पटना: लोकसभा चुनाव में इस बार बिहार में चुने गए हैं 40 सांसदों में से अधिकांश करोड़पति हैं. चुनाव में इस बार 40 में से 39 सांसद एनडीए के चुने गए हैं. वहीं, एक सांसद कांग्रेस पार्टी से हैं. बिहार के चुने गए सांसदों में एडीआर और इलेक्शन वॉच के अनुसार 95 प्रतिशत सांसद करोड़पति हैं. जबकि 32 सांसदों यानी 82 फीसदी सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. 22 सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इसमें जेडीयू के 8, बीजेपी के 11 और एलजेपी के तीन सांसद शामिल हैं.
इलेक्शन वॉच और एडीआर की रिपोर्ट
बिहार इलेक्शन वॉच और एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार इस बार नवनिर्वाचित सांसदों में से 37 सांसद करोड़पति हैं. एलजेपी के सभी छह सांसद करोड़पति हैं तो वहीं कांग्रेस से चुने गए एक मात्र सांसद भी करोड़पति हैं. जबकि जेडीयू और बीजेपी के 95 फीसदी सांसद करोड़पति हैं.
वीणा देवी के पास है सबसे अधिक संपत्ति
सबसे अधिक संपत्ति एलजेपी के वैशाली से चुनाव जीतने वाली सांसद वीणा देवी के पास है. वीणा देवी की कुल संपत्ति 33 करोड़ 72 लाख रुपए से अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार वीणा देवी के ऊपर 11 करोड़ से अधिक का कर्ज भी है. बीजेपी के शिवहर से फिर चुनाव जीतने वाली रमा देवी के पास भी 32 करोड़ 83 लाख रूपये से अधिक की संपत्ति है. तो वहीं, मुजफ्फरपुर से बीजेपी के सांसद अजय निषाद के पास 29 करोड़ 88 लाख रूपये से अधिक की संपत्ति है.
आर्थिक विशेषज्ञ का क्या है कहना
बिहार के आर्थिक विशेषज्ञ एन के चौधरी का कहना है कि बिहार एक तरफ जहां पिछड़ा है. वहीं, यहां के जनप्रतिनिधि करोड़पति हैं. इससे यह साफ है कि अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ती जा रही है. एन के चौधरी का कहना है कि बिहार ही नहीं पूरे देश में असमानता बढ़ती जा रही है.
पिछड़े राज्य में अधिकांश सांसद करोड़पति
गांधीवादी रजी अहमद कहते हैं कि एक तरफ जहां अमीरों की संख्या बढ़ी है तो दूसरी तरफ गरीबों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. रजी अहमद का यह भी कहना है कि यह बिहार के लिए तो हास्यास्पद ही है कि पिछड़े राज्य में अधिकांश करोड़पति सांसद चुने गए हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में बढ़ा है आंकड़ा
बिहार में अमीर सांसदों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यदि हम केवल पिछले लोकसभा चुनाव से तुलना करें तो 2014 में 83 फीसदी सांसद ही करोड़पति थे. लेकिन इस बार 95 फीसदी सांसद करोड़पति हैं. उसी तरह 2014 में गंभीर आपराधिक मामले वाले सांसद 18 थे लेकिन इस बार संख्या बढ़कर 22 हो गई है. एक तरफ बिहार अभी भी पिछड़े राज्यों की श्रेणी में खड़ा है और बड़ी संख्या में गरीब आबादी यहां रह रही है. बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए लंबे समय से विशेष राज्य के दर्जे की मांग हो रही है. वहीं दूसरी तरफ गरीब राज्य के अधिकांश जनप्रतिनिधि करोड़पति हैं.