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पटना में LIC कर्मियों ने किया हड़ताल, सरकार से IPO वापस लेने की मांग - protest against government policies

केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ 28 और 29 मार्च को हड़ताल का आह्वान (Trade Unions Call Two Day Bharat Bandh) किया गया है. जिसका पटना में ऑल इंडिया इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन और एलआईसी इंप्लाइज फेडरेशन ने समर्थन किया है. वहीं, एलआईसी का कामकाज पूरी तरह से ठप रहा.

LIC employees strike in Patna
पटना में LIC कर्मियों ने किया हड़ताल
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Published : Mar 28, 2022, 9:07 PM IST

पटना: केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने (Joint forum of central trade unions) सरकार की कामगार, किसान और जन विरोधी नीतियों के विरोध (protest against government policies) में सोमवार से देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था. बिहार में भी इसका असर देखने को मिला. वहीं, पटना में ऑल इंडिया इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन और एलआईसी इंप्लाइज फेडरेशन की तरफ से पटना के फ्रेजर रोड पर एलआईसी कार्यालय भवन में हड़ताल (LIC employees strike in Patna) और प्रदर्शन किया. जिससे कामकाज पूरी तरह से ठप रहा. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने एलआईसी का आईपीओ वापस लेने और एफडीआई में बढ़ोतरी का विरोध किया.

ये भी पढ़ें- JDU नेता का ऐलान- 'जो आरोपी का हाथ तोड़ेगा उसे 1 लाख 11 हजार रुपये देंगे'

इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन पटना डिवीजन यानी कि आईईएपीडी के कोषाध्यक्ष कुमार राजीव ने बताया कि ऑल इंडिया कर्मचारी संघ की 12 सूत्री मांगों को लेकर बुलायी गए हड़ताल को उन्होंने अपना समर्थन दिया है. वे एलआईसी की आईपीओ का विरोध कर रहे हैं. सरकार आईपीओ लाने के निर्णय को वापस ले. यह हड़ताल न्यू पेंशन स्कीम के विरोध में है और पुरानी पेंशन नीति को फिर से बहाल करने के लिए है. एलआईसी में फैमिली पेंशन 15 प्रतिशत है, जिसे बढ़ाकर प्रतिशत करने का प्रपोजल वित्त मंत्रालय को दिया है. जोकि पिछले 2 वर्षों से पेंडिंग पड़ा हुआ है. इसके अलावा एलआईसी में रिक्त पदों पर नए कर्मचारियों की बहाली की मांग है.

वहीं, आईईएपीडी के ज्वाइंट सेक्रेट्री हेमंत कुमार पोद्दार ने बताया कि इन सब तमाम मुद्दों के अलावा हड़ताल के पीछे महंगाई भी एक प्रमुख मुद्दा है. आज के समय में भारत सरकार महंगाई को नियंत्रण करने में पूरी तरह फेल हो चुकी है और महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है. पेट्रोलियम पदार्थों का साथ ही और खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी से आम जनजीवन परेशान है.

ये भी पढ़ें- छपरा में ज्वेलरी शॉप में लूट, खौफ पैदा करने के लिए की फायरिंग

आईईएपीडी के महामंत्री अनिल कुमार ने बताया कि एलआईसी में आईपीओ की कोई आवश्यकता नहीं है. एलआईसी के कर्मचारी आईपीओ के समर्थन में नहीं है. 1956 से आज तक बीमा उद्योग का जितना भी मुनाफा हुआ है, उसका एक हिस्सा सरकार को जाता रहा है. बीमा उद्योग सरकार को मुनाफा का हिस्सा दे रहा है. इसे निजी क्षेत्रों की तरफ ले जाने की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि 5 प्रतिशत आईपीओ लाकर एलआईसी के निजीकरण की दिशा में सरकार ने पहला कदम उठाया है. पिछले 30 वर्षों से कर्मचारी बीमा कंपनियों के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में सरकार जब इन कंपनियों का निजीकरण नहीं कर पाई तो पिछले दरवाजे से इसे आईपीओ के माध्यम से निजीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है.

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पटना: केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने (Joint forum of central trade unions) सरकार की कामगार, किसान और जन विरोधी नीतियों के विरोध (protest against government policies) में सोमवार से देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था. बिहार में भी इसका असर देखने को मिला. वहीं, पटना में ऑल इंडिया इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन और एलआईसी इंप्लाइज फेडरेशन की तरफ से पटना के फ्रेजर रोड पर एलआईसी कार्यालय भवन में हड़ताल (LIC employees strike in Patna) और प्रदर्शन किया. जिससे कामकाज पूरी तरह से ठप रहा. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने एलआईसी का आईपीओ वापस लेने और एफडीआई में बढ़ोतरी का विरोध किया.

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इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन पटना डिवीजन यानी कि आईईएपीडी के कोषाध्यक्ष कुमार राजीव ने बताया कि ऑल इंडिया कर्मचारी संघ की 12 सूत्री मांगों को लेकर बुलायी गए हड़ताल को उन्होंने अपना समर्थन दिया है. वे एलआईसी की आईपीओ का विरोध कर रहे हैं. सरकार आईपीओ लाने के निर्णय को वापस ले. यह हड़ताल न्यू पेंशन स्कीम के विरोध में है और पुरानी पेंशन नीति को फिर से बहाल करने के लिए है. एलआईसी में फैमिली पेंशन 15 प्रतिशत है, जिसे बढ़ाकर प्रतिशत करने का प्रपोजल वित्त मंत्रालय को दिया है. जोकि पिछले 2 वर्षों से पेंडिंग पड़ा हुआ है. इसके अलावा एलआईसी में रिक्त पदों पर नए कर्मचारियों की बहाली की मांग है.

वहीं, आईईएपीडी के ज्वाइंट सेक्रेट्री हेमंत कुमार पोद्दार ने बताया कि इन सब तमाम मुद्दों के अलावा हड़ताल के पीछे महंगाई भी एक प्रमुख मुद्दा है. आज के समय में भारत सरकार महंगाई को नियंत्रण करने में पूरी तरह फेल हो चुकी है और महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है. पेट्रोलियम पदार्थों का साथ ही और खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी से आम जनजीवन परेशान है.

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आईईएपीडी के महामंत्री अनिल कुमार ने बताया कि एलआईसी में आईपीओ की कोई आवश्यकता नहीं है. एलआईसी के कर्मचारी आईपीओ के समर्थन में नहीं है. 1956 से आज तक बीमा उद्योग का जितना भी मुनाफा हुआ है, उसका एक हिस्सा सरकार को जाता रहा है. बीमा उद्योग सरकार को मुनाफा का हिस्सा दे रहा है. इसे निजी क्षेत्रों की तरफ ले जाने की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि 5 प्रतिशत आईपीओ लाकर एलआईसी के निजीकरण की दिशा में सरकार ने पहला कदम उठाया है. पिछले 30 वर्षों से कर्मचारी बीमा कंपनियों के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में सरकार जब इन कंपनियों का निजीकरण नहीं कर पाई तो पिछले दरवाजे से इसे आईपीओ के माध्यम से निजीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है.

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