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. मां दुर्गा के विधिवत पूजा करने से माता भक्तों का मनोरथ पूर्ण करती है.
"मां के ब्रह्मचारिणी रूप को समस्त विद्याओं की जननी माना गया है. मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है. अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त है अपने भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या देकर विजयी बनाती है. इस बार मां की पूजा 9 दिन होगी. तिथि की टूट नहीं है कभी-कभी ऐसा होता है कि एक दिन में दो तिथी प्रवेश करने से दिन का टुट होता है पर उदया तिथि को लेकर पूरे दिन पूजा होगी."-रामाशंकर दुबे ,आचार्य
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