पटना: बिहार में चायवाली के बाद अब एक और नाम लोगों बीच खूब सुर्खियां बटोर रहा है. वो नाम है बॉडीगार्ड सुशील का जो अपने काम की वजह से पटना के लिफ्ट मैन बन गए है. यह जब भी रोड पर गरीब असहाय और बुजुर्ग को देखते हैं तो इनका दिल पसीज जाता है. ये उन लोगों को अपने बाइक पर लिफ्ट देकर उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने का काम करते हैं. सुशील कुमार लगभग 2 सालों से लिफ्ट मैन का काम कर रहे हैं. वह सुरक्षित लोगों को अपने बाइक पर उनके स्थान तक पहुंचाने का काम करते रहते हैं.
पटना के लिफ्ट मैन सुशील: बता दें कि पटना के लिफ्ट मैन जो रोज अपने घर से बाइक निकालता है, सड़क पर लिफ्ट के इंतजार में खड़े लोगों की मदद करता है. इस लिफ्ट मैन का नाम है सुशील कुमार, ये पेशे से बॉडीगार्ड और नियत से सड़कों पर खड़े लोगों के लिए मसीहा के तौर पर काम करते हैं. इनके बाइक पर लिखा है हेलमेट आपका और लिफ्ट हम देंगे और दिलाएंगे. लिफ्ट मैन सुशील पिछले दो सालों से यह काम कर रहे हैं. इनको यह काम करते देख कर इनके मोहल्ले के कई युवा भी अपने आस पास के लोगों को लिफ्ट देने लगे हैं. सुशील चाहते हैं कि यह मुहिम उनके मोहल्ले से निकल कर देश दुनिया तक जाए.
तीन चार घटनाओं ने सुशील को बना दिया लिफ्ट मैन: सुशील बताते हैं कि उनके पिता पुलिस में काम करते हैं. एक दिन अपने पिता के साथ वो भी जा रहे थे. उन्होंने देखा कि कोई भी ऑटो वाला रोक नही रहा है. जब उन्होंंने अपने पिता से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वर्दी में हूं तो सब सोचता है कि पैसा नहीं देगा, फ्री में बैठेगा. इसी वजह से रोज ऑफिस जाने में लेट हो जाता है. सुशील का मन इस बात को सुनकर काफी विचलित हो गया.
"एक 70 वर्षीय बुजुर्ग सड़क पर लिफ्ट का इंतजार कर रहे थे. वो चलने में काफी असमर्थ थे लेकिन ऑटो 2 किलोमीटर चलने के बाद मिलता और कोई भी बाइक वाला रोक नहीं रहा था. वो रोकने का इशारा करते तो बाइक वाले इग्नोर कर निकल जा रहे थे. एक दिन में हुए इन सभी घटनाओं ने मुझे बहुत परेशान किया और मैनें इस मानसिक परेशानी से लोगो को निजात दिलाने का प्रण किया. मैं लिफ्ट मैन बन गया और आज मुझे यह काम करते देख मेरे मोहल्ले के युवा भी लोगों को लिफ्ट देने का काम करने लगे हैं."-सुशील कुमार, लिफ्ट मैन
2 सालों से कर रहे हैं ये काम: बॉडीगार्ड सुशील बताते हैं कि पिछ्ले दो साल से लोगों को लिफ्ट दे रहे हैं. रोज अपने ऑफिस जाने के दौरान सड़क पर जो भी मिलता है उसको बैठा कर गंतव्य तक छोड़ आते हैं. रात को खास तौर पर लिफ्ट देने के लिए ही सड़क पर निकलते हैं. बुजुर्ग, बच्चों और असहाय को प्राथमिकता देते हैं और रात में थोड़ी सावधानी से लोगों को बैठाते हैं. सुशील का मानना है कि अगर कोई बाइक वाला अपने परिचित गरीब, असहाय या बुजुर्ग को भी लिफ्ट देना शुरू कर दे तो किसी को भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
लिफ्ट देने से कम होगी परेशानी: लिफ्ट देने से लोगों का पेट्रोल का खर्च भी बचेगा, प्रदूषण भी कम होगा और लोगों की मदद भी होगी. साथ ही किसी गरीब और सहाय और कम पैसे में नौकरी करने वाले लोगों का कुछ पैसा भी बच जाएगा. जिससे उनकी काफी मदद हो जाएगी. सुशील के इस मुहिम से प्रेरणा लेकर उनके मोहल्ले के कई युवा भी लोगों को लिफ्ट देने के इस मुहिम से जुड़ गए हैं. सुशील का सपना है इस मुहिम से हर कोई जुड़े और अपना योगदान दें. ऐसा करने से लोगों के बीच भाईचारा भी बढ़ता है.