पटना: बिहार की राजधानी पटना में सरस मेला लगा हुआ है. इस मेले में तरह-तरह की आकर्षक सजावटी चीजें मिल रहे हैं, जो आपके घरों की शोभा बढ़ा सकती है. खासकर के त्योहारों के इस मौसम में इन सजवटी कलाकृतियों और उत्पादों की मांग भी बढ़ी रहती है. ऐसे ही उत्पादों का एक काउंटर लोगों को अपनी ओर खूब आकर्षित कर रहा है. यह काउंटर लेदर पपेट आर्ट यानी की लेदर पपेट्री से जुड़े उत्पादों की है. इस काउंटर को आंध्र प्रदेश के एक मां-बेटे ने लगाया है.
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लेदर पपेट से बनाई भगवान राम की तस्वीर : इस काउंटर पर सबसे खास पेटिंग जो देखने को मिली वह लेदर पपेट आर्ट के जरिए भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण सहित रामायण के एक दृश्य को एक लेदर के पट्टे पर बहुत ही बारिकी और खूबसूरती से उकेरा गया है. इस वाॅल पेंटिंग की कीमत 35 हजार बताई गई. आर्टिस्ट मणि कुमार ने बताया कि इस एक पेंटिंग को बनाने में 6 महीने के समय लगा है. इसका मतलब समझ सकते हैं कि इस स्तर की मेहनत इस एक पेंटिंग को बनाने में लगती है.
क्या है लेदर पपेट आर्ट : मणि कुमार ने बताया कि मैं और मेरी मां और पूरा परिवार इस काम से जुड़ा हुए है. इस आर्ट को लेदर पपेट इंग्लिश में कहते हैं और हिंदी में चर्म चित्रकला कहते हैं. मणि ने बताया कि जिस लेदर से ढोलक बनती है, उसी तरह के चमड़े का उपयोग पपेट आर्ट में किया जाता है. पहले लेदर को सुखाया जाता है और सूखा जाने के बाद इस पर तरह-तरह की पेंटिंग करके आर्ट वर्क तैयार किया जाता है. इसे ही लेदर पपेट आर्ट कहते हैं. इसके जरिए वाॅल पेंटिंग, टेबल लैंप पेंटिंग, फ्लोर लैंप पेटिंग, कैलेंडर लैंप पेंटिंग तैयार की जाती है.
"इस पर एक बार बनाई गई चित्र पानी से भी खराब नहीं होती है. इस लेदर सीट को एक खांचे से तैयार किया उसके बाद उसमें सूई से छेद की जाती है और अलग-अलग कलर के हिसाब से चित्रकारी की जाती है. इस तरह काफी बारिकी से और धैर्यपूर्वक लेदर पपेट आर्ट तैयार किया जाता है".- मणि कुमार, लेदर पपेट आर्टिस्ट
500 से 35 हजार रुपये तक की आर्टवर्क उपलब्ध : लेदर पपेट्री के बारे में मणि ने कहा कि छोटे टेबल लैंप या छोटा कैलेंडर तैयार करने में दो से तीन दिन समय लगता है और जो 35 हजार की वाॅल आर्ट है. उसको बनाने में दोनों तरफ से 6 महीना लगा है. उन्होंने बताया कि टेबल लैंप 550 से लेकर 5000 रुपये तक की हैं. वहीं फ्लोर लैंप, वॉल पेंटिंग 5000 से लेकर 35000 तक की है. वैसे इससे महंगा भी बनाया जाता है लेकिन डिमांड इस रेंज से ज्यादा का नहीं है.
"आंध्र प्रदेश सरकार के तरफ से मुझे अवार्ड दिया जा चुका है. मेरे दादाजी का नाम दलावाई छलपथी राव था, जिनको पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और उसी के बदौलत हम लोगों के पूरे परिवार को महारत हासिल है".- मणि कुमार की मां