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बिहार: ऑक्सफोर्ड में पढ़े मनीष चुनावी अखाड़े के बने 'योद्धा', मांग रहे वोट

मनीष देश की राजनीति का पाठशाला कहे जाने वाले बिहार की राजनीति से अपने सियासी सफर की शुरूआत की है, लेकिन राजनीति के धुरंधरों के बीच मनीष नेताओं के दांव-पेंच से कैसे पार पाएंगें.

bankipur seat
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Published : Oct 10, 2020, 3:03 PM IST

Updated : Oct 14, 2020, 1:15 PM IST

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में ऐसे तो करीब सभी प्रमुख राजनीतिक दल के योद्धा चुनावी अखाड़े में उतरकर ताल ठोंक रहे हैं, लेकिन इस अखाड़े में एक ऐसा योद्धा भी है, जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर चुका है, लेकिन उनके अपने क्षेत्र में कुछ करने की तमन्ना उसे फिर से पटना ले आई और वो चुनावी मैदान में उतर आए.

बांकीपुर से चुनावी मैदान में मनीष
पटना के रहने वाले मनीष बरियार आज चुनावी मैदान में सियासत का पाठ पढ़ रहे हैं. मनीष बरियार वाणिज्य मंत्रालय में ए ग्रेड की नौकरी छोड़कर इस चुनाव में बांकीपुर से चुनावी मैदान में हैं और लोगों के बीच पहुंचकर वोट मांग रहे हैं.

'विकल्प की तलाश में हूं'
मनीष का दावा है कि उनको लोगों का समर्थन भी मिल रहा है. वे कहते है कि लोग सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों से किसी न किसी कारण से नाराज हैं, यही कारण है कि वे ऐसे विकल्प की तलाश में हैं जो राजनीति से नहीं अपने बीच से आया व्यक्ति हो.

देखें रिपोर्ट

'जन्मभूमि की सेवा ही मकसद'
मनीष कहते हैं, पिछले काफी दिनों से वे शिक्षक का काम कर रहे हैं. वे कहते हैं कि उन्हें नौकरी में कभी मन नहीं लगा. प्रारंभ से ही उनकी तमन्ना अपनी जन्मभूमि की सेवा करने की रही है. और जब वह स्थल गंगा के किनारे हो तो कोई भी चाहेगा उनकी अंतिम यात्रा भी इसी स्थान से निकले.

'कॉन्ट्रैक्ट पर हैं अधिकांश प्रोफेसर'
मनीष बरियार ने राज्य में शिक्षा के स्तर पर बात करते हुए कहा कि राज्य में प्राथमिक शिक्षा और उच्चतर शिक्षा दोनों में गुणवत्ता की घोर कमी है. उच्चतर शिक्षा में बात करें तो राज्य में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की संख्या न के बराबर है. राज्य में जो यूनिवर्सिटी हैं. उनमें पिछले कई सालों से लेक्चरर और प्रोफेसर की वैकेंसी नहीं निकली है. अभी के समय में अधिकांश प्रोफेसर कॉन्ट्रैक्ट पर एक लेबर की तरह काम कर रहे हैं.

'कैंडिडेट के साथ धोखा'
निर्दलीय प्रत्याशी ने कहा कि सरकार ने चुनाव के समय 4500 प्रोफेसर की वैकेंसी लाने की घोषणा की है, लेकिन इसमें भी राज्य के कैंडिडेट के साथ धोखा हुआ है. इस बहाली में राज्य के कैंडिडेट न के बराबर ही सिलेक्ट होंगे. सरकार ने 10 नंबर एक्सपीरियंस का क्राइटेरिया रखा है. बिहार के विश्वविद्यालयों में हाल के दिनों से बतौर गेस्ट फैकेल्टी शिक्षकों ने पढ़ाना शुरू किया है और उनका साल में 11 महीने का कॉन्ट्रैक्ट रहता है. 1 साल पढ़ाने पर दो नंबर दिया जाता है.

'नौकरियों में डोमिसाइल नीति'
मनीष बरियार ने कहा कि अन्य राज्यों में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की संख्या काफी अधिक है. ऐसे कैंडिडेट जो वर्षों से शैक्षणिक सेवा दे रहे होंगे उनका चयन अनुभव के आधार पर हो जाएगा. उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों की तरह बिहार में भी नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करनी चाहिए.

'छात्रों का दूसरे राज्यों में पढ़ाई करना दुर्भाग्यपूर्ण'
निर्दलीय प्रत्याशी ने कहा कि चुनाव के समय सरकार ने कई नौकरियों की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि इस सरकार का यह इतिहास रहा है कि चुनाव के पहले वैकेंसी लेकर आते हैं और चुनाव संपन्न होते ही सभी रिक्तियों पर कोर्ट केसेस लग जाते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार की जितने भी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेज है उनके अधिकांश छात्र अच्छी शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में जाकर कोचिंग करते हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

'औद्योगिकरण के लिए नहीं है विशेष नीति'
मनीष बरियार ने कहा कि बिहार में औद्योगिकरण के लिए कोई विशेष नीति नहीं है. आगामी चुनाव में अपने मुद्दे के बारे में जानकारी देते हुए मनीष बरियार ने बताया कि रोटी कपड़ा और मकान सभी राजनीतिक दलों का मुद्दा होता है, लेकिन उनका मुद्दा इससे और आगे जाकर है.

'बेहतर हो सके हालात'
निर्दलीय प्रत्याशी ने कहा कि पटना में प्रदूषण एक गंभीर समस्या है. इसके अलावा यहां ट्रांसपोर्ट की अच्छी सुविधा नहीं है. राजधानी होने के बावजूद यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए बसों की अच्छी सुविधा नहीं है और पूरा पटना तीन पहिया पर आश्रित है. उन्होंने कहा कि वह सदन में बेहतर नीति निर्माण के लिए जाना चाहते हैं ताकि राज्य के हालात बेहतर हो सके.

बिहार: ऑक्सफोर्ड में पढ़े मनीष चुनावी अखाड़े के बने 'योद्धा', मांग रहे वोट

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में ऐसे तो करीब सभी प्रमुख राजनीतिक दल के योद्धा चुनावी अखाड़े में उतरकर ताल ठोंक रहे हैं, लेकिन इस अखाड़े में एक ऐसा योद्धा भी है, जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर चुका है, लेकिन उनके अपने क्षेत्र में कुछ करने की तमन्ना उसे फिर से पटना ले आई और वो चुनावी मैदान में उतर आए.

बांकीपुर से चुनावी मैदान में मनीष
पटना के रहने वाले मनीष बरियार आज चुनावी मैदान में सियासत का पाठ पढ़ रहे हैं. मनीष बरियार वाणिज्य मंत्रालय में ए ग्रेड की नौकरी छोड़कर इस चुनाव में बांकीपुर से चुनावी मैदान में हैं और लोगों के बीच पहुंचकर वोट मांग रहे हैं.

'विकल्प की तलाश में हूं'
मनीष का दावा है कि उनको लोगों का समर्थन भी मिल रहा है. वे कहते है कि लोग सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों से किसी न किसी कारण से नाराज हैं, यही कारण है कि वे ऐसे विकल्प की तलाश में हैं जो राजनीति से नहीं अपने बीच से आया व्यक्ति हो.

देखें रिपोर्ट

'जन्मभूमि की सेवा ही मकसद'
मनीष कहते हैं, पिछले काफी दिनों से वे शिक्षक का काम कर रहे हैं. वे कहते हैं कि उन्हें नौकरी में कभी मन नहीं लगा. प्रारंभ से ही उनकी तमन्ना अपनी जन्मभूमि की सेवा करने की रही है. और जब वह स्थल गंगा के किनारे हो तो कोई भी चाहेगा उनकी अंतिम यात्रा भी इसी स्थान से निकले.

'कॉन्ट्रैक्ट पर हैं अधिकांश प्रोफेसर'
मनीष बरियार ने राज्य में शिक्षा के स्तर पर बात करते हुए कहा कि राज्य में प्राथमिक शिक्षा और उच्चतर शिक्षा दोनों में गुणवत्ता की घोर कमी है. उच्चतर शिक्षा में बात करें तो राज्य में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की संख्या न के बराबर है. राज्य में जो यूनिवर्सिटी हैं. उनमें पिछले कई सालों से लेक्चरर और प्रोफेसर की वैकेंसी नहीं निकली है. अभी के समय में अधिकांश प्रोफेसर कॉन्ट्रैक्ट पर एक लेबर की तरह काम कर रहे हैं.

'कैंडिडेट के साथ धोखा'
निर्दलीय प्रत्याशी ने कहा कि सरकार ने चुनाव के समय 4500 प्रोफेसर की वैकेंसी लाने की घोषणा की है, लेकिन इसमें भी राज्य के कैंडिडेट के साथ धोखा हुआ है. इस बहाली में राज्य के कैंडिडेट न के बराबर ही सिलेक्ट होंगे. सरकार ने 10 नंबर एक्सपीरियंस का क्राइटेरिया रखा है. बिहार के विश्वविद्यालयों में हाल के दिनों से बतौर गेस्ट फैकेल्टी शिक्षकों ने पढ़ाना शुरू किया है और उनका साल में 11 महीने का कॉन्ट्रैक्ट रहता है. 1 साल पढ़ाने पर दो नंबर दिया जाता है.

'नौकरियों में डोमिसाइल नीति'
मनीष बरियार ने कहा कि अन्य राज्यों में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की संख्या काफी अधिक है. ऐसे कैंडिडेट जो वर्षों से शैक्षणिक सेवा दे रहे होंगे उनका चयन अनुभव के आधार पर हो जाएगा. उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों की तरह बिहार में भी नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करनी चाहिए.

'छात्रों का दूसरे राज्यों में पढ़ाई करना दुर्भाग्यपूर्ण'
निर्दलीय प्रत्याशी ने कहा कि चुनाव के समय सरकार ने कई नौकरियों की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि इस सरकार का यह इतिहास रहा है कि चुनाव के पहले वैकेंसी लेकर आते हैं और चुनाव संपन्न होते ही सभी रिक्तियों पर कोर्ट केसेस लग जाते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार की जितने भी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेज है उनके अधिकांश छात्र अच्छी शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में जाकर कोचिंग करते हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

'औद्योगिकरण के लिए नहीं है विशेष नीति'
मनीष बरियार ने कहा कि बिहार में औद्योगिकरण के लिए कोई विशेष नीति नहीं है. आगामी चुनाव में अपने मुद्दे के बारे में जानकारी देते हुए मनीष बरियार ने बताया कि रोटी कपड़ा और मकान सभी राजनीतिक दलों का मुद्दा होता है, लेकिन उनका मुद्दा इससे और आगे जाकर है.

'बेहतर हो सके हालात'
निर्दलीय प्रत्याशी ने कहा कि पटना में प्रदूषण एक गंभीर समस्या है. इसके अलावा यहां ट्रांसपोर्ट की अच्छी सुविधा नहीं है. राजधानी होने के बावजूद यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए बसों की अच्छी सुविधा नहीं है और पूरा पटना तीन पहिया पर आश्रित है. उन्होंने कहा कि वह सदन में बेहतर नीति निर्माण के लिए जाना चाहते हैं ताकि राज्य के हालात बेहतर हो सके.

Last Updated : Oct 14, 2020, 1:15 PM IST
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