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देशभर में आज मनायी जा रही मकर संक्रांति, बिहार में दही-चूड़ा का विशेष महत्व

हिन्दू धर्म की मान्यता के मुताबिक साल की 12 संक्रांत‌ियों में मकर संक्रांत‌ि का महत्व सबसे ज्यादा है. इस द‌िन सूर्य मकर राश‌ि में आते हैं और इसके साथ देवताओं का द‌िन शुरू हो जाता है.

मकर संक्रांति 2020
मकर संक्रांति 2020
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Published : Jan 15, 2020, 7:34 AM IST

पटना: देशभर में आज मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं, बिहार में गंगा के तटों पर पुण्य स्नान के लिए श्रद्धालु उमड़े हैं. हर साल मकर संक्रांति के मौके पर श्रद्धालु मोक्ष की कामना में गंगा स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देते हैं.

हिन्दू मान्यता के मुताबिक साल की 12 संक्रांत‌ियों में मकर संक्रांत‌ि का महत्व सबसे ज्यादा है. इस द‌िन सूर्य मकर राश‌ि में आते हैं और इसके साथ देवताओं का द‌िन शुरु हो जाता है, जो देवशयनी एकादशी से सुप्त हो जाते हैं. मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, असम में बिहू और पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति के नाम से जाना जाता है.

पतंग महोत्सव की खास तैयारी
गंगा के गांधी घाट से गंगा के दियारा क्षेत्र (पतंग महोत्सव स्थल) तक जाने के लिए जिला प्रशासन ने नाव की व्यवस्था करायी है, जिससे लोगों को आने-जाने में किसी प्रकार की परेशानी न हो. पटना जिला प्रशासन द्वारा मकर संक्रांति के मौके पर गंगा घाटों पर स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था कर रही है. सुरक्षा के भी खास प्रबंध किए जा रहे हैं.
बिहार में पतंगबाजी के साथ-साथ चूड़ा-दही, लिट्टी-चोखा जैसे बिहारी व्यंजनों सहित कई तरह के लजीज व्यंजनों का आज स्वाद चखा जाएगा.

दही-चूड़ा खाने का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि सबसे धीमीगति से चलने वाले ग्रह हैं, जब इनकी दशा आती है तो लंबे समय तक उस व्यक्ति को कष्ट सहना पड़ता है. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए तिल से उनकी पूजा की जाती है. यही वजह है कि इस दिन तिल और इससे बनी मिठाइयों का सेवन किये जाने की परंपरा है. सुबह लोग दही चूड़ा के साथ दिन की शुरुआत करते हैं. इसके साथ मुढी-चूड़ा के लाय खाने की परंपरा है.

पटना: देशभर में आज मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं, बिहार में गंगा के तटों पर पुण्य स्नान के लिए श्रद्धालु उमड़े हैं. हर साल मकर संक्रांति के मौके पर श्रद्धालु मोक्ष की कामना में गंगा स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देते हैं.

हिन्दू मान्यता के मुताबिक साल की 12 संक्रांत‌ियों में मकर संक्रांत‌ि का महत्व सबसे ज्यादा है. इस द‌िन सूर्य मकर राश‌ि में आते हैं और इसके साथ देवताओं का द‌िन शुरु हो जाता है, जो देवशयनी एकादशी से सुप्त हो जाते हैं. मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, असम में बिहू और पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति के नाम से जाना जाता है.

पतंग महोत्सव की खास तैयारी
गंगा के गांधी घाट से गंगा के दियारा क्षेत्र (पतंग महोत्सव स्थल) तक जाने के लिए जिला प्रशासन ने नाव की व्यवस्था करायी है, जिससे लोगों को आने-जाने में किसी प्रकार की परेशानी न हो. पटना जिला प्रशासन द्वारा मकर संक्रांति के मौके पर गंगा घाटों पर स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था कर रही है. सुरक्षा के भी खास प्रबंध किए जा रहे हैं.
बिहार में पतंगबाजी के साथ-साथ चूड़ा-दही, लिट्टी-चोखा जैसे बिहारी व्यंजनों सहित कई तरह के लजीज व्यंजनों का आज स्वाद चखा जाएगा.

दही-चूड़ा खाने का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि सबसे धीमीगति से चलने वाले ग्रह हैं, जब इनकी दशा आती है तो लंबे समय तक उस व्यक्ति को कष्ट सहना पड़ता है. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए तिल से उनकी पूजा की जाती है. यही वजह है कि इस दिन तिल और इससे बनी मिठाइयों का सेवन किये जाने की परंपरा है. सुबह लोग दही चूड़ा के साथ दिन की शुरुआत करते हैं. इसके साथ मुढी-चूड़ा के लाय खाने की परंपरा है.

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