पटनाः बिहार में शराबबंदी कानून (Prohibition Law In Bihar) को लेकर सवाल उठते रहे हैं. जहरीली शराब से मौत के बाद मुआवजे की मांग उठी तो सीएम नीतीश कुमार इसे मना कर दिए, लेकिन बाद से उन्होंने मुआवजा देने का प्रावधान कर दिया. इसी के साथ साथ कई संसोधन किए गए. हम पार्टी के नेता और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कई बार सरकार से कानून में संसोधन करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि जो लोग शराब पीने के आरोप में जेल में हैं, उन्हें छोड़ दिया जाए. विपक्ष के नेता भी शराबबंदी कानून पर सवाल उठाते रहे हैं.
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7 साल में कई संसोधनः 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. 7 सालों में नीतीश कुमार ने कानून में कई संशोधन किए. इससे कानून काफी लचीला हो गया है. हाल में बड़ा पैसला लिया गया है, जिसमें शराब वाले जब्त गाड़ियों को 10% बीमा की राशि चुकाने पर छोड़ दिया जाएगा. उससे पहले जहरीली शराब से मौत मामले में परिजनों को 4 लाख देने का बड़ा फैसला लिया गया. इससे साफ है कि महागठबंधन में जाने के बाद शराबबंदी कानून संशोधन को लेकर दबाव है.
शराबियों को छोड़ने की मांगः बिहार में एक के बाद एक शराबबंदी कानून में संशोधन हुआ है. बिहार में शराबबंदी कानून के कारण लाखों लोग जेल में पहुंच गए. इसको लेकर कोर्ट की तरफ से भी नाराजगी जताई गई. बड़े गोदामों में मिले शराब के बाद गोदाम को जब्त कर थाना तक खोल दिया गया, लेकिन पिछले 2 साल में सरकार का शराबबंदी कानून को लेकर काफी लचीला रुख रहा है. सीएम ने मौखिक आदेश भी दिया कि अब शराबियों की जगह माफिया और अवैध कारोबारियों को पकड़े.
"यह जरूरी था, क्योंकि इसके कारण वाहन मालिकों की परेशानी बढ़ी हुई थी. उसे दूर करने की कोशिश की गई है, लेकिन आने वाले समय में कोई संशोधन अब नहीं होने वाला है. सरकार कार्रवाई करने के लिए रिजर्व बटालियन भी बना रही है." -सुनील कुमार, मंत्री, मद्य निषेध, उत्पाद व निबंधन विभाग
शराबी को छोड़ने का आश्वासनः पूर्व सीएम जीतन राम मांझी लगातार शराब मामले में जेल गए शराबी को छोड़ने की मांग कर रहे हैं. हम प्रवक्ता विजय यादव ने भी कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को आश्वासन दिया है. हम प्रवक्ता के बयान से साफ है कि आने वाले दिनों में नीतीश सरकार इस पर भी फैसला ले सकती है, क्योंकि शुरू से ही शराबबंदी कानून को लेकर सवाल उठते रहा है.
"जीतन राम मांझी लगातार यह मांग करते रहे हैं कि जेल में बंद गरीबों को सरकार छोड़ दें. मुख्यमंत्री ने भी इसको लेकर आश्वासन दिया है. हमलोगों की एक ही मांग है कि 2.50 लाख दलित पिछड़ा जाति के लोग जेल में बंद हैं, उसके परिवार को कोई देखने वाला नहीं है. उन्हें छोड़ा जाए" - विजय यादव, प्रवक्ता, हम
लगातर उठता रहा है सवालः इधर, भाजपा की बात करें तो जब नीतीश कुमार के साथ सत्ता में थी तब भी शराबबंदी कानून को लेकर सवाल करती रही है. खासकर पुलिस प्रशासन और शराब कारोबारियों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाती रही, लेकिन अब कह रही है कि नीतीश कुमार पर महागठबंधन के घटक दलों का बहुत दबाव है इसीलिए लगातार शराबबंदी कानून में संशोधन हो रहा है. संकेत मिल रहा है कि शराबबंदी कानून बहुत दिनों तक बिहार में नहीं रहेगा.
"महागठबंधन के घटक दलों विशेषकर आरजेडी का काफी दबाव है. आरजेडी के दबाव का कहीं ना कहीं शराब माफिया और अधिकारियों की सांठगांठ से सीधा संबंध है, लेकिन नीतीश कुमार मजबूर हैं. इसलिए उन्हें संशोधन करना पड़ रहा है. शराबबंदी कानून बिहार में ज्यादा दिन नहीं रहने वाला है. " -विनोद शर्मा, प्रवक्ता, BJP
करोड़ों का नुकसानः बता दें कि शराबबंदी से सरकार को करोड़ो का नुकसान हो रहा है. पिछले 6-7 सालों की बात करें तो बिहार में अब तक 50000 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान हो चुका है. हालांकि सरकार ने कई संस्थाओं से शराबबंदी का सर्वे कराया, जिसमें दावा किया गया कि बिहार के अधिकांश लोग शराबबंदी कानून के समर्थन हैं. लोगों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है. लोगों ने शराब छोड़ दी तो अच्छे खान-पान, शिक्षा स्वास्थ पर खर्च कर रहे हैं.