पटना: देश इन दिनों कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है. वहीं, लागू लॉक डाउन के दौरान पीएम मोदी ने देश को लोगों से इस विपदा के समय में आर्थिक मदद की अपील की. ऐसे में हर कोई तमाम राजनीतिक मतभेदों से लेकर अन्य सभी विवादों को भूलाकर राष्ट्रहित में एक साथ पीएम के साथ खड़ा हो गया है. पीएम के आर्थिक मदद की अपील के बाद हर खास आम आपदा राहत कोष में पैसे को जमा कराते हुए नजर आए. इसी क्रम में राजधानी स्थित प्रसिद्ध महावीर मंदिर न्यास समिति ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपये की सहयोग राशि दी है.
'मानव जाति पर संकट है कोरोना'
इसको लेकर महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव किशोर कुणाल ने कहा कि कोरोना पूरे विश्व के मानव जाति पर एक संकट है. इस संकट से निपटने के लिए महावीर मंदिर न्यास समिति ने बिहार सरकार के मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपये की राशि जमा करवाई है. उन्होंने बताया कि इस वायरस से निपटने के लिए उन्होनें हर संभव मदद की भी पेशकश की है.
'हर जिम्मेदारी के लिए तैयार है समिति'
न्यास बोर्ड के सचिव किशोर कुणाल ने कहा कि वे लोगों की सेवा के लिए हरसंभव मदद के साथ कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार है. देश इस समय संकट की घड़ी से गुजर रहा हैं. इसलिए अगर बिहार सरकार उन्हें गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी देती है, तो उनकी संस्था इसके लिए भी तैयार है. उन्होने बताया कि कोरोना को लेकर लागू हुए लॉकडाउन के कारण पूरे देश में खासकर बिहार में विकराल समस्या उत्पन्न हो गई है. हालांकि, सरकार का यह कदम उचित है. बावजूद दैनिक मजदूर, रिक्शा चालक और ठेला चालक एक झटके में बेरोजगार हो गए. कमाई ठप होने के कारण लोगों के सामने भूखे रहने की स्थिति उत्पन्न हो रही है. किशोर कुणाल ने बताया कि महावीर मंदिर न्यास समिति को इससे पहले भी आए कई आपदाओं में लोगों की मदद कर चुका है समिति ने इससे विकट समय में भी सफलतापूर्वक कार्य भी किया है.
'बंद है मंदिर का मुख्य गेट'
न्यास बोर्ड के सचिव किशोर कुणाल ने बताया कि इससे पहले भी समिति ने मानवता की भलाई के लिए बढ़-चढ़ कर अपना योगदान दिया है. इससे पहले मुजफ्फरपुर चमकी बुखार मामले में मंदिर समिति मुख्यमंत्री राहत कोष में 12 लाख रुपये की सहायाता राशि जमा करा चुकी है. लॉकडाउन के दौरान मंदिर के बंद होने पर उन्होंने बताया कि 300 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. जब मंदिर के गेट को इतने दिनों तक अनवरत रुप से बंद किया गया है. हालांकि, मंदिर में केवल आम लोगों के प्रवेश पर पाबंदी है. मंदिर के अंदर प्रतिदिन पहले की तरह ही आंतरिक पूजा-पाठ जारी है.