पटना: देश को कोरोना संकट के दौर से गुजर रहा है. कोरोना महामारी से निपटने के लिए पीएम मोदी ने लॉक डाउन का ऐलान किया है. सभी सेवाओं को अचानक से बंद कर दिया गया है. ऐसे में लोगों के सामने काफी समस्याएं खड़ी हो गई हैं. इन्हीं समस्याओं से एक दवा और मेडिकल की समस्याएं हैं. इसके लिए लोगों की मदद के लिए पटना में यूपी, राजस्थान और कर्नाटक के युवाओं ने कमान संभाली हुई है. कोरोना योद्धा के रूप में उभरे ये युवा जरूरतमंदों के घर-घर जाकर उन्हें आवश्यक सेवा देने में लगे हुए हैं.
प्रदेश के सबसे बड़े हॉस्पिटल पीएमसीएच में कार्यरत अन्य राज्यों से आए युवाओं ने सराहनीय पहल की है. छोटी-मोटी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को ट्रीटमेंट देने के लिए ये युवा पीएमसीएच में ड्यूटी देने के बाद उनकी मदद करने पहुंच रहे हैं. किसी को अपनी चल रही दवा का डोज लेना होता है या इंजेक्शन लगवाना होता है. किसी को चोट लग गई होती है या किसी का बीपी हाई होता है. ऐसे में ये योद्धा उनकी मदद करने पहुंच जाते हैं.
महामारी के दौर में 'हेल्पिंग हैंड'
इन दिनों कोरोना का खौफ इस कदर है कि सामान्य बीमारी से ग्रसित लोगों को भी डॉक्टर और कंपाउंडर छूने से घबराते हैं. ऐसी परिस्थिति में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान के युवा पटना के तमाम लोगों के लिए हेल्पिंग हैंड बने हैं. टीम में जयप्रकाश त्यागी, पवन, विवेक, रामअवतार, सुनील यादव और मुकेश तिवारी राजस्थान से आते हैं. तो अशोक पांडेय, सूर्यकांत त्यागी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. वसीर अहमद कर्नाटक के रहने वाले हैं और यह लोग अपनी जान की चिंता किए बगैर लोगों के घर-घर जाकर निशुल्क सेवा दे रहे हैं.
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क्या कहते हैं मेडिकल छात्र?
हेल्पिंग हैंड के सदस्यों ने बताया कि इस काम के लिए उन्होंने सबसे पहले अस्पताल अधीक्षक से परमिशन मांगी. वहां से मिली अनुमति के बाद ही इन्होंने अपने नंबर शेयर किये. अस्पताल में भर्ती रहे मरीज पहले से इनके संपर्क में थे. धीरे-धीरे अन्य लोगों तक इनका नंबर पहुंचा और अब ये सभी जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं.
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रोजाना आते हैं फोन
राजधानी पटना में लॉक डाउन के बाद 7 अप्रैल से इन युवाओं ने सेवाएं देनी शुरू की. हर रोज इनके पास 50 से 100 फोन कॉल आ रहे हैं. ये सभी जरूरतमंदों तक पहुंच उनकी मदद करते हैं. कोरोना संक्रमण के काल में इन कोरोना योद्धाओं ने लोगों की निशुल्क सेवा कर रहे हैं. कोरोना इमरजेंसी के इस दौरा