पटना: जब आप छोटे थे तो शायद आपको लेटर बॉक्स याद होगा. मोबाइल, ईमेल और व्हाट्सएप के दौर अब वह बीते समय की बात हो चुकी है. आज तो हाईटेक युग है. डिजिटल युग में मोबाइल, इंटरनेट मीडिया आदि के माध्यम से ही हजारों किमी दूर बैठे लोगों से सेकेंड़ों में बात हो जाती है. हाल-चाल मिल जाता है. ऐसे में डाक विभाग के लेटर बाक्स का कोई मायने नहीं रह गया है. हालांकि अभी भी इसका कहीं-कहीं प्रयोग होता है.
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5500 लेटर बॉक्स गायब: चीफ पोस्टमास्टर जनरल किशन कुमार शर्मा ने बताया कि निश्चित तौर पर डिजिटल युग में लेटर लिखना लोग भूल गए हैं. मोबाइल के युग में लोग इसकी अहमियत कम कर दी है. राज्य भर में पिछले 2 सालों में लगभग 5500 लेटर बॉक्स को हटा दिया गया. राजधानी पटना में गिने-चुने जगहों पर जो लेटर बॉक्स लगे हुए हैं. उन्हीं की देखरेख की जाती है. मोबाइल इंटरनेट के प्रचलन के कारण लोग अब चिट्ठी नहीं लिख रहे हैं जिस कारण से लेटर बॉक्स की अहमियत खत्म हो रही है.
चिट्ठियों के इंतजार में खाली पड़े हैं लेटर बॉक्स: कल तक चमचमाने वाले यह लाल डब्बे अब कहीं-कहीं ही नजर आते है. पटना के एसएसपी कार्यालय, बिस्कोमान भवन,फायर ब्रिगेड के पास और शहर में कई जगह लगे तो है, लेकिन शोभा की वस्तु बनकर पड़ी है. इनकी स्थिति देखकर इनकी हालात बयां होती है. अपने आसपास लगे पोस्ट बाक्स चिट्ठियों के इंतजार में खाली पड़े हैं.
लेटर बॉक्स शोभा की वस्तु बन गई: नवल सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि लेटर बॉक्स शोभा की वस्तु बनकर खड़ी है. इसका इस्तेमाल अब डिजिटल युग में कुछ भी नहीं है. पोस्ट ऑफिस के तरफ से लेटर बॉक्स से जो पैसा खर्च किया जा रहा है. उसकी बर्बादी है. अब मोबाइल होने से बातचीत ही नहीं बल्कि नौकरी पैसे में इस्तेमाल की जाने वाली तमाम चीज मोबाइल के माध्यम से आदान-प्रदान हो रही है.
"हम अपने समय में इस से 1-2 चिट्ठी जरूर भेजे है,लेकिन मोबाइल आने के बाद से एक बार भी चिट्ठी नहीं भेजे हैं. अभी जितनी भी पोस्ट ऑफिस की तरफ से लेटर बॉक्स लगा है. दिनभर में एक चिट्ठी ड्रॉप होता होगा. इसके अलावा इसका कोई उपयोगिता नहीं है."- नवल सिंह
पहले लेटर का लोग करते थे इंतजार : डॉ अमरनाथ पांडे ने कहा कि लेटर बॉक्स की उपयोगिता सरकारी कार्यों में किया जाता होगा. लेकिन आम लोग अब इस लेटर बॉक्स से अपना संदेश नहीं भेजते हैं. इसलिए अब इस लेटर बॉक्स की अहमियत खत्म हो गई है. कई जगह से लेटर बॉक्स हटा दिया गया है. कई जगह जर्जर अवस्था में खराब पड़ा हुआ है. मोबाइल ईमेल व्हाट्सएप जैसे तमाम आ गई है. जिससे लेटर का जमाना खत्म हो गया.
"मोबाइल ईमेल व्हाट्सएप जैसे तमाम आ गई है. जिससे लेटर का जमाना खत्म हो गया. पहले लेटर के लिए लोगों को इंतजार रहता था. लेकिन आप मोबाइल से चंद मिनट में कहीं भी देश विदेश में बैठे अपने सगे संबंधी से बात कर लेते हैं जिस कारण से सहूलियत होती है." -डॉ अमरनाथ पांडे
बिहार में अभी 1099 लेटर बॉक्स लगे हैं: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान चीफ पोस्टमास्टर जनरल किशन कुमार शर्मा ने बताया कि बिहार राज्य में 9000 से ज्यादा ब्रांच है. जिसमें लेटर बॉक्स लगा हुआ है. जहां पर रेलवे स्टेशन सरकारी कार्यालय,चौक-चौराहा है वहां पर लेटर बॉक्स लगा हुआ है. वहां पर मॉनिटर करके लेटर को निकलवाया जाता है. उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में अभी 1099 लेटर बॉक्स है. जिसको नन्यथा ऐप के जरिए मॉनिटरिंग की जा रही है. लगभग 100 लेटर निकलता है.
"निश्चित तौर पर डिजिटल युग में लेटर लिखना लोग भूल गए हैं. मोबाइल के युग में लोग इसकी अहमियत कम कर दी है. राज्य भर में पिछले 2 सालों में लगभग 5500 लेटर बॉक्स को हटा दिया गया. मोबाइल इंटरनेट के प्रचलन के कारण लोग अब चिट्ठी नहीं लिख रहे हैं.जिस कारण से लेटर बॉक्स की अहमियत खत्म हो रही है." - किशन कुमार शर्मा, चीफ पोस्टमास्टर जनरल