पटना: जिले में हर वर्ष नए साल को सेलिब्रेट करने 31 दिसंबर की रात 12 बजे लोग भारी संख्या में मौर्या लोक की ओर रुख करते दिखते थे. लेकिन इस वर्ष 31 दिसम्बर की रात पटना का मौर्य लोक फीका देखा गया. देर रात बहुत कम संख्या में लोगों की मौजूदगी नजर आई.
कम लोगों ने नए साल को किया सेलिब्रेट
मौर्या लोक कॉलोनी के दुकानदार बताते हैं कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष संक्रमण और ठंढ को लेकर बहुत कम संख्या में लोग 31 दिसम्बर और नए साल को सेलिब्रेट करने पहुंचे हैं. प्रत्येक वर्ष 31 दिसंबर की रात दुकानदारों का अच्छा मुनाफा हो जाता था. लेकिन इस वर्ष संक्रमण काल के दौरान मुनाफा बहुत कम हुआ. ऐसे में दुकानदारों को भारी नुकसान झेलना पड़ा.
वैक्सीन आने से मिली राहत
मौर्या लोक में 31 दिसंबर की देर रात नए साल को सेलिब्रेट करने कुछ परिवार दिखें. इस दौरान वहां उपस्थित युवतियों ने बताया कि 2020 संक्रमण का साल था. वहीं 2021 में कोरोना संक्रमण का वैक्सीन आने की उम्मीद से थोड़ी राहत मिली है.
दो जून की रोटी को तरस रहे मासूम
वहीं जिले में दूसरी ओर कुछ लोग भी देखने को मिले जो जिन्हें नए वर्ष की परिभाषा तो जरूर मालूम है. लेकिन नए वर्ष को सेलिब्रेट करने के लिए सुविधा का अभाव है. ऐसे में सड़कों पर जिंदगी गुजारने वाले मासूम सिर्फ दूसरों की खुशियों को देखकर ही खुश रह लेते हैं.
हुजूर हमें पता है कि बड़े-बड़े घरों के लोग मुर्गा खाकर नए वर्ष को सेलिब्रेट करते हैं. लेकिन हमें तो दो जून की रोटी भी नसीब नहीं होती. हमारे लिए क्या नया साल और क्या पुराना साल. -मासूम
सड़क के किनारे जिंदगी गुजार रहे मासूम
इसी कड़ी में ईटीवी भारत ने चौक-चौराहों और सड़कों पर रहने वाले लोगों से नए साल को लेकर जानने की कोशिश की. इस दौरान डाकबंगला चौराहे से महज चंद कदम की दूरी पर कुछ लोग आज भी बड़ी उम्मीदों के साथ सड़कों पर अलाव के सहारे अपनी जिंदगी गुजरते नजर आए. महज एक कम्बल एक बोरे का सहारा लेकर मासूम अपनी जिंदगी बचाने की जद्दोजहद करते नजर आ रहे थे.