पटनाः कहा जाता है जहां चाह, वहीं राह. अगर इंसान कुछ कर गुजरने के लिए ठान लेता है तो सफलता उसके कदम चूमती है. कुछ ऐसा ही पटनासिटी अनुमंडल के खुसरुपुर प्रखंड के बैकटपुर गांव निवासी राजेश सिन्हा के साथ हुआ है. मायानगरी कहे जाने वाले मुंबई में 35 साल बिताने के बाद वो अपने घर लौटे और खेती में मिसाल (Earning Good By Organic Farming) कायम कर दी.
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महज डेढ़ साल में राजेश ने फूल, काली गेंहू, हरी सब्जी की खेती के साथ मछली, बत्तख पालन के व्यवसाय को उन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया. इनसे अच्छी-खासी कमाई करने लगे. अब राजेश को देखकर अन्य किसान भी प्रेरणा ले रहे हैं.
दरअसल, राजेश के पिता मुंबई में सरकारी नौकरी करते हैं. लिहाजा वे अपने पिता के साथ 15 साल की उम्र से ही मुंबई में रह रहे थे. मुंबई में उनका अपना घर भी है. राजेश वहां साठ हजार रुपया प्रति महीना कमाते थे. मां के निधन होने के बाद वो घर आए और फिर कोरोना महामारी के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन के चलते वापस नहीं जा पाए.
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उनके पास काफी खाली समय था. ऐसे में राजेश ने खेती करने की ठानी. चूंकि उन्होंने इससे पहले खेती न कभी की थी और न कभी देखी थी. लिहाजा उन्होंने यू-ट्यूब का सहारा लिया. उन्होंने पांच बीघा जमीन पर खेती करना शुरू किया. सबसे पहले राजेश ने फूलों की खेती शुरू की. इसमें राजेश ने किसी भी प्रकार के रसायन और उर्वरक का इस्तेमाल करने की जगह गोबर, गुड़, सूखे पत्ते आदि का उपयोग किया.
राजेश अपनी आधी जमीन पर पोखर बनाकर मछली और बत्तख पालन (Organic Farming And Duck farming) भी करते हैं. इसके अलावा उन्होंने कई किस्म की औषधि के पौधे भी लगाए हैं. राजेश ने सुगर मुक्त करने वाला पौधा, इंसुलिन का पौधा, एलोवेरा का पौधा, तुलसी और अन्य मसालों के पौधे लगाए हैं. राजेश बताते हैं कि तुलसी का बीज बाजार में तीन हजार रुपये किलो बिकता है.
वो ब्लैक गेहूं की खेती भी कर रहे हैं. बाजार में इसकी कीमत साढ़े तीन सौ रुपये प्रति किलो है. राजेश बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन आज उनकी कमाई मुंबई की कमाई से डेढ़ लाख ज्यादा हो रही है. आने वाले दिनों में सालाना कमाई में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है. खेती के इस क्षेत्र में सफलता का श्रेय राजेश ने अपनी मां को दिया है. उन्होंने कहा कि मां के कारण ही वे गांव आए और उनकी जिंदगी बदल गई.
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