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बड़े मुद्दों पर भी एक साथ नहीं दिख रहे विपक्ष के नेता, क्या फिर दोहराएंगे 2019 की गलती?

बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी बेरोजगारी के मुद्दे को जोर-शोर से उठाने वाली है. लेकिन महागठबंध के घटक दल के नेता रोजगार, शिक्षा या किसी अन्य मुद्दे पर एकजुट नजर नहीं आ रहे हैं. वहीं, सत्ता पक्ष के नेता बेरोजगारी को कोई मुद्दा मानने से ही इनकार कर रहे हैं.

Leader of the Opposition does not appear together even on big issues in assembly elections
Leader of the Opposition does not appear together even on big issues in assembly elections
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Published : Sep 11, 2020, 8:10 AM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीति दलों की सक्रियता काफी बढ़ गई है. सभी दल राज्य के कुछ प्रमुख मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने में लगी है. बिहार में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है. चुनावी साल में इसे विपक्ष सत्ता पक्ष के खिलाफ बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है.

बता दें कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 9 सितंबर को रात 9 बजे 9 मिनट तक जिस तरह से युवाओं की आवाज बुलंद करने की कोशिश की उसमें आरजेडी के नेता साथ खड़े दिखाई दिए. लेकिन उनके अपने गठबंधन के साथी दल इस मुद्दे पर एक साथ नहीं दिखे. वहीं, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी भी बिहार में शिक्षा को लेकर जो अभियान चला रही है, उसमें भी आरजेडी समेत अन्य दलों के नेता नहीं दिख रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

तेजस्वी के साथ है बेरोजगार युवक संघ
इस बारे में राष्ट्रीय जनता दल के नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि तेजस्वी यादव ने युवाओं के सबसे बड़े मुद्दे को उठाकर करोड़ों युवाओं की बेरोजगारी दूर करने का संकल्प लिया है. इसमें बिहार का हर पीड़ित शोषित बेरोजगार युवक उनके साथ है. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी की समस्या सिर्फ महागठबंधन के सहयोगी दलों के साथ ही नहीं बल्कि बीजेपी और एनडीए नेताओं के घर में भी है. इसलिए इस मुद्दे पर सब साथ हैं और तेजस्वी यादव के अभियान को बड़ा जन समर्थन मिलेगा. हालांकि कैंपेन को लेकर महागठबंधन के घटक दल रालोसपा, कांग्रेस और वीआईपी के नेता एक साथ नहीं दिखे, इस पर वो साफ-साफ कुछ नहीं कह पाए.

Leader of the Opposition does not appear together even on big issues in assembly elections
मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल

पार्टी के एजेंडा हो अलग लेकिन चुनाव में हैं साथ-रोलोसपा
इधर शिक्षा सुधार कार्यक्रम को बड़ा मुद्दा मानते हुए अभियान चला रहे रालोसपा के नेता यह स्वीकार करते हैं कि हर पार्टी का अपना अलग एजेंडा है. रालोसपा के मुख्य प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि भले ही सभी पार्टियों का अपना अपना एजेंडा हो लेकिन चुनाव में रोजगार और शिक्षा समेत अन्य मुद्दे प्रमुखता से उठाए जाएंगे और सभी सहयोगी दल एक साथ मिलकर इन मुद्दों को जनता के सामने ले जाएंगे.

Leader of the Opposition does not appear together even on big issues in assembly elections
अभिषेक झा, मुख्य प्रवक्ता, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी

बीजेपी नेता रोजगार को मुद्दा मानने से करते हैं इनकार
बीजेपी के नेता रोजगार के मुद्दे को प्रमुख मुद्दा मानने से ही इनकार कर रहे हैं. बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि कोई भी युवा आरजेडी के झांसे में नहीं आने वाला है. महागठबंधन के प्रमुख दलों की दूरी इनके बयानों से ही स्पष्ट नजर आती है. सबको साथ लेकर चलने का दावा करने वाले चाहे आरजेडी नेता हों या रालोसपा नेता, अपने गठबंधन के सहयोगियों के साथ ही प्रमुख मुद्दों पर साफ नजर नहीं आ रहे.

Leader of the Opposition does not appear together even on big issues in assembly elections
प्रेम रंजन पटेल, प्रदेश प्रवक्ता, भारतीय जनता पार्टी

2019 में महगठबंधन को भुगतना पड़ा खामियाजा
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही कुछ नजर आया था, जब एक साथ चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले महागठबंधन के तमाम दल बिखरे-बिखरे नजर आए थे. इसका खामियाजा उन्हें नतीजों के जरिए भुगतना पड़ा जब 40 लोकसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस के खाते में गई. वहीं, पहली बार आरजेडी का लोकसभा चुनाव में पूरी तरह सूपड़ा साफ हो गया था.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीति दलों की सक्रियता काफी बढ़ गई है. सभी दल राज्य के कुछ प्रमुख मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने में लगी है. बिहार में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है. चुनावी साल में इसे विपक्ष सत्ता पक्ष के खिलाफ बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है.

बता दें कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 9 सितंबर को रात 9 बजे 9 मिनट तक जिस तरह से युवाओं की आवाज बुलंद करने की कोशिश की उसमें आरजेडी के नेता साथ खड़े दिखाई दिए. लेकिन उनके अपने गठबंधन के साथी दल इस मुद्दे पर एक साथ नहीं दिखे. वहीं, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी भी बिहार में शिक्षा को लेकर जो अभियान चला रही है, उसमें भी आरजेडी समेत अन्य दलों के नेता नहीं दिख रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

तेजस्वी के साथ है बेरोजगार युवक संघ
इस बारे में राष्ट्रीय जनता दल के नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि तेजस्वी यादव ने युवाओं के सबसे बड़े मुद्दे को उठाकर करोड़ों युवाओं की बेरोजगारी दूर करने का संकल्प लिया है. इसमें बिहार का हर पीड़ित शोषित बेरोजगार युवक उनके साथ है. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी की समस्या सिर्फ महागठबंधन के सहयोगी दलों के साथ ही नहीं बल्कि बीजेपी और एनडीए नेताओं के घर में भी है. इसलिए इस मुद्दे पर सब साथ हैं और तेजस्वी यादव के अभियान को बड़ा जन समर्थन मिलेगा. हालांकि कैंपेन को लेकर महागठबंधन के घटक दल रालोसपा, कांग्रेस और वीआईपी के नेता एक साथ नहीं दिखे, इस पर वो साफ-साफ कुछ नहीं कह पाए.

Leader of the Opposition does not appear together even on big issues in assembly elections
मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल

पार्टी के एजेंडा हो अलग लेकिन चुनाव में हैं साथ-रोलोसपा
इधर शिक्षा सुधार कार्यक्रम को बड़ा मुद्दा मानते हुए अभियान चला रहे रालोसपा के नेता यह स्वीकार करते हैं कि हर पार्टी का अपना अलग एजेंडा है. रालोसपा के मुख्य प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि भले ही सभी पार्टियों का अपना अपना एजेंडा हो लेकिन चुनाव में रोजगार और शिक्षा समेत अन्य मुद्दे प्रमुखता से उठाए जाएंगे और सभी सहयोगी दल एक साथ मिलकर इन मुद्दों को जनता के सामने ले जाएंगे.

Leader of the Opposition does not appear together even on big issues in assembly elections
अभिषेक झा, मुख्य प्रवक्ता, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी

बीजेपी नेता रोजगार को मुद्दा मानने से करते हैं इनकार
बीजेपी के नेता रोजगार के मुद्दे को प्रमुख मुद्दा मानने से ही इनकार कर रहे हैं. बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि कोई भी युवा आरजेडी के झांसे में नहीं आने वाला है. महागठबंधन के प्रमुख दलों की दूरी इनके बयानों से ही स्पष्ट नजर आती है. सबको साथ लेकर चलने का दावा करने वाले चाहे आरजेडी नेता हों या रालोसपा नेता, अपने गठबंधन के सहयोगियों के साथ ही प्रमुख मुद्दों पर साफ नजर नहीं आ रहे.

Leader of the Opposition does not appear together even on big issues in assembly elections
प्रेम रंजन पटेल, प्रदेश प्रवक्ता, भारतीय जनता पार्टी

2019 में महगठबंधन को भुगतना पड़ा खामियाजा
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही कुछ नजर आया था, जब एक साथ चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले महागठबंधन के तमाम दल बिखरे-बिखरे नजर आए थे. इसका खामियाजा उन्हें नतीजों के जरिए भुगतना पड़ा जब 40 लोकसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस के खाते में गई. वहीं, पहली बार आरजेडी का लोकसभा चुनाव में पूरी तरह सूपड़ा साफ हो गया था.

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