पटना: आज भगवान परशुराम की जयंती (Parshuram Jayanti 2022 ) है. वैशाख माह के शुक्ल पत्र की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु ने भगवान परशुराम के रूप में अपना छठा अवतार लिया था. परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पांच पुत्रों में से चौथे पुत्र थे. परशुराम भगवान शिव के परम भक्त थे. उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता था. भगवान परशुराम ब्राह्मण थे लेकिन उनमें गुण क्षत्रियों वाले थे. उनकी जयंती को लेकर आज राजधानी पटना में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.
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परशुराम ने मां की गर्दन काट दी थी: ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार भगवान परशुराम माता रेणुका और ॠषि जमदग्नि की चौथी संतान थे. शस्त्र विद्या और शस्त्रों के ज्ञाता भगवान परशुराम को एक बार उनके पिता ने आज्ञा दी कि वो अपनी मां का वध कर दे. भगवान परशुराम बेहद आज्ञाकारी पुत्र थे. उन्होंने अपने पिता का आदेश पाते ही तुरंत अपने परशु से अपनी मां का सिर उनके धड़ से अलग कर दिया. अपनी आज्ञा का पालन होते देख भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र से बेहद प्रसन्न हुए. पिता को प्रसन्न् देख परशुराम ने अपने पिता से मां रेणुका को पुनः जीवित करने का आग्रह किया.
गणेश जी भी परशुराम के क्रोध का शिकार: कहा जाता है कि एक बार परशुराम ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था. गणेश पुराण के अनुसार, एक बार परशुराम भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंचे थे। लेकिन, शिव और पार्वती के पुत्र भगवान गणेश ने उन्हें शिवजी से मिलने नहीं दिया। जिससे क्रोधित होकर उन्होंने परशु से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। इसके बाद ही भगवान गणेश को एकदंत भी कहा जाने लगा।
देवता भी क्रोध से थर-थर कांपते थे: इसके अलावा भी कई ऐसी घटनाएं हैं जिनमें परशुराम के क्रोध की कहानियां मिलती हैं. कहा जाता है कि इनके क्रोध से सभी देवी-देवता भयभीत रहा करते थे. मान्यता है कि पराक्रम के प्रतीक भगवान परशुराम का जन्म छह उच्च ग्रहों के योग में हुआ, इसलिए वह तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष बने. प्रतापी एवं माता-पिता भक्त परशुराम ने जहां पिता की आज्ञा से माता का गला काट दिया, वहीं पिता से माता को जीवित करने का वरदान भी मांग लिया. इस तरह हठी, क्रोधी और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वाले परशुराम का लक्ष्य मानव मात्र का हित था.
परशुराम ने इन शूरवीरों को दी शिक्षा: भगवान परशुराम ने कई सहासी लोगों को शिक्षा दी है. उनके शिष्यों में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे शूरवीर भी शामिल हैं. परशुराम ही थे, जिनके इशारों पर नदियों की दिशा बदल जाया करती थी. उन्होंने अपने बल से आर्यों के शत्रुओं का नाश किया. हिमालय के उत्तरी भू-भाग, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, कश्यप भूमि और अरब में जाकर शत्रुओं का संहार किया. उसी फारस जिसे पर्शिया भी कहा जाता था, का नाम इनके फरसे पर किया गया. उन्होंने भारतीय संस्कृति को आर्यन यानी ईरान के कश्यप भूमि क्षेत्र और आर्यक यानी इराक में नई पहचान दिलाई.
बिहार में परशुराम जयंती पर कार्यक्रम: भगवान परशुराम की जयंती पर पटना के गांधी मैदान स्थित बापू सभागार में भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच (Bhumihar Brahmin Ekta Manch) की ओर से भव्य परशुराम जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. मंच के संस्थापक और राष्ट्रीय जन जन पार्टी के अध्यक्ष आशुतोष कुमार ने कहा कि कार्यक्रम 12:00 बजे से शुरू होगा. इससे पहले बेली रोड पर स्थित राजबंशी नगर पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास से सुबह 10:00 बजे एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो ज्ञान भवन तक पहुंचेगी. इस शोभायात्रा में कई रथ, हाथी-घोड़े होंगे और पूरे गाजे-बाजे के साथ हजारों लोगों की सहभागिता के साथ यह शोभा यात्रा ज्ञान भवन में पहुंचेगी.
तेजस्वी यादव परशुराम जयंती समारोह में शामिल होंगे: आशुतोष ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि जिस प्रकार से भगवान राम भगवान, श्री कृष्ण के प्रति सभी जाति के लोग अपनी आस्था जताते हैं. उसी प्रकार भगवान विष्णु के छठे रूप भगवान परशुराम के प्रति आस्था जताते हुए तमाम लोग इस कार्यक्रम में भाग लें. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास, पूर्व डीजीपी अभयानंद और आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सहजानंद सिंह के इसमें शामिल होने की चर्चा (Tejashwi Yadav will attend Parshuram Jayanti celebrations) है. आशुतोष कुमार ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान सरकार से हमलोग तीन मांग करेंगे. जिसमें पहला है कि परशुराम भक्तों की आस्था को देखते हुए परशुराम जयंती के दिन सरकार राजकीय छुट्टी की घोषणा हो. दूसरी डिमांड यह है कि जिस प्रकार से गुरु नानक देव और स्वामी रविदास के बारे में पाठ्य पुस्तकों में बचपन से पढ़ते हैं, उसी प्रकार भगवान परशुराम की कहानी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल की जाए और तीसरी मांग है कि प्रत्येक जिला मुख्यालय में गरीब सवर्ण छात्रों के लिए छात्रावास की व्यवस्था की जाए.
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