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लोजपा-जेडीयू के रिश्तों की कड़वाहट से फंस गई चिराग की मां रीना पासवान की राज्यसभा सीट? - DU leaders will not support

बिहार में राज्यसभा की एक सीट के लिए चुनाव होने हैं दिवंगत रामविलास पासवान के निधन से राज्यसभा की सीट खाली हुई है खाली हुई सीट पर लोजपा जहां अपना वास्तविक दावा मानती है वही जदयू के सहयोग के बिना राज्यसभा सीट लोजपा के खाते में नहीं जा सकती है ।

पटना
राज्यसभा चुनाव का मुकाबला दिलचस्प
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Published : Nov 22, 2020, 10:30 PM IST

पटना: पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के देहांत के बाद खाली हुई राज्य सभा सीट के लिए मामला दिलचस्प होता जा रहा है. जहां एकतरफ लोजपा इसे 2019 के लोकसभा चुनाव में हुए गठबंधन के तहत अपना वास्तविक दावेदारी करती है. तो वहीं, बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग हो कर नीतीश का कद छोटा करने पर आमादा लोजपा बिना जदयू के बैशाखी के राज्यसभा में दाखिल नहीं हो सकती है.

लोजपा के स्लोगन " मोदी से बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं" की टीस जदयू को कितनी चुभी होगी. यह तो विदित है. लेकिन अब उस टीस की कशक को मिटा लोजपा के उम्मीदवार को समर्थन देगी, ऐसा जदयू के नेताओं के हालिया बयानों को देखते हुए दूर की कौड़ी साबित हो रही है.

राज्यसभा चुनाव का मुकाबला दिलचस्प

जदयू किसी भी स्थिति में समर्थन को तैयार नहीं
बिहार में राज्यसभा की एक सीट के लिए चुनाव होने हैं. रामविलास पासवान के निधन के बाद सीट खाली हुई है. राज्यसभा की सीट पर वास्तविक दावा लोजपा का है. लोजपा की ओर से लगातार इसके लिए ताल भी ठोका जा रहा है. लोजपा दिवंगत केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान को राज्यसभा भेजना चाहती है. लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान लोजपा और जदयू के रिश्तो में कड़वाहट इतनी बढ़ गई कि जदयू किसी भी सूरत में लोजपा को सहयोग के लिए तैयार नहीं है. जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने स्पष्ट किया कि जदयू किसी भी सूरत में लोजपा के उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकती.

क्या भाजपा निभाएगी अपना मित्र धर्म या उठाएगी मौके का फायदा
सियासत में कोई रिश्ता यथावत नहीं रहता है. ऐसे में राजनीति के गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं जदयू- लोजपा के तल्ख रिश्तों का फायदा उठाकर भाजपा अपना उम्मीदवार खड़ी कर सकती है. भाजपा में फिलहाल दावेदारों की लिस्ट में जिन दो नामों की सबसे अधिक बात हो रही है वो हैं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता शहनवाज हुसैन.

पटना: पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के देहांत के बाद खाली हुई राज्य सभा सीट के लिए मामला दिलचस्प होता जा रहा है. जहां एकतरफ लोजपा इसे 2019 के लोकसभा चुनाव में हुए गठबंधन के तहत अपना वास्तविक दावेदारी करती है. तो वहीं, बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग हो कर नीतीश का कद छोटा करने पर आमादा लोजपा बिना जदयू के बैशाखी के राज्यसभा में दाखिल नहीं हो सकती है.

लोजपा के स्लोगन " मोदी से बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं" की टीस जदयू को कितनी चुभी होगी. यह तो विदित है. लेकिन अब उस टीस की कशक को मिटा लोजपा के उम्मीदवार को समर्थन देगी, ऐसा जदयू के नेताओं के हालिया बयानों को देखते हुए दूर की कौड़ी साबित हो रही है.

राज्यसभा चुनाव का मुकाबला दिलचस्प

जदयू किसी भी स्थिति में समर्थन को तैयार नहीं
बिहार में राज्यसभा की एक सीट के लिए चुनाव होने हैं. रामविलास पासवान के निधन के बाद सीट खाली हुई है. राज्यसभा की सीट पर वास्तविक दावा लोजपा का है. लोजपा की ओर से लगातार इसके लिए ताल भी ठोका जा रहा है. लोजपा दिवंगत केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान को राज्यसभा भेजना चाहती है. लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान लोजपा और जदयू के रिश्तो में कड़वाहट इतनी बढ़ गई कि जदयू किसी भी सूरत में लोजपा को सहयोग के लिए तैयार नहीं है. जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने स्पष्ट किया कि जदयू किसी भी सूरत में लोजपा के उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकती.

क्या भाजपा निभाएगी अपना मित्र धर्म या उठाएगी मौके का फायदा
सियासत में कोई रिश्ता यथावत नहीं रहता है. ऐसे में राजनीति के गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं जदयू- लोजपा के तल्ख रिश्तों का फायदा उठाकर भाजपा अपना उम्मीदवार खड़ी कर सकती है. भाजपा में फिलहाल दावेदारों की लिस्ट में जिन दो नामों की सबसे अधिक बात हो रही है वो हैं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता शहनवाज हुसैन.

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