पटना: बिहार में एक के बाद एक हुए बम धमाकों ने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं. पूर्णिया, किशनगंज में एक समुदाय द्वारा दलितों की बस्ती में आग लगाना, फिर बांका, अररिया, दरभंगा और सिवान में बम धमाका (Bomb Blast)... क्या ये मामले किसी बड़ी साजिश की ओर तो इशारा नहीं कर रहे हैं. सवाल उठने लगे हैं कि क्या बिहार में दरभंगा मॉडल फिर से सक्रिय हो गया है. क्योंकि दरभंगा और बांका ब्लास्ट मामला इतना साधारण होता तो एटीएस (ATS) और एनआईए (NIA) जैसी जांच एजेंसी इस घटना की जांच के लिए नहीं पहुंचती. इधर, खबर है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने पटना में अपनी विशेष अदालत में एक फ्रेश FIR दर्ज की है.
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सुरक्षा एजेंसियों को प्राप्त हुए हैं कई संकेत
दरभंगा ब्लास्ट कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. इंडियन मुजाहिदीन (IM) दहशतगर्दी का वह नाम है, जो भारत में बीते कुछ सालों में हुए आतंकवादी हमले में बार-बार सामने आता रहा है. आखिर क्या है इंडियन मुजाहिदीन? क्यों भारतीय एजेंसी को आईएम नाम का संगठन परेशान कर रहा था. हाल में हुआ दरभंगा पार्सल ब्लास्ट यह खुलासा करने के लिए काफी है कि दरभंगा मॉडल मरा नहीं है. उसके स्लीपर सेल अभी भी एक्टिव हो सकते हैं. क्योंकि दरभंगा ब्लास्ट के अनुसंधान के दौरान जांच एजेंसियों को कई संकेत प्राप्त हुए हैं.
साइकिल की दुकान से चलाता था नेटवर्क
बताया जाता है कि 2013 में रक्सौल से इंडियन मुजाहिदीन के चीफ यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद तहसीन अख्तर को आईएम का चीफ बनाया गया. जानकारी के अनुसार यासीन भटकल दरभंगा में एक साइकिल दुकान से अपना आतंक का नेटवर्क चलाया करता था. इंडियन मुजाहिदीन का चीफ बनने के बाद तहसीन अख्तर ने दरभंगा मॉडल को जन्म दिया. आज तहसीन अख्तर उर्फ मोनू उर्फ डॉक्टर का नेटवर्क पूरे मिथिलांचल में है.
कई आतंकी हो चुके हैं गिरफ्तार
तहसीन ने दरभंगा के अलावा समस्तीपुर, मधुबनी समेत पूरे मिथिलांचल में आईएम का मॉडल तैयार कर लिया है. साल 2000 से लेकर अब तक दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, किशनगंज और पूर्णिया से 22 संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. इनमें से सबसे अधिक गिरफ्तारी दरभंगा से ही हुई है. मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार के समस्तीपुर का रहने वाला आतंकी तहसीन अख्तर से उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास मिले बम के मामले में भी तिहाड़ जेल में बंद तहसीन अख्तर से पूछताछ की गई थी.
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2011 में एआईए ने खुलकर की थी जांच
तत्कालीन एनआईए अधिकारी और वर्तमान के गृह विभाग के विशेष सचिव विकास वैभव ने दरभंगा मॉडल पर काम किया था. हालांकि इस वक्त वे खुलकर इस मामले में कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने कुछ जानकारियां जरूर दी.
'2011 में एनआईए ने खुलकर इस मामले की जांच की थी. जिसमें कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था. जिसका दस्तावेज में जिक्र भी है. उन्होंने बताया कि 20 से 30 वर्ष के युवक इसमें शामिल थे. बॉर्डर इलाका होने की वजह से इन लोगों की गतिविधियां ज्यादा होती हैं. जिन पर जांच एजेंसियों की नजर बनी रहती है.' -विकास वैभव, विशेष सचिव, गृह विभाग
2010 में इंडियन मुजाहिदीन आतंकी संगठन घोषित
दरअसल इंडियन मुजाहिदीन यानी कि आईएम का गठन 2010 में अब्दुल सुभान कुरैशी द्वारा किया गया था. 4 जून 2010 को इंडियन मुजाहिदीन को भारत सरकार द्वारा आतंकी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित कर दिया गया था. लेकिन इसके बाद भी यह आतंकी संगठन लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देता रहा. या फिर यूं कहें कि दहशतगर्दी चलाता रहा. इस संगठन का सबसे बड़े और मजबूत मॉडल में से एक दरभंगा मॉडल भी है.
शिवधारा मोहल्ले से शुरू हुआ था दरभंगा मॉडल
दरभंगा मॉडल का गठन 2010 में यासीन भटकल और तहसीन अख्तर ने एक साथ मिलकर दरभंगा के शिवधारा मोहल्ले में रहते हुए किया था. इस मॉडल के खिलाफ एनआईए में रहने के दौरान काम करने वाले बिहार के तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी विकास वैभव ने ही यासीन भटकल की पहचान की थी. दरभंगा के शिवधारा में किराए के मकान में नाम बदलकर आतंक का पाठ पढ़ाया करता था. जब उसे यकीन हो जाया करता था कि दरभंगा मॉडल के संगठन के लिए वह व्यक्ति तैयार है, तब उसे जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया करता था.
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2013 में भटकल की गिरफ्तारी
दरअसल यासीन भटकल की 2013 में नेपाल से गिरफ्तारी के बाद आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का चीफ तहसीन अख्तर उर्फ मोनू बन गया था. इसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पश्चिम बंगाल और नेपाल की सीमा से साल 2014 में गिरफ्तार किया था.
दरभंगा ब्लास्ट की कई बिंदुओं पर चल रही है जांच
दरअसल, 17 जून को दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए विस्फोट की जांच एनआईए द्वारा की जा रही थी. जांच प्रक्रिया को देखते हुए प्रतीत हो रहा था कि किसी बड़ी साजिश के तहत इस धमाके को अंजाम दिया गया है. एनआईए इस बात की भी तहकीकात में जुटी है कि क्या किसी बड़ी साजिश के तहत दरभंगा रेलवे स्टेशन पर कैमिकल के जरिये धमाका कराया गया. क्योंकि दरभंगा ब्लास्ट के पहले बांका के मदरसे में हुए ब्लास्ट का मामला सुर्खियों में था. एनआईए इसमें भी सक्रिय भूमिका निभा रही थी. क्या यह माना जाए कि बांका मामले को दबाने के लिए दरभंगा पार्सल ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिया गया है. इन सभी बिंदुओं पर जांच चल रही है.
एटीएस के अधिकारियों के सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार दरभंगा ब्लास्ट मामले में दरभंगा के कुछ स्लीपर सेल्स का इस्तेमाल पार्सल ब्लास्ट मामले में किया गया है. हालांकि दरभंगा ब्लास्ट मामले की जांच नए सिरे से एनआईए कर रही है. अब देखना यह होगा कि जांच के दौरान कौन-कौन से नए चेहरे सामने आते हैं.
पटना से लेकर अहमदाबाद तक कराया गया था विस्फोट
इंडियन मुजाहिदीन द्वारा अब तक का सबसे बड़ा हमला 2008 में अहमदाबाद और जयपुर में किया गया था. 13 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में 70 मिनट के अंदर 21 बम धमाके हुए थे. जिसमें 50 लोगों की मौत हुई थी. 13 मई 2008 को जयपुर में 15 मिनट के अंदर 9 बम ब्लास्ट हुए थे, जिसमें 56 लोगों की मौत हुई थी. साल 2010 में बेंगलुरु क्रिकेट स्टेडियम में विस्फोट हुआ था. 17 अप्रैल 2010 को चिन्नास्वामी स्टेडियम में मुंबई इंडियंस, बेंगलुरु के बीच मुकाबला चल रहा था. इसी बीच दो धमाके हुए थे, जिनमें 15 लोग घायल हुए थे. 13 फरवरी 2010 को पुणे के जर्मन बेकरी में ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 20 लोगों की मौत हुई थी. 13 जुलाई 2011 को मुंबई के ओपेरा हाउस में धमाका हुआ, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी. 13 अप्रैल 2013 को भाजपा कार्यालय के बाहर बम विस्फोट में 16 लोग घायल हुए थे. 7 जुलाई 2013 को बोधगया के महाबोधि मंदिर के पास एक के बाद एक नौ धमाके हुए थे. 27 अक्टूबर 2013 को पटना में सीरियल ब्लास्ट किया गया था, जिसमें 90 लोग घायल हुए थे.
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