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गया के तत्कालीन DM अभिषेक सिंह को जांच के दौरान त्रिपुरा कैडर वापस भेजने पर LJPR ने उठाया सवाल, JDU ने किया बचाव

विशेष निगरानी विभाग की जांच का सामना कर रहे गया के तत्कालीन डीएम अभिषेक कुमार सिंह (IAS Abhishek Kumar Singh) को वापस उनके मूल कैडर त्रिपुरा विरमित करने के फैसले पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने सवाल खड़े किए हैं. हालांकि जेडीयू की दलील है कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं. देश में कहीं भी रहेंगे तो भी केस का सामना तो करना ही पड़ेगा. समय आने पर उन पर कार्रवाई जरूर होगी.

एलजेपीआर ने नीतीश सरकार पर हमला बोला
एलजेपीआर ने नीतीश सरकार पर हमला बोला
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Published : Feb 16, 2022, 4:07 PM IST

पटना: आईएएस अभिषेक कुमार सिंह (IAS Abhishek Kumar Singh) को वापस त्रिपुरा कैडर में भेजने के फैसले को लेकर एलजेपीआर ने नीतीश सरकार पर हमला बोला (LJPR Attacks Nitish Government) है. एलजेपी (रामविलास) के प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा कि गया के तत्कालीन डीएम अभिषेक कुमार पर पैसे लेकर आर्म्स देने से लेकर विभागीय कामों में भ्रष्टाचार करने का आरोप है. जिसकी जांच विशेष निगरानी इकाई कर रही है. इसके बावजूद भी सरकार ने उन्हें 2 महीने के लिए छुट्टी के साथ त्रिपुरा विरमित कर दिया है. यह सरकार के दोहरे चरित्र को दर्शाता है. हालांकि जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि हमारी सरकार न तो किसी को फंसाती है और ना ही किसी को बचाती है.

ये भी पढ़ें: पूर्णिया के सब रजिस्ट्रार अमलेश प्रसाद सिंह के ठिकानों निगरानी का छापा, 24 लाख कैश, 1 KG सोना बरामद

दरअसल, त्रिपुरा कैडर के 2006 बैच के अधिकारी अभिषेक कुमार सिंह गया के डीएम रह चुके हैं और वर्तमान में बिहार राज्य योजना पर्षद के परामर्शी के रूप में तैनात थे. उन्हें उनके मूल कैडर में वापस भेज दिया गया है. वे प्रतिनियुक्ति के आधार पर बिहार में अपनी सेवा दे रहे थे. शिकायत मिली थी कि गया के डीएम रहते वे भ्रष्टाचार में संलिप्त थे. हालांकि बाद में उन्हें बिहार राज्य पर्षद में भेजा गया था. आरोपों के मुताबिक आर्म्स लाइसेंस के आवंटन से लेकर विभागीय मामले में अभिषेक कुमार ने अपने पद का जमकर दुरुपयोग किया था.

वहीं, शराब मामले में ढीली कार्रवाई समेत अन्य मामले में हटाए गए मगध आईजी अमित लोढ़ा और गया के एसएसपी आदित्य कुमार के साथ-साथ तत्कालीन डीएम अभिषेक कुमार के खिलाफ विशेष निगरानी विभाग की जांच चल रही है. जांच के दौरान उन्हें उनके कैडर त्रिपुरा 2 महीने की छुट्टी की स्वीकृति के साथ भेज दिया गया है. विशेष निगरानी विभाग के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर जल्द ही विशेष निगरानी विभाग उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती है.

एलजेपी (रामविलास) के प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा कि तत्कालीन गया के डीएम अभिषेक कुमार पर पैसे लेकर आर्म्स देने से लेकर विभागीय कामों में भ्रष्टाचार करने का आरोप की जांच विशेष निगरानी इकाई कर रही है. इसके बावजूद भी सरकार द्वारा उन्हें 2 माह के लिए छुट्टी के साथ त्रिपुरा विरमित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी मांग करती है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर जांच करवाई जाए. इससे स्पष्ट दिखता है कि मुख्यमंत्री और सफेदपोशों का आशीर्वाद ऐसे अधिकारी पर बना हुआ था.

हालांकि जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने सरकार पर लगाए जा रहे आरोपों का बचाव करते हुए कहा कि सरकार ने ही उनके खिलाफ कार्रवाई की है और इन पर जांच चल रही है. बिहार सरकार और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ना ही किसी को बचाते हैं और ना ही फंसाते हैं. उन्होंने कहा कि अपने कैडर वापस जब भी कोई अधिकारी जाता है तो सेवा सम्मान शर्त के साथ भेजा जाता है. वैसे भी वह इसी देश के दूसरे राज्य में पदस्थापित रहेंगे और जरूरत पड़ने पर उन्हें बुलाकर जांच में सहयोग भी कराया जाएगा.

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पटना: आईएएस अभिषेक कुमार सिंह (IAS Abhishek Kumar Singh) को वापस त्रिपुरा कैडर में भेजने के फैसले को लेकर एलजेपीआर ने नीतीश सरकार पर हमला बोला (LJPR Attacks Nitish Government) है. एलजेपी (रामविलास) के प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा कि गया के तत्कालीन डीएम अभिषेक कुमार पर पैसे लेकर आर्म्स देने से लेकर विभागीय कामों में भ्रष्टाचार करने का आरोप है. जिसकी जांच विशेष निगरानी इकाई कर रही है. इसके बावजूद भी सरकार ने उन्हें 2 महीने के लिए छुट्टी के साथ त्रिपुरा विरमित कर दिया है. यह सरकार के दोहरे चरित्र को दर्शाता है. हालांकि जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि हमारी सरकार न तो किसी को फंसाती है और ना ही किसी को बचाती है.

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दरअसल, त्रिपुरा कैडर के 2006 बैच के अधिकारी अभिषेक कुमार सिंह गया के डीएम रह चुके हैं और वर्तमान में बिहार राज्य योजना पर्षद के परामर्शी के रूप में तैनात थे. उन्हें उनके मूल कैडर में वापस भेज दिया गया है. वे प्रतिनियुक्ति के आधार पर बिहार में अपनी सेवा दे रहे थे. शिकायत मिली थी कि गया के डीएम रहते वे भ्रष्टाचार में संलिप्त थे. हालांकि बाद में उन्हें बिहार राज्य पर्षद में भेजा गया था. आरोपों के मुताबिक आर्म्स लाइसेंस के आवंटन से लेकर विभागीय मामले में अभिषेक कुमार ने अपने पद का जमकर दुरुपयोग किया था.

वहीं, शराब मामले में ढीली कार्रवाई समेत अन्य मामले में हटाए गए मगध आईजी अमित लोढ़ा और गया के एसएसपी आदित्य कुमार के साथ-साथ तत्कालीन डीएम अभिषेक कुमार के खिलाफ विशेष निगरानी विभाग की जांच चल रही है. जांच के दौरान उन्हें उनके कैडर त्रिपुरा 2 महीने की छुट्टी की स्वीकृति के साथ भेज दिया गया है. विशेष निगरानी विभाग के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर जल्द ही विशेष निगरानी विभाग उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती है.

एलजेपी (रामविलास) के प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा कि तत्कालीन गया के डीएम अभिषेक कुमार पर पैसे लेकर आर्म्स देने से लेकर विभागीय कामों में भ्रष्टाचार करने का आरोप की जांच विशेष निगरानी इकाई कर रही है. इसके बावजूद भी सरकार द्वारा उन्हें 2 माह के लिए छुट्टी के साथ त्रिपुरा विरमित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी मांग करती है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर जांच करवाई जाए. इससे स्पष्ट दिखता है कि मुख्यमंत्री और सफेदपोशों का आशीर्वाद ऐसे अधिकारी पर बना हुआ था.

हालांकि जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने सरकार पर लगाए जा रहे आरोपों का बचाव करते हुए कहा कि सरकार ने ही उनके खिलाफ कार्रवाई की है और इन पर जांच चल रही है. बिहार सरकार और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ना ही किसी को बचाते हैं और ना ही फंसाते हैं. उन्होंने कहा कि अपने कैडर वापस जब भी कोई अधिकारी जाता है तो सेवा सम्मान शर्त के साथ भेजा जाता है. वैसे भी वह इसी देश के दूसरे राज्य में पदस्थापित रहेंगे और जरूरत पड़ने पर उन्हें बुलाकर जांच में सहयोग भी कराया जाएगा.

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