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मसौढ़ी जेल में विधिक सहायता कार्यक्रम का आयोजन, कैदियों को किया गया जागरूक

पटना से सटे मसौढ़ी जेल में विधिक सहायता जागरुकता अभियान का आयोजन किया गया. इस दौरान सिविल कोर्ट के जज, जेल के सभी अधिकारी और अन्य लोग शामिल रहे.

विधिक सहायता कार्यक्रम
विधिक सहायता कार्यक्रम
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Published : Oct 27, 2021, 7:56 PM IST

पटना: आजादी के 75 वर्ष (75 Years of Independence) पूरे होने पर सरकार देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है. आजादी के अमृत महोत्सव पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. इसी के तहत जेलों में विधिक सहायता जागरुकता अभियान (Legal Aid Awareness Campaign) चलाया जा रहा है. बुधवार को मसौढ़ी सिविल कोर्ट (Masaudhi Civil Court) के प्रथम सत्र न्यायाधीश बीएन त्रिपाठी ने कैदियों के बीच उनके अधिकारों एवं सहायता के बारे में जागरूक किया. इस दौरान सिविल कोर्ट के जज, जेल के सभी अधिकारी और अन्य लोग शामिल रहे.

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मसौढ़ी में सभी नागरिकों निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित कराने राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया गया. मसौढ़ी जेल में राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस पर बीएन त्रिपाठी, प्रथम सत्र न्यायाधीश बीएन त्रिपाठी एवं गौरीशंकर प्रसाद ने सभी बंदियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया और उन्हें बताया कि गरीब और कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है.

देखें वीडियो

'आजादी की अमृत महोत्सव के मौके पर राष्ट्रीय विधिक सहायता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. आज मसौढ़ी जेल के अंदर कैदियों के अधिकारों के बारे में उनको कानूनी सलाह एवं कमजोर वर्गों को विधिक सहायता देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया. -बीएन त्रिपाठी, प्रथम सत्र न्यायाधीश सिविल कोर्ट मसौढ़ी

'कमजोर वर्गों के बंदियों का केस लड़ने के लिए सरकार द्वारा सहायता दी जाती है. अगर किसी ने उन्हें गलत तरीके से ले फंसाया गया होगा तो उनकी बातों को सुना जाता है. आज राष्ट्रीय विधिक सहायता जागरूकता के अभियान के तहत उनके अधिकारों को बताया जा रहा है' -गौरीशंकर सिह, प्रथम सत्र न्यायाधीश सिविल कोर्ट मसौढ़ी

इस दौरान मसौढ़ी जेल के सुपरिटेंडेंट ओंकार दत्त तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण जेल के अंदर बंद कैदियों को मुफ्त में सलाह, कमजोर कैदियों को सरकारी वकील, जुवेनाइल, महिलाएं, बच्चे, अनुसूचित जाति, जनजाति, विकलांग समेत कई लोगों को सरकार की तरफ से सहायता प्रदान किया जाती है. आज उनके अधिकारों के प्रति उन्हें जागरूक किया गया.

ओंकार दत्त तिवारी ने बताया कि जेल के अंदर विधि सहायता तीन तरह से मुहैया करायी जाती है. जिसमें अगर बंदी के केस लड़ने के लिए पास पैसे नहीं होने पर सरकारी वकील उनको दिया जाता है. ऐसे बंदी जिन्हें केस में फंसाया गया हो या वह विकलांग, जुवेनाइल, बच्चे, महिला बंदियों को अलग-अलग तरीके से उन्हें विधिक सहायता प्रदान करना राष्ट्रीय विधि सहायता योजना का उद्देश्य है.

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पटना: आजादी के 75 वर्ष (75 Years of Independence) पूरे होने पर सरकार देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है. आजादी के अमृत महोत्सव पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. इसी के तहत जेलों में विधिक सहायता जागरुकता अभियान (Legal Aid Awareness Campaign) चलाया जा रहा है. बुधवार को मसौढ़ी सिविल कोर्ट (Masaudhi Civil Court) के प्रथम सत्र न्यायाधीश बीएन त्रिपाठी ने कैदियों के बीच उनके अधिकारों एवं सहायता के बारे में जागरूक किया. इस दौरान सिविल कोर्ट के जज, जेल के सभी अधिकारी और अन्य लोग शामिल रहे.

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मसौढ़ी में सभी नागरिकों निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित कराने राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया गया. मसौढ़ी जेल में राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस पर बीएन त्रिपाठी, प्रथम सत्र न्यायाधीश बीएन त्रिपाठी एवं गौरीशंकर प्रसाद ने सभी बंदियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया और उन्हें बताया कि गरीब और कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है.

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'आजादी की अमृत महोत्सव के मौके पर राष्ट्रीय विधिक सहायता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. आज मसौढ़ी जेल के अंदर कैदियों के अधिकारों के बारे में उनको कानूनी सलाह एवं कमजोर वर्गों को विधिक सहायता देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया. -बीएन त्रिपाठी, प्रथम सत्र न्यायाधीश सिविल कोर्ट मसौढ़ी

'कमजोर वर्गों के बंदियों का केस लड़ने के लिए सरकार द्वारा सहायता दी जाती है. अगर किसी ने उन्हें गलत तरीके से ले फंसाया गया होगा तो उनकी बातों को सुना जाता है. आज राष्ट्रीय विधिक सहायता जागरूकता के अभियान के तहत उनके अधिकारों को बताया जा रहा है' -गौरीशंकर सिह, प्रथम सत्र न्यायाधीश सिविल कोर्ट मसौढ़ी

इस दौरान मसौढ़ी जेल के सुपरिटेंडेंट ओंकार दत्त तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण जेल के अंदर बंद कैदियों को मुफ्त में सलाह, कमजोर कैदियों को सरकारी वकील, जुवेनाइल, महिलाएं, बच्चे, अनुसूचित जाति, जनजाति, विकलांग समेत कई लोगों को सरकार की तरफ से सहायता प्रदान किया जाती है. आज उनके अधिकारों के प्रति उन्हें जागरूक किया गया.

ओंकार दत्त तिवारी ने बताया कि जेल के अंदर विधि सहायता तीन तरह से मुहैया करायी जाती है. जिसमें अगर बंदी के केस लड़ने के लिए पास पैसे नहीं होने पर सरकारी वकील उनको दिया जाता है. ऐसे बंदी जिन्हें केस में फंसाया गया हो या वह विकलांग, जुवेनाइल, बच्चे, महिला बंदियों को अलग-अलग तरीके से उन्हें विधिक सहायता प्रदान करना राष्ट्रीय विधि सहायता योजना का उद्देश्य है.

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