पटना: पटना के जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में 'जन आंदोलनों के मुद्दे और शराबबंदी' के विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्य वक्ता के तौर पर प्रख्यात समाजसेवी कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुआ नेता मेधा पाटकर (social worker medha patkar) मौजूद रहीं. मेधा पाटकर ने कहा कि बिहार जन आंदोलनों की धरती रही है. देश भर के लोगों की अभिलाषा होती है कि बिहार जन आंदोलनों का नेतृत्व करें. उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत वर्ष में अमृत पर्व मनाया जा रहा है लेकिन अमृत के नाम पर जहर फैलाया जा रहा है. लोगों से उनकी आजादी छीनी जा रही है.
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'वह शराब बंदी के पक्ष में है लेकिन इसके कानूनों में थोड़ी सुधार की जरूरत है ताकि इसकी सख्ती से निर्दोष लोगों को तकलीफ ना हो. शराब पीने से मृत्यु की स्थिति में उनके परिवार के साथ सरकार को खड़ा होने की जरूरत है' - मेधा पाटकर, सामाजिक कार्यकर्ता
भय का माहौल बनाया जा रहाः मेधा पाटकर ने कहा कि आज के समय सत्ता में बैठे लोगों के द्वारा भय का माहौल बनाया जा रहा है. ऐसे में बेहतर भारत के निर्माण में बिहार को प्रेरक भूमिका निभानी होगी. उन्होंने कहा कि गांधी के स्वदेशी नीति को बढ़ावा देकर ही स्वरोजगार को बल मिल पाएगा. आज यह दुखद है कि भारत सरकार रोजगार के अवसर को खत्म कर कॉरपोरेट्स को ताकतवर कर रही है. उन्होंने कहा कि देश के संपत्तियों को बेचने के बजाय 2% अमीरों पर टैक्स लगाकर कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखना चाहिए.
नशा मुक्त भारत का सपना: मेधा पाटकर ने कहा कि उन्होंने बिहार में शराबबंदी का समर्थन किया था और आज भी वह इस पर कायम है क्योंकि वह नशा मुक्त भारत बनाने के अभियान पर निकली हुई है. उन्होंने कहा कि वह शराबबंदी के साथ-साथ पूर्ण नशा बंदी के पक्ष में है. नशा मुक्त भारत का सपना महात्मा गांधी बाबा साहब अंबेडकर वीर शिवाजी जैसे कई महान गायकों ने देखा था. राज्यों को शराबबंदी के लिए कानून बनाना चाहिए हालांकि वह मानती है कि कोई भी कानून पूर्ण रूप से अमल नहीं होता लेकिन इसका फायदा जरूर निकलता है.
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हर प्रकार की नशा बंदी होनी चाहिए: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मेधा पाटकर ने कहा कि वह शराब बंदी के पक्ष में है लेकिन इसके कानूनों में थोड़ी सुधार की जरूरत है ताकि इसकी सख्ती से निर्दोष लोगों को तकलीफ ना हो. शराब पीने से मृत्यु की स्थिति में उनके परिवार के साथ सरकार को खड़ा होने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी का सामाजिक दायरा है और संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांत के तहत अनुच्छेद 47 का अनुसरण करते हुए हर राज्य को शराबबंदी अपनाना चाहिए और शराबबंदी के साथ-साथ शराब मुक्ति पर भी काम करना चाहिए. हर प्रकार की नशा बंदी होनी चाहिए.
सहकारी पद्धति पर बसाना हैः मेधा पाटकर ने कहा कि आज के समय आंदोलनों के लिए कई मुद्दे हैं. उनमें से मुख्य मुद्दे हैं जल जंगल जमीन बचानी है, गैर बराबरी हटानी है, अडानी और अंबानी जैसे पूंजी पतियों को चैलेंज करना है इसके साथ-साथ रोजगार का निर्माण सही विकेंद्रीकरण के द्वारा ग्राम सभा और बस्ती सभा को ले करके करना है. शहर के बस्तियों को वही के भूमि पर अधिकार देकर सहकारी पद्धति पर बसाना है. यही सब मुद्दे हैं और इन्हीं मुद्दों पर आंदोलन की आवश्यकता है.