मसौढ़ी: लोकआस्था का महापर्व छठ उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. आदि गंगा के नाम से प्रसिद्ध पुनपुन नदी घाट पर लोक आस्था का महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हुआ.
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क्या है पौराणिक मान्यताएं
ऐसी मान्यता है कि पुनपुन नदी घाट पर कभी श्रीराम माता जानकी के साथ आये थे. पुनपुन नदी घाट जिसे आदि गंगा के नाम से जानते हैं, जिसकी कई पौराणिक मान्यताएं भी हैं. बताया जाता है कि इस घाट के पावन तट पर कई महापुरुष, कई महात्मा यहां पर अपनी सिद्धि की है. सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पितृपक्ष मेला का भी आयोजन किया जाता है. ऐसे में इस पावन तट पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु हर वर्ष छठ पूजा में शामिल होते हैं. जहां हर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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पवित्रता का प्रतीक है 'छठ'
महापर्व छठ पवित्रता का प्रतीक है. काफी संयम के साथ इस पर्व को मनाया जाता है. इसमें मौसमी फलों और ठेकुआ का प्रसाद तैयार किया जाता है. छठव्रती जल में खड़ा होकर भगवान सूर्य की उपासना करते हैं. हालांकि इस बार भी कोरोना संक्रमण के कारण बहुत ही सादगी से इस पर्व को मनाया गया और इस महामारी को दुनिया से खत्म करने की कामना की गई.