ETV Bharat / state

पटना: राजेंद्र स्मृति संग्रहालय में आज भी जिंदा हैं डॉ. राजेंद्र प्रसाद की यादें

राजेंद्र स्मृति संग्रहालय में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की यादें आज भी जिंदा हैं. उनसे जुड़ी चीजें आज में यहां जस के तस रखी हुई हैं. लेकिन, सरकारी अनदेखी के कारण आज इस ऐतिहासिक स्थल की कोई सुध नहीं ले रहा है.

राजेंद्र स्मृति संग्रहालय
राजेंद्र स्मृति संग्रहालय
author img

By

Published : Dec 3, 2019, 6:32 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 7:08 PM IST

पटना: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बिहार में विद्यापीठ को अपनी कर्मभूमि बनाया. वर्षों तक विद्यापीठ ही उनका निवास स्थल रहा. जब उन्होंने राष्ट्रपति से अवकाश लिया तब भी वो विद्यापीठ स्थित आवास में ही आकर ठहरे थे. देश के पहले राष्ट्रपति का खपरैल आवास आज भी उनकी सादगी की गवाही दे रहा है.

राजेंद्र स्मृति संग्रहालय में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की यादें आज भी जिंदा है. उनसे जुड़ी चीजें आज यहां जस के तस रखी हुई हैं. लेकिन, सरकारी अनदेखी के कारण इस ऐतिहासिक स्थल की कोई सुध नहीं ले रहा है. आम दिन तो दूर जयंती और पुण्यतिथि के मौके पर भी यहां कोई नहीं आता.

राजेंद्र स्मृति संग्रहालय पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता

गांधी जी ने सौंपी थी राजेंद्र बाबू को जिम्मेदारी
बिहार विद्यापीठ की स्थापना मौलाना मजहरूल हक की ओर से दी गई जमीन पर की गई थी. साल 1921 में गांधी जी ने देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के हाथों में इसकी जिम्मेदारी दी थी. महात्मा गांधी के सपनों का विद्यापीठ डॉ. राजेंद्र प्रसाद के लिए कर्मभूमि रहा. स्थापना काल से ही राजेंद्र प्रसाद का विद्यापीठ से विशेष लगाव था. उन्होंने अपने जीवन के अंतिम क्षण यहीं व्यतीत किए.

patna
यहां बैठ कर पढ़ा करते थे राजेंद्र प्रसाद

यह भी पढ़ें: जयंती विशेष : देश के पहले राष्ट्रपति की आंसर शीट देखकर एग्जामिनर ने कही थी ये बात

यहीं से मंत्री बनने गए थे राजेंद्र प्रसाद
साल 1946 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय मंत्री बनने के लिए इसी खपरैल घर से गए थे. 12 सालों तक राजेंद्र बाबू राष्ट्रपति आवास में रहने के बाद वापस फिर इसी आवास में लौटे. यहां उनसे जुड़ी कई तस्वीरें मौजूद हैं. उनकी यादों के आधार पर उनके निवास स्थान को राजेंद्र स्मृति संग्रहालय का नाम दिया गया है.

पटना: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बिहार में विद्यापीठ को अपनी कर्मभूमि बनाया. वर्षों तक विद्यापीठ ही उनका निवास स्थल रहा. जब उन्होंने राष्ट्रपति से अवकाश लिया तब भी वो विद्यापीठ स्थित आवास में ही आकर ठहरे थे. देश के पहले राष्ट्रपति का खपरैल आवास आज भी उनकी सादगी की गवाही दे रहा है.

राजेंद्र स्मृति संग्रहालय में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की यादें आज भी जिंदा है. उनसे जुड़ी चीजें आज यहां जस के तस रखी हुई हैं. लेकिन, सरकारी अनदेखी के कारण इस ऐतिहासिक स्थल की कोई सुध नहीं ले रहा है. आम दिन तो दूर जयंती और पुण्यतिथि के मौके पर भी यहां कोई नहीं आता.

राजेंद्र स्मृति संग्रहालय पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता

गांधी जी ने सौंपी थी राजेंद्र बाबू को जिम्मेदारी
बिहार विद्यापीठ की स्थापना मौलाना मजहरूल हक की ओर से दी गई जमीन पर की गई थी. साल 1921 में गांधी जी ने देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के हाथों में इसकी जिम्मेदारी दी थी. महात्मा गांधी के सपनों का विद्यापीठ डॉ. राजेंद्र प्रसाद के लिए कर्मभूमि रहा. स्थापना काल से ही राजेंद्र प्रसाद का विद्यापीठ से विशेष लगाव था. उन्होंने अपने जीवन के अंतिम क्षण यहीं व्यतीत किए.

patna
यहां बैठ कर पढ़ा करते थे राजेंद्र प्रसाद

यह भी पढ़ें: जयंती विशेष : देश के पहले राष्ट्रपति की आंसर शीट देखकर एग्जामिनर ने कही थी ये बात

यहीं से मंत्री बनने गए थे राजेंद्र प्रसाद
साल 1946 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय मंत्री बनने के लिए इसी खपरैल घर से गए थे. 12 सालों तक राजेंद्र बाबू राष्ट्रपति आवास में रहने के बाद वापस फिर इसी आवास में लौटे. यहां उनसे जुड़ी कई तस्वीरें मौजूद हैं. उनकी यादों के आधार पर उनके निवास स्थान को राजेंद्र स्मृति संग्रहालय का नाम दिया गया है.

Intro:पटना-- देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बिहार में विद्यापीठ को अपना कर्मभूमि बनाया था । वर्षों तक विद्यापीठ ही उनका निवास स्थल रहा है यहां तक कि जब राष्ट्रपति से अवकाश लिए तब भी विद्यापीठ स्थित आवास में ही आकर रहे. देश के पहले राष्ट्रपति का खपरैल नुमा आवास आज भी उनकी सादगी की गवाही दे रहा है राजेंद्र स्मृति संग्रहालय में उनकी यादों को संजो कर रखा गया है।
पेश है खास रिपोर्ट---


Body: बिहार विद्यापीठ की स्थापना मौलाना मजहरूल हक के दिए जमीन पर की गई थी 1921 में गांधी जी ने देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद हाथों में इसकी जिम्मेवारी दी थी । महात्मा गांधी के सपनों का विद्यापीठ डॉ राजेंद्र प्रसाद के लिए कर्मभूमि रहा स्थापना काल से ही राजेंद्र प्रसाद का विद्यापीठ से विशेष लगाव रहा और जीवन का अंतिम क्षण विद्यापीठ में ही बिताया ।1946 में जब डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय मंत्री गए तो यहीं से गए थे और फिर राष्ट्रपति बने और 12 सालों तक राजेंद्र बाबू राष्ट्रपति आवास में रहने के बाद वापस फिर अपने पुराने दो रूम वाले खपरैलनुमा घर में ही रहने पटना लौटे थे। आज भी राजेंद्र बाबू के उस आवास को देखने से साफ लगता है कि देश के पहले राष्ट्रपति कितने सादगी से अपना जीवन बिताया है उनकी यादों को उनके निवास स्थान जिसे राजेंद्र स्मृति संग्रहालय का नाम दिया गया, में संजो कर रखा गया है।


Conclusion:ऐसे तो विद्यापीठ में आज कई सांस्कृतिक शैक्षणिक काम हो रहे हैं लेकिन देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की यादों को जितने भव्य तरीके से रखना चाहिए था और प्रचार-प्रसार होना चाहिए था वह नहीं हो रहा है।
अविनाश, पटना।
Last Updated : Dec 3, 2019, 7:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.