पटना: पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड अलग-अलग चुनाव लड़े थे, लेकिन इस बार दोनों पार्टियां एक साथ हैं. एनडीए में इस बार जदयू को बड़ी हिस्सेदारी भी मिली है. लेकिन नीतीश कुमार के साथ आने का कितना फायदा एनडीए को मिलेगा.
इसबार तस्वीर अलग है
2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने रालोसपा और लोजपा के साथ मिलकर बिहार में चुनाव लड़ा था. एनडीए को उस चुनाव में बड़ी सफलता मिली थी. लेकिन जनता दल यूनाइटेड महज 2 सीटों पर सिमट कर रह गया था. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने जदयू को बराबर-बराबर सीटें दी हैं.
एनडीए को बड़ा फायदा
17 सीटों पर लड़ रही जदयू के आने से बीजेपी और एनडीए को बड़ा फायदा होगा , ऐसा दावा बीजेपी के नेता कर रहे हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह भी है. 2014 के चुनाव में वोट परसेंट के हिसाब से जदयू और राजद को करीब-करीब बराबर वोट मिले थे.
बीजेपी नेता का दावा
जदयू का यह वोट बैंक अगर इस बार एनडीए के खाते में रहा तो इसका बड़ा फायदा एनडीए को मिल सकता है. बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि पिछली बार से ज्यादा सीटें इस बार लोकसभा चुनाव में बिहार से आएंगी क्योंकि इस बार नीतीश कुमार भी उनके साथ हैं.
विपक्ष का हमला
हालांकि विपक्ष इससे इत्तेफाक नहीं रखता. राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि नीतीश कुमार अब संशय की स्थिति में हैं. लोगों का भरोसा उनपर से उठ चुका है. इसलिए वे लोकसभा चुनाव में कोई फैक्टर नहीं हैं और ना ही उनके आने से एनडीए को कोई फायदा होने वाला. इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अक्सर कहते रहे हैं कि नीतीश जिस नाव में जाएंगे वह नाव डूब जाएगी.
नीतीश कुमार फैक्टर
बीजेपी, जदयू और लोजपा इस बार एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं. जबकि हम और रालोसपा अब महागठबंधन के साथ हैं. राष्ट्रीय जनता दल के नेता यह मान कर चल रहे हैं कि मांझी और कुशवाहा के साथ आने से इस चुनाव में उन्हें फायदा मिलने वाला है. अब देखना होगा की इस चुनाव में नीतीश कुमार फैक्टर एनडीए के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है और क्या एनडीए पिछली बार से ज्यादा सीटों पर कामयाबी हासिल कर पाएगा.