पटना: बिहार में इस साल जुलाई महीने में राज्यसभा की पांच सीटें खाली हो रही हैं लेकिन इनमें से एक सीट पहले ही जेडीयू सांसद किंग महेंद्र के निधन से खाली हो चुकी है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh), गोपाल नारायण सिंह, सतीश चंद्र दुबे और आरजेडी सांसद मीसा भारती (RJD MP Misa Bharti) का 6 वर्षीय कार्यकाल 7 जुलाई को पूरा हो रहा है. सबसे पहले बात करें अगर भारतीय जनता पार्टी की तो बीजेपी ने सतीश चंद्र दुबे और गोपाल नारायण सिंह को राज्यसभा भेजा था. पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक इस बार इन दोनों में से किसी का भी रिपीट होना मुश्किल है.
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वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पार्टी नए चेहरों को आगे करने वाली है. विशेष रूप से वैसे नामों पर मुहर लग सकती है, जो काफी समय से आस लगाए बैठे हैं. सूत्रों की मानें तो पूर्व राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा के बेटे ऋतुराज सिन्हा और प्रेम रंजन पटेल दावेदार (Rituraj Sinha and Prem Ranjan Patel) हैं. दोनों का नाम बीजेपी की संभावित लिस्ट में सबसे ऊपर है.
इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि बीजेपी के लिए निश्चित तौर पर वही चेहरा आगे आएगा, जो भविष्य की सियासत में सबसे फिट बैठेगा. गोपाल नारायण सिंह और सतीश चंद्र दुबे की जगह पार्टी नए चेहरों को प्रमोट करेगी, इस बात की संभावना ज्यादा दिख रही है.
उधर, आरजेडी से मीसा भारती की दावेदारी सबसे मजबूत है. ना तो पार्टी में और ना ही परिवार में लालू-राबड़ी और तेजस्वी के बाद मीसा भारती के कद का कोई बड़ा नेता है. दूसरी बात यह कि परिवार में किसी भी तरह की परेशानी खड़ी ना हो, इस बात का ख्याल भी लालू और तेजस्वी रखना चाहेंगे. ऐसे में मीसा भारती एक बार फिर आरजेडी कोटे से राज्यसभा जाना तय माना जा रहा है.
असल दिक्कत जेडीयू में है, क्योंकि एक तरफ बीजेपी और जेडीयू के बीच जमकर खींचतान चल रही है तो दूसरी तरफ जेडीयू के अंदर भी सब कुछ ठीक नहीं है. जब से आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बन कर गए हैं, तब से ललन सिंह और आरसीपी के बीच का रिश्ता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी चिंता का सबब बना हुआ है. यूपी चुनाव में बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन नहीं होना और विशेष राज्य के मुद्दे पर आरसीपी सिंह का रुख भी पार्टी के लिए नई परेशानियां खड़ी कर रहा है. उनका राज्यसभा कार्यकाल 7 जुलाई को पूरा हो रहा है.
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश का करीबी होने और केंद्र में मंत्री होने की वजह से भी आरसीपी सिंह का फिर से राज्यसभा जाना लगभग तय है लेकिन ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच विवाद को देखते हुए अगर कोई अनिश्चय की स्थिति बने तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा. इसके अलावा एक अन्य सीट किंग महेंद्र के निधन से खाली हुई है. जेडीयू कोटे से किंग महेंद्र की जगह पर केसी त्यागी एक मजबूत उम्मीदवार के तौर पर नजर आ रहे हैं. हालांकि डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि किंग महेंद्र के छोटे भाई भी राज्यसभा का टिकट पाने के दावेदार हैं.
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डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि ये वर्ष जेडीयू और बीजेपी के रिश्ते को लेकर बेहद अहम है, क्योंकि दोनों के बीच के रिश्ते साल 2020 में सरकार बनने के बाद से ही सहज और सामान्य नहीं हैं. हाल के दिनों में विशेष राज्य का दर्जा और जातीय जनगणना के मुद्दे को लेकर दोनों दलों में दूरियां बढ़ी हैं. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में सम्राट अशोक मामले को लेकर भी जिस तरह से दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के बीच तू-तू मैं-मैं की स्थिति बनी है, वह भी गठबंधन के लिहाज से उचित नहीं है. यही वजह है कि राज्यसभा कोटे से जब अगला नाम तय होगा तो उसमें बिहार के राजनीतिक परिस्थितियों की भी बड़ी भूमिका होगी.
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