पटना: बिहार में गंगा नदी (Ganga River) पर अभी 6 पुल बने हुए हैं. 9 पुल और बनने वाले हैं. इनमें से कुछ पर काम चल रहा है तो कुछ पर निर्माण कार्य शुरू होना है. यानी कुल 15 पुल गंगा पर बनाने की तैयारी है. गंगा पर बन रहे पुल में ताजपुर बख्तियारपुर पुल का निर्माण कार्य एजेंसी ने छोड़ दिया है. पिछले 10 साल से पुल बन रहा है, लेकिन आधा भी तैयार नहीं हुआ है. कुछ प्रमुख बड़े पुलों का निर्माण जो तय समय से पूरा नहीं हो रहा है...
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कच्ची दरगाह बिदुपुर 6 लेन पुल: इसका निर्माण 16 फरवरी, 2017 में शुरू हुआ था. काम पूरा होने का लक्ष्य जनवरी 2021 था. अब इसे बढ़ाकर दिसंबर 2023 कर दिया गया है. शुरू में इसके लागत का आकलन 3115 करोड़ रुपये किया गया था. अब 5000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.
महात्मा गांधी सेतु का जीर्णोद्धार कार्य: 2383 करोड़ रुपये में टेंडर हुआ था. इसमें सुपर स्ट्रक्चर बदलना था. 1742 करोड़ रुपये में यह स्वीकृत हुआ. काम पूरा होने का लक्ष्य 2018 तय किया गया था. सुपर स्ट्रक्चर काटने में ही लंबा समय लग गया. 2020 में इसका एक भाग चालू हुआ. पश्चिमी लेन के चालू होने के बाद अब पूर्वी लेन के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है. अगले साल काम पूरा होने का लक्ष्य है. दोनों तरफ का सुपर स्ट्रक्चर बदलने की लागत डेढ़ गुना बढ़ गई है.
दीघा-दीदारगंज गंगा पथ: इसकी शुरुआत 2013 में हुई थी. उस समय इसके खर्च का आकलन 1800 करोड़ रुपये के आसपास था. 2017 में काम पूरा करना था. अब इस पर 5000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है और काम पूरा होने का लक्ष्य 2022 है. इसका कुछ भाग इस साल चालू किया जाएगा.
गांधी सेतु के समानांतर 4 लेन पुल: इसका निर्माण 2020 में शुरू होना था, लेकिन चीनी कंपनियों की दिलचस्पी के कारण पहले टेंडर रद्द किया गया फिर नया टेंडर जारी हुआ. अब इस साल निर्माण शुरू होने की बात है. पहले इस पुल के निर्माण पर 1900 करोड़ रुपये खर्च का आकलन था. अब करीब 2900 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इसपर जल्द काम शुरू हो सकता है.
मनिहारी साहिबगंज गंगा पुल: इस पुल के निर्माण की चर्चा पिछले कई साल से हो रही है. चार लेन पुल के निर्माण पर अभी 19 सौ करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. इसका काम बहुत आगे नहीं बढ़ा है.
बख्तियारपुर ताजपुर 4 लेन पुल: इसका निर्माण 30 नवंबर 2011 को शुरू हुआ था. काम पूरा होने का लक्ष्य 31 जुलाई 2019 था. काम में देर होने पर लक्ष्य 31 मई 2020 तक बढ़ाया गया. अब इसका निर्माण पूरा होने का लक्ष्य मार्च 2022 रखा गया है. शुरू में इसके निर्माण की लागत का आकलन 1500 करोड़ रुपये रखा गया था. अब इसकी लागत 1700 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है. एजेंसी ने 2 साल से काम बंद कर रखा है.
पीपी मोड में बन रहे पुल के निर्माण में एजेंसी को 900 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च करनी है. बिहार सरकार ने बैंक से कर्ज दिलवाने में मदद भी की. इसके साथ ही योजना में भी बिहार और केंद्र सरकार का सहयोग है, लेकिन एजेंसी ने आर्थिक तंगी के कारण काम रोक रखा है. मुख्यमंत्री ने 2018 में इसका हवाई सर्वेक्षण भी किया था. उन्होंने इसके निर्माण की लगातार समीक्षा भी की, लेकिन इसपर लगा ग्रहण समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है. बख्तियारपुर ताजपुर पुल 10 साल में भी नहीं बना है.
इसके अलावा पटना रिंग रोड के तहत भी गंगा नदी पर एक चार लेन पुल बनाने की योजना है. गंगा नदी पर पुल का निर्माण अभी चल रहा है. इसके बाद एप्रोच रोड भी बनाना पड़ेगा. कई मेगा ब्रिज से जुड़े एप्रोच रोड में जमीन अधिग्रहण की समस्या बनी हुई है. हालांकि पथ निर्माण विभाग का दावा है कि पुल का निर्माण कार्य पूरा होते ही एप्रोच रोड पर भी काम तेजी से होगा. कहीं कोई समस्या नहीं आएगी.
"गंगा पर पुल निर्माण की जो भी योजनाएं हैं उन्हें पूरा करने की कोशिश हो रही है. ताजपुर बख्तियारपुर के लिए भी वित्त विभाग से बात की गई है. केंद्र सरकार से भी बातचीत की जा रही है. महात्मा गांधी सेतु के एक हिस्से का काम पूरा हो गया. दूसरे हिस्से का काम चल रहा है. बारिश के समय में भले काम रुका है, लेकिन हमलोगों ने समय सीमा में निर्माण कार्य पूरा कराने का संकल्प लिया है."- नितिन नवीन, मंत्री, पथ निर्माण विभाग
बता दें कि नीतीश सरकार ने प्रदेश के सुदूर इलाकों से राजधानी पहुंचने का लक्ष्य 5 घंटे रखा है. इस पर पथ निर्माण विभाग काम भी कर रहा है. गंगा पर बन रहे मेगा ब्रिज इस लक्ष्य को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे. हालांकि अधिकांश ब्रिज का निर्माण कार्य लक्ष्य से काफी पीछे है. ऐसे में 5 घंटे का लक्ष्य पूरा करना एक बड़ी चुनौती है.
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